विश्व अंतर्राष्ट्रीय दिवस 8 मार्च को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह महिलाओं के लिए अब एक उत्सव के रूप में बदल गया है। इस मौके पर कई तरह के आयोजन किए जाते हैं, लेकिन इसकी शुरुआत और इतिहास को लेकर भी कई दिलचस्प पहलू हैं। Women in Science Field
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आज महिला दिवस के मौके पर हम आपके लिए लेकर आये हैं ऐसी कई महिला वैज्ञानिक के बारे में जो विभिन्न संस्थानों में नेतृत्व की भूमिका संभालकर देश का मान बढ़ा रही हैं। तो चलिए जानते हैं कौन हैं ये महिलाएं….
विषयसूची :
आनंदीबाई गोपालराव जोशी
आनंदीबाई गोपालराव जोशी का जन्म 31 मार्च 1865 को पुणे में हुआ था। वे भारत की पहली महिला फिजीशयन थीं। शादी जल्दी होने के करह महज 14 साल की उम्र में आनंदीबाई मां बन गई थीं, लेकिन दवाई की कमी के कारण उनके बेटे की मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने दवाईयों पर रिसर्च किया। आनंदीबाई के पति ने उन्हें विदेश जाकर मेडिसिन पढ़ने के लिए प्रेरित किया था। आनंदीबाई ने वुमन्स मेडिकल कॉलेज पेंसिलवेनिया से पढ़ाई की थी।
असीमा चटर्जी
23 सितंबर 1917 को कलकत्ता, बंगाल में एक मध्यवर्गीय परिवार में असीमा चटर्जी का जन्म हुआ था। उनके पिता मेडिसिन डॉक्टर थे। असीमा ने कोलकाता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज से रसायन विज्ञान में स्नातक किया था। भारतीय जैविक रसायन शास्त्री असीमा चटर्जी ने कार्बनिक रसायन और मेडिसिन के क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया था। असीमा ने मिर्गी के दौरे के लिए दवा और एंटी मलेरिया ड्रग्स को विकसित किया था।
बिभा चौधरी
बिभा चौधरी का जन्म कलकत्ता में साल 1913 में हुआ। कलकत्ता विश्वविद्यालय से बिभा ने भौतिक विज्ञान में एमएससी की डिग्री हासिल करने वाली वह पहली महिला थीं। इसके बाद होमी जहांगीर भाभा और विक्रम साराभाई के साथ काम किया। बिभा चौधरी ने देवेन्द्र मोहन बोस के साथ मिल कर बोसोन कण की खोज की।
कमला सोहोनी
कमला सोहोनी का जन्म 14 सितंबर 1912 के दिन इंदौर में हुआ था। कमला सोहोनी प्रोफेसर सी वी रमन की पहली महिला स्टूडेंट थीं और कमला सोहोनी पहली भारतीय महिला वैज्ञानिक भी थीं जिन्होंने PhD की डिग्री हासिल की थी। कमला सोहोनी ने ये खोज की थी कि हर प्लांट टिशू में ‘cytochrome C’ नाम का एन्जाइम पाया जाता है।
नंदिनी हरिनाथ
बेंगलुरु में इसरो सैटेलाइट सेंटर की रॉकेट वैज्ञानिक नंदिनी ने 20 साल पहले यहां नौकरी शुरू की थी। इस दौरान वह 14 मिशन पर काम कर चुकीं हैं। वह मंगलयान मिशन के लिए डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर भी थी। कई दशकों पहले टीवी की दुनिया के प्रसिद्ध अमेरिकी विज्ञान कथा मनोरंजन कार्यक्रम, स्टार ट्रेक, उनके लिए, विज्ञान का पहला प्रदर्शन था।
रितु करिधल
रितु इसरो में एक वरिष्ठ वैज्ञानिक के तौर पर काम कर रही हैं। वह चंद्रयान -2 की मिशन डायरेक्टर भी रही हैं। साथ ही वह मार्स ऑर्बिटर मिशन की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर भी रही। लेकिन रितु करिधल चंद्रयान-2 की शुरुआत करने वाली महिला के रूप में पहचानी जाती हैं। उन्हें भारत के मंगल मिशन को डिजाइन करने के लिए भी काफी सराहना मिली थी। इसरो में 22 साल से कांम कर रही रितु को साल 2007 में यंग साइंटिस्ट अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
डॉ. गगनदीप कांग
गगनदीप रॉयल सोसायटी ऑफ लंदन और अमेरिकन एकेडमी ऑफ माइक्रोबॉयोलॉजी की फेलो बनने वाली पहली भारतीय महिला है। वह ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट की एक्सेक्यूटिव डायरेक्टर हैं। देश में डायरिया रोकने के लिए भारतीय बच्चों के लिए रोटावायरस वैक्सीन विकसित करने का श्रेय डॉ. गगनदीप कांग को जाता है। अब वह टाइफाइड निगरानी नेटवर्क और हैजा के लिए एक रोडमैप तैयार कर रही हैं।
डॉ. टेसी थॉमस
डिफेंस रिसर्च एंड डिवैलपमेंट ऑर्गनाइजेशन में वैमानिकी प्रणाली की डायरेक्टर जनरल डॉ. टेसी थॉमस ने लंबी दूरी की मिसाइल प्रणालियों के लिए गाइडेड योजना तैयार की है, जिसका उपयोग सभी अग्नि मिसाइलों में किया जाता है। उन्हें साल 2001 में अग्नि आत्मनिर्भरता पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने अग्नि-4 की प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में काफी पहचान बनाई। वह अग्नि-5 मिसाइल प्रणाली प्रोजेक्ट डायरेक्टर भी थीं।
डॉ. चंद्रिमा शाह
डॉ. चंद्रिमा शाह भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी की पहली महिला अध्यक्ष है। वह राष्ट्रीय इम्यूनोलोजी संस्थान, दिल्ली में प्रोफेसर ऑफ एमिनेंस हैं। उन्होंने 80 से अधिक शोध पत्र भी लिखे, साथ ही उन्होंने भ्रूण प्रत्यारोपण (Embryo transplant) पर भी काफी काम किया है।
डॉ. अनुराधा टी.के
इसरो सैटेलाइट सेंटर में जियोसैट प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ. अनुराधा टी.के उपग्रहों की निगरानी का काम करती हैं। उन्होंने इसरो संचार उपग्रह जीसैट-12 को विकसित करने और लांच करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अनुराधा ने सितंबर 2012 में जीसैट -10 के लॉन्च का नेतृत्व किया। इसरो में उन्होंने प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में जीसैट-9, जीसैट-17 और जीसैट-18 संचार उपग्रहों के प्रक्षेपण की सफलता में योगदान दिया।
डॉ. एन. कालीसल्ल्वी
काउंसील ऑफ साइंटिस्ट एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च और सेंट्रल इलेक्ट्रो कैमिक्ल रिसर्च इंस्टीट्यूट की डायरेक्टर डॉ. एन. कालीसल्ल्वी इस पदभार को संभालने वाली पहली महिला हैं। डॉ. कालीसल्ल्वी अब तक 125 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत कर चुकी हैं। उन्हें कोरिया के ब्रेन पूल फेलोशिप और मोस्ट इंस्पायरिंग वुमन साइंटिस्ट अवार्ड से नवाजा जा चुका है।
डॉ. रंजना अग्रवाल
काउंसील आफ साइंटिस्ट एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च-राष्ट्रीय विज्ञान, टेक्नोलॉजी और विकास अध्ययन संस्थान, नई दिल्ली की डायरेक्टर डॉ. रंजना अग्रवाल ने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से इरिथ्रोमाइसिन बायोसिन्थेसिस पर दो साल रिसर्च की।
उन्होंने कैंब्रिज में कॉमनवेल्थ फेलो, ट्रिनिटी कॉलेज डबलिन, आयरलैंड और यूनिवर्सिटी ऑफ ट्रिस्टे इटली में काम किया। हरियाणा सरकार की तरफ से उन्हें कैंसर का उपचार करने के नए तरीके विकसित करने के लिए रिसर्च ग्रांट दी गई है। डॉ. रंजना ग्रामीण महिलाओं के कौशल विकास की दिशा में भी योगदान दे रही हैं।
ये हैं वो महिलाएं जिन्होंने विज्ञान में के क्षेत्र में अपनी एक खास पहचान बनाई है।
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