अक्सर हमारे घर के बुजुर्ग हमें पुराने समय की बातें बताया करते हैं। पहले के समय में शादियां कैसी होती थी, किस तरह घर की बहू-बेटियां मिलकर शादी की पूरी तैयारियां कर लेती थीं। आज जो शादियां 2 दिन में निपट जाती हैं वहीं पहले के समय में वो ही शादी 15 से 20 दिनों तक चलती रहती थी। उन 15-20 दिन तक घर में अलग ही रौनक रहती थी। बाद में समय बदला और सबकुछ बहुत फास्ट हो गया। Bride Stands Left Side Of Groom
आजकल की शादियों में तैयारियों के लिए बहू-बेटियों की जरूरत नहीं पड़ती। डेकोरेशन से लेकर दुल्हन के मेकअप तक सबकुछ वेडिंग प्लानर संभाल लेता है। खाने के लिए किसी हलवाई को नहीं बुलाया जाता बल्कि केटरर ही खाने का पूरा इंतजाम करता है।
इस बदलते समय के साथ अगर कुछ नहीं बदला है तो वो है हमारे रीति-रिवाज और शादी की रस्में। विवाह के समय शादी की रस्में आज भी उतने ही अच्छे से निभाई जाती है। बावजूद इसके हम नहीं जानते कि ऐसा करने के पीछे क्या वजह होती है? जैसे विवाह की सभी रस्मों में दुल्हन-दूल्हे के बायीं ओर खड़ी रहती है, क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों? आइए जानिए।
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विषयसूची :
रीति-रिवाज
अगर आपने कभी गौर किया हो तो विवाह से लेकर कोई भी पूजा, हवन या अनुष्ठान हो तो यदि आदमी या औरत विवाहित है तो उन्हें अपने जीवनसाथी के साथ ही पूजा में बैठाया जाता है।
विवाह से शुरुआत
इस रस्म की शुरुआत विवाह से होती है। हिंदू धर्म में विवाह के समय से वधू को वर के बायीं ओर बैठाया जाता है और जिंदगीभर ये परंपरा चलती रहती है।

वामांगी
हिंदू धर्म शास्त्र में पत्नी को ‘वामांगी’ के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वधू या पत्नी हमेशा पुरुष के बायीं ओर बैठती है।
शुभ और पवित्र
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पत्नी का साथ पति के बाएं ओर होता है क्योंकि धर्म और विज्ञान दोनों में पुरुष के दाएं और पत्नी के बाएं भाग को शुभ और पवित्र माना जाता है।
हस्तरेखा विज्ञान में
इसके अलावा हस्तरेखा विज्ञानं में भी पति का दायां तथा पत्नी का बायां हाथ देखा जाता है क्योंकि मानव शरीर में मस्तिष्क का बायां हिस्सा उसकी रचनात्मकता तथा दायां हिस्सा कर्म का प्रतीक होता है।
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प्रेम और ममता का प्रतीक
चूंकि स्त्री को प्रेम और ममता का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा उनमें रचनात्मकता भी कूट-कूट कर भरी होती है इसलिए पत्नी का बाएं ओर होना शुभता और सद्भाव की निशानी है।
दृढ़ता की निशानी
इसके अलावा पुरुष हमेशा दायीं ओर होता है जो इस बात का प्रमाण है कि वो शूरवीर और दृढ़ होगा। अपनी हर जिम्मेदारियों को अच्छे से निभाएगा।
दोनों हिस्सों का मेल
जब भी पूजा पाठ या कोई अनुष्ठान होता है तो पत्नी को बाएं तथा पति को दाएं ओर बैठाते हैं ताकि दोनों के गुणों का मेल हो पाए और फिर प्रेम और दृढ़ता के साथ किये काम में सफलता मिले।

फेरों के दौरान
विवाह के दौरान जब महिला और पुरुष फेरों के लिए खड़े होते हैं, तब भी महिलाओं का बायां तथा पुरुषों का दायां हाथ आपस में मिलवाया जाता है। ताकि जीवन के हर कदम और प्रेम सद्भाव के साथ ही दृढ़ता और एक-दूसरे पर निर्भरता बनी रहे।
रस्मों का महत्त्व
अब तो आप समझ ही गए होंगे कि हमारे जीवन में रस्मों-रिवाजों का एक अलग महत्त्व होता है। ये ना केवल हमें धर्म के प्रति जागरूक करते हैं बल्कि इनके वैज्ञानिक महत्त्व भी होते हैं। अगर आपको ये आर्टिकल पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूलें
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