ट्रांसवेजाइनल स्कैन (Trans Vaginal Scan), स्कैन का एक प्रकार है। जिसमें स्कैनर या प्रोब को योनि के भीतर डालकर यूट्रेस को स्कैन किया जाता है। हालांकि, यह स्कैन आपको काफी थोड़ा अजीब सा लग सकता है या फिर आपको शर्म महसूस हो सकती है, मगर प्रेगनेंसी से लेकर यूट्रेस से जुड़ी कई समस्याओं के लिए ट्रांसवेजाइनल स्कैन करवाया जाता है।
अधिकांश डॉक्टर इस बात को मानते हैं कि गर्भावस्था की शुरुआत में योनि के जरिये यानि कि ट्रांसवेजाइनल स्कैन (टीवीएस) करवाना सुरक्षित है। अभी तक इस स्कैन से जुड़ी ऐसी कोई समस्याएं सामने नहीं आई हैं, जो सीधे तौर पर ट्रांसवेजाइनल स्कैन की वजह से उत्पन्न हुई हों। आइए जानते है कि कि ट्रांसवेजाइनल स्कैन किन स्थितियों में कराया जा सकता है।
ट्रांसवेजाइनल स्कैन (टीवीएस) क्या होता है? योनि के जरिए अल्ट्रासाउंड स्कैन यानि ट्रांसवेजाइन स्कैन (टीवीएस) योनि के अंदर प्रोब या ट्रांस्ड्यूसर डालकर किया जाता है। प्रोब से निकलने वाली ध्वनि तरंगे शिशु को छूकर जब लौटती है तो प्रोब इन तरंगो को अवशोषित करता है, ताकि कम्प्यूटर स्क्रीन पर आपके शिशु की बड़ी तस्वीर को दिखा सके। यह बड़ी तस्वीर डॉक्टर को यह पता लगाने में मदद करती है कि आपकी गर्भावस्था में सब ठीक-ठाक चल रहा है। ट्रांसवेजाइनल स्कैन (टीवीएस) क्या होता है? योनि के जरिये अल्ट्रासाउंड स्कैन यानि ट्रांसवेजाइन स्कैन (टीवीएस) योनि के अंदर प्रोब या ट्रांस्ड्यूसर डालकर किया जाता है। इस पूरे विधि में करीब 15 से 20 मिनट का समय लगता है।
इन स्थितियों में किया जाता है:
- भ्रूण की मौजूदगी का पता लगाना।
- छठे सप्ताह तक पहली बार शिशु की दिल की धड़कन का पता लगाना।
- अस्थानिक गर्भावस्था होने या न होने का पता लगाने में मददगार।
- गर्भावस्था में यदि आपको स्पॉटिंग या रक्तस्त्राव हो रहा हो, तो उसके कारणों का पता लगाना।
ट्रांसवेजाइनल स्कैन में डॉक्टर आपकी योनि के भीतर नए और कीटाणुमुक्त (स्टेराइल) आवरण (शीट) से ढका हुआ प्रोब डालेंगी। यह उपकरण वैसे तो दिखने में कंडोम की तरह दिखता है। डॉक्टर या नर्स आमतौर पर शीट का पैकेट आपके सामने की खोलते हैं, ताकि आप आश्वस्त हो सकें कि यह नया और कीटाणुमुक्त है।
कब होता है ये स्कैन?
अगर डॉक्टर 10 सप्ताह की गर्भावस्था से पहले आपका अल्ट्रासाउंड करवाना चाहें, तो शायद आपको ट्रांसवेजाइनल स्कैन करवाना होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि गर्भावस्था की शुरुआत में आपका शिशु बहुत छोटा और आपके पेट में बहुत नीचे की तरफ होता है, इसलिए इसे पेट पर से किए जाने वाले स्कैन में स्पष्ट रूप से नहीं देखा जा सकता। ट्रांसवेजाइन स्कैन करने पर डॉक्टर आपकी योनि के जरिये गर्भाशय के भीतर देख सकते हैं।
गर्भावस्था में क्यों होता है जरुरी?
- आपका गर्भपात का इतिहास रहा है।
- आपका अस्थानिक गर्भावस्था (एक्टोपिक प्रेग्नेंसी) का इतिहास रहा है।
- अगर आपका फर्टिलिटी ट्रीटमेंट चल रहा है।
- आपको दर्द है।
- अगर लगातार रक्तस्त्राव की समस्या हो रही है
क्या ये सुरक्षित है?
माना जाता है कि न तो प्रोब से और न ही अल्ट्रासाउंड तरंगों से आपको या आपके शिशु को कोई नुकसान पहुंचता है। कुछ होने वाली मांओं को स्कैन के बाद खून के धब्बे (स्पॉटिंग) आ सकते हैं। ऐसा ग्रीवा के संवेदनशील होने की वजह से होता है। प्रोब को अंदर डालते समय ग्रीवा की छोटी रक्त वाहिकाएं टूट सकती हैं। यह स्पॉटिंग आमतौर पर गुलाबी या भूरे रंग की होती है। हालांकि, यदि आपको ज्यादा और चटक लाल रंग का रक्तस्त्राव हो, और साथ में पेट के निचले हिस्से में मरोड़ हो रहे हों, तो अपनी डॉक्टर से संपर्क करना जरुरी है।
क्या इसमें होता है दर्द?
योनि के भीतर प्रोब आसानी से जा सके और गर्भाशय और भ्रूण की अधिक स्पष्ट तस्वीर मिल सके, इसके लिए जैल का भी इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, यह स्कैन आपको काफी थोड़ा अजीब सा लग सकता है या फिर आपको शर्म महसूस हो सकती है, मगर यदि आप आरामपूर्वक रहेंगी, तो आपको स्कैन के दौरान कोई दर्द या असहजता नहीं होगी।
फायब्रोइड का मालूम करने के लिए
फायब्रोइड या रसौली ऐसी गांठें होती हैं जो कि महिलाओं के गर्भाशय में या उसके आसपास उभरती हैं। बहुत सी महिलाओं को तो पता ही नहीं होता है कि उन्हें फायब्रोइड या रसौली है क्यों कि उनमें ऐसे कोई लक्षण ही नहीं होते हैं। कभी-कभार जांच के दौरान पता चल जाता है कि वे रसौली का शिकार हैं। और ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड के जरिए इन रसौली का आसानी से मालूम किया जा सकता है।