पवन यादव बने महाराष्ट्र के पहले ट्रांसजेंडर एडवोकेट, जानें कितना कठिन रहा उनका सफर

हेल्लो दोस्तों आज का समय पहले की तुलना में काफी ज्यादा बदल चुका है आज लोग छोटी-छोटी बातों पर उतना ध्यान नहीं देते जितना एक समय पर दिया करते थे। आज के समय पर लोगों ने बहुत सी बातों को लेकर अपना नजरिया बदल लिया है। लेकिन अफसोस है कि आज के समय पर भी हमारे देश में लोगों का ट्रांसजेंडर को लेकर नजरिया बिल्कुल नहीं बदला है आज भी कुछ लोग हमारे देश में ट्रांसजेंडर को घृणा के भाव से ही देखते है और आज भी समाज में उन्हें कम ही आंका जाता है। इतना ही नहीं इन्हे आज भी समाज में कई तरह के नामों से बुलाया जाता है। Pawan Yadav First Transgender Advocate

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लेकिन अब धीरे धीरे समय बदल रहा है ट्रांसजेंडर अपने आप को सम्मान और हक दिलाने के लिए खुद ही आगे आ रहे हैं और हर क्षेत्र में अपने साथियों के लिए दरवाजे खोल रहे हैं। जैसा की अभी पवन यादव ने किया। पवन यादव ने महाराष्ट्र के पहला ट्रांसजेंडर एडवोकेट बन कर ट्रांसजेंडरों के लिए मिसाल कायम कर दी है। गौरतलब है पवन यादव देश की दूसरी और महाराष्ट्र की पहली ट्रांसजेंडर एडवोकेट हैं

पवन यादव बने महाराष्ट्र के पहले ट्रांसजेंडर एडवोकेट :

पवन यादव महाराष्ट्र के पहले ट्रांसजेंडर एडवोकेट बन गए है। एलएलबी करने के बाद पवन यादव अधिवक्ता बने हैं। ट्रांसजेंडर समाज को नई पहचान दिलाने वाले महाराष्ट्र के पवन यादव का कहना है कि ट्रांसजेंडर को हमेशा आम समाज से सम्मान नहीं मिला लेकिन ट्रांसजेंडर में इतनी क्षमता है कि वो हर क्षेत्र में काम कर सकते है।

पवन यादव को पढ़ाई में आईं मुश्किलें :

आज के समय पर भले सभी लोग पवन यादव को जानते है क्योंकि पवन यादव एक नया इतिहास रच चुके हों लेकिन उनका यहां तक पहुंचने का सफर बहुत ज्यादा कठिन रहा है। पवन का कहना है कि पढ़ाई से लेकर समाज के व्यवहार तक हर चीज में उन्हें आसमानता झेलनी पड़ी है हर समय उन्हें अहसास कराया गया कि वह औरों से अलग है। पवन का कहना है कि जब उन्होंने एलएलबी के लिए फॉर्म भरा तो उन्होंने ट्रांसजेंडर के कॉलम पर टिक किया।

First Transgender Advocate of Maharashtra
First Transgender Advocate of Maharashtra

लेकिन जब उनका फॉर्म कॉलेज पहुंचा तो उनका एडमिशन रोक दिया गया। जिसके बाद पवन ने कॉलेज प्रशासन और कॉलेज के ट्रस्टी से मुलाकात कर उनसे बात की। उसके बाद उनका एडमिशन एक स्पेशल कोटे के तहत हुआ। इतना ही नहीं कॉलेज के दौरान पवन को कॉलेज में आम लड़कों की तरह रहना पड़ा जिसे की उनकी पहचान छुपी रहे और वह अच्छे से अपनी पढ़ाई कर सकें।

14 वर्ष की उम्र में हुआ लैंगिक शोषण :

आखिर किन्नर पवन एडवोकेट ही क्यों बनना चाहते थे, इस सवाल पर वह बताते हैं कि जब वह 14 साल के थे तभी उनका लैंगिक शोषण हुआ. उन्हें न्याय कहीं से नहीं मिला, उन्हें हर तरफ से दुत्कारा गया तभी उन्होंने सोच लिया था कि वह एक दिन वकील बनेंगे और किन्नर समाज के लिए कानूनी लड़ाई लड़ेंगे और हर एक को न्याय दिलाने की कोशिश करेंगे और यहीं कोशिश आज उनकी रंग लाई है और वह अब एक किन्नर एडवोकेट के तौर पर जाने जाएंगे.

पवन यादव के मुताबिक किन्नर समाज के लोग आज हर फील्ड में कुछ कर गुजरने की आजमाइश कर रहे हैं और उनके समाज में लगातार ऐसे लोग शामिल हो रहे हैं जो किन्नर के बारे में लोगों की धारणाओं को बदलने का काम कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि एक दिन ऐसा आएगा जब किन्नर समाज के लोगों को भी अच्छी नजर से देखा जाएगा, उनका तिरस्कार नहीं किया जाएगा और उनका भी समाज में एक स्थान होगा. वो सरकार से भी अपने लिए इस सम्मान पाने की लड़ाई को लड़ेंगे और इन्हें भी अधिकार मिले इनका एक पहचान पत्र बनाया जाए इसके लिए वह लगातार प्रयास करने वाले हैं. फिलहाल किन्नर एडवोकेट पवन यादव अब मुंबई की दिंडोसी कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू करने जा रहे हैं और जल्द ही लोगों को न्याय दिलाने का काम शुरू करेंगे.

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बनाई अपनी अलग पहचान :

आपको बता दें कि पवन मुंबई के गोरेगांव के रहने वाले है और वो एक ट्रांसजेंडर होने के बाद आज के समय पर एडवोकेट है इसे लेकर पवन का कहना हैं आज वो एक एडवोकेट बने है तो सिर्फ अपने मां -बाप की वजह से। पवन बताते है कि उनके माता पिता को बचपन से ही उनके ट्रांसजेंडर होने के कारण बहुत सारी चीजें सुनने को मिलती थी। लेकिन वो वह हर बात को सह लेते थे ये सब देखकर पवन को बुरा लगता था उन्होंने ये सब सहने के बाद मन में ये ठान लिया की वो कुछ ऐसा करेंगे जिसे उनके माता पिता का नाम रोशन होगा। जिसे आज उन्होंने आज सच कर दिखाया।

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