हेल्लो दोस्तों दुनियाभर में मसालों के बादशाह कहे जाने वाले एमडीएच (MDH) के मालिक महाशय धर्मपाल (Mahashay Dharampal Passes Away) जी का आज तड़के दिल की गति रुकने से निधन हो गया। उन्होंने सुबह करीब साढ़े 5 बजे 98 की उम्र में अंतिम सांस ली।
आपको बता दें कि वह कुछ दिनों पहले कोरोना पॉजिटिव हो गए थे जिससे वह उबर भी गए थे लेकिन बाद में उनकी तबियत बिगड़ती गई. उनका इलाज चनन देवी अस्पताल में चल रहा था.
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अपने व्यापार का खुद ही एड करने वाले महाशय जी का भारतीय उद्योग में दिया हुआ योगदान हमेशा याद किया जाएगा। पिछले साल उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मभूषण से नवाजा था।
एमडीएच मसाले की कंपनी ब्रिटेन, यूरोप, यूएई, कनाडा सहित दुनिया के कई देशों में भारतीय मसालों का निर्यात करती है. भारत सरकार ने उन्हें देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से 2019 में सम्मानित किया था.

संघर्षपूर्ण जीवन :
महाशय धर्मपालजी ने 27 मार्च, 1923 को पाकिस्तान के सियालकोट में जन्म लिया था। 1947 के बंटवारे के बाद जब वह भारत आये थे तब उनके पास महज़ 1500 रुपये थे। शुरूआती समय में उन्होंने घोडा टेंगा चलाकर अपने परिवार को पाला था।
इसके बाद उनकी कड़ी मेहनत का नतीजा थी दिल्ली के करोल बाग में उनकी मसालों की दुकान। फिर धीरे धीरे एक मामूली दुकानदार से दुनियाभर में नाम कमाने वाले महाशय धर्मपाल बन गए थे।
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एक छोटी सी दुकान से मसालों का कारोबार इतना बड़ा हो गया की आज एमडीएच की भारत और दुबई में करीब 19 फैक्ट्रियां हैं। ये एमडीएच (MDH) के मसाले दुनियाभर में अपनी अलग पहचान रखते हैं। एमडीएच 60 से ज़्यादा तरह के मसाले बनाता है।
आपने अधिकतर एमडीएच के विज्ञापनों में गुलाटीजी को ही देखा होगा, यही ख़ासियत उनकी शख़्सियत की भी थी। एमडीएच आज के समय में उत्तर भारत के मसाला बाजार पर 80 प्रतिशत लोगो की पहली पसंद है।

खुद पांचवी तक पढ़े धर्मपाल शिक्षा के महत्व को खूब समझते थे इसलिए उन्होंने कई स्कूल भी खोले थे. जिस अस्पताल चनन देवी में उनका इलाज चल रहा था वह भी उनका ही बनाया हुआ अस्पताल था. एमडीएच मसाला के एक बयान के अनुसार, धर्मपाल गुलाटी अपने वेतन की लगभग 90 प्रतिशत राशि दान दे दिया करते थे.
आकृति परिवार की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं !