नारी शक्ति : कहते हैं कि अगर इंसान के अंदर मेहनत, लगन और काम करने का जज्बा हो तो वह बुलंदियों को छू सकता है. प्रतिभा किसी भी संसाधन की मोहताज नहीं होती है. ऐसा ही एक कारनामा दिल्ली के नजफगढ़ में रहने वाली कृष्णा यादव ने कर दिखाया. कृष्णा यादव (Story of Pickle Factory Owner Krishna Yadav) ने एक छोटे से कमरे में अचार बनाना का काम शुरू किया था और अब वे 100 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार दे रही हैं. अनपढ़ होते हुए भी कृष्णा ने यह कामयाबी का सफर तय किया है.
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कृष्णा यादव ‘श्री कृष्णा पिकल्स’ की मालकिन हैं. और आज 4 लघु इकाइयां चला रही हैं, जिनमें अचार से जुड़े 152 उत्पाद तैयार किए जाते हैं. कृष्णा को यह सफलता इतनी आसानी से नहीं मिली, इसके लिए उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, जिंदगी में कई उतार चढ़ाव आए, तब जाकर वह आज इस मुकाम पर पहुंची हैं.
कई बार ज़िन्दगी में सभी सुविधाएं होने के बाद भी हमें सफलता नहीं मिलती, लेकिन मेहनत और लगन से किसी काम को हम करने की ठान ले तो अपने लक्ष्य को हासिल कर ही लेते हैं। एक ऐसी ही शख्सियत हैं यूपी की कृष्णा यादव, जिन्होंने बिना पढ़ाई किए कठोर परिश्रम और अपनी काबिलियत के दम पर खड़ा किया करोड़ों का बिज़नेस।

बिज़नेस में हुए घाटे से क़र्ज़ में डूबा था परिवार
कृष्णा यादव उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की रहने वाली हैं , जहां उनके पति एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने के साथ ही बिज़नेस भी करते थे। लेकिन किसी कारण से उन्हें व्यापार में भारी घाटा हुआ, जिसकी वजह से कृष्णा यादव को काफी नुकसान हुआ और सब कुछ बर्बाद हो गया।
उनका परिवार क़र्ज़ में डूब गया और घर-मकान बेचने की नौबत आ गई। बिज़नेस में घाटा और नौकरी न होने की वजह से कृष्णा के पति परेशान हो गए, लेकिन तकलीफ के दिनों में कृष्णा ने उनका हमेशा साथ दिया और उनकी हालत को देखते हुए अपने पति से गांव छोड़कर दिल्ली चलने की बात कही। क्योंकि उन्हें महसूस हो गया था कि इस परिस्थति से छुटकारा पाना आसान नहीं।
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500/- रुपए उधार लेकर पहुंचे थे दिल्ली
कृष्णा के पति ने अपने एक दोस्त से 500/- रुपए उधार लेकर अपने परिवार के साथ दिल्ली की तरफ रूख किया और वहां पहुंचकर वे नजफगढ़ रहने लगे। उनके पति को दिल्ली में रोज़गार खोजने के लिए काफी इधर-ऊधर फैक्ट्रियों में भटकना पड़ा।
ऐसे में उनके पति लगातार असफलता मिलने की वजह से तनाव में आने लगे,क्योंकि ऐसी परिस्थिति में अपने परिवार का खर्च चलाना मुश्किल था। तब उन्होंने जैसे तैसे करके एक खेत बट्टे पर लेकर उसमें सब्जी उगाने का काम शुरू कर दिया और बाजार में एक ठेला लगाकर सब्जी बेच कर अपना गुजर बसर करने लगे।

दूरदर्शन चैनल देखकर मिला बिज़नेस आईडिया
कृष्णा एक बार परिवार के साथ बैठकर दूरदर्शन चैनल देख रही थी,जिसमें शहरी और ग्रामीण महिलाओं के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र में लघु उद्योग को लेकर एक प्रोग्राम दिखाया जा रहा था। जिसके बाद कृष्णा ने अपने पति से इससे सम्बंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए कहा। तब कृष्ण ने कृषि विज्ञान केंद्र, उजवा में सब्जियों से अचार व मुरब्बा बनाने का 3 महीने तक प्रशिक्षण लिया, इस प्रशिक्षण के दौरान कृष्णा ने गोभी, गाजर, मिर्ची का अचार बनाना सीखा। परीक्षण पूरा होने पर उन्होंने अपने घर पर 5 kg अचार बनाया और अपने पति से मार्किट में बेचने के लिए कहा।
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सड़क किनारे बेचना शुरू किया था अचार
उनके पति घर के बनाए हुए अचार को दुकान-दुकान जाकर अचार बेचने की कोशिश करने लगे, लेकिन उनके अचार को लोगों ने पंसद नहीं किया, क्योंकि वे अपने अचार को खुले में बेच रहे थे। तब कृष्णा के पति ने घर आकर अपनी पत्नी से कहा मैं इस आचार को मार्किट में नहीं बेच सकता। तब कृष्णा ने अपने पति को समझाया, हिम्मत हारने से कुछ नहीं होगा और उन्होंने सेल्फ मार्केटिंग करना शुरू कर दिया। कृष्णा ने सड़क के किनारे ठेले में सब्जी के साथ-साथ अचार रखकर बेचना शुरू कर दिया।

आचार बेचने की निकाली नई तरकीब
कृष्णा अपने परिवार का खर्च चलाने के लिए एक के बाद एक तरकीब निकालती जा रही थी, परन्तु मुसीबते उनका पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रही थी। कृष्णा जहां सब्जी बेचती थी, वहां पर बहुत कम ग्राहक सब्जी लेने आते थे, जिसकी वजह से उनके अचार की बिक्री नहीं होती। तब कृष्णा हिम्मत ना हारते हुए अपने अचार को बेचने के लिए अपने ठेले के पास लोगों को पानी पिलाने के लिए मटके रख दिए।
जब भी कोई शख्स वहां से गुजरता तो पानी पीने के लिए आता तब कृष्णा पानी पिलाने के साथ ही अचार टेस्ट करवाती और लोगों से बड़े ही प्रेमपूर्वक अचार खरीदने की विनती करती। गुणवत्ता अच्छी होने के कारण धीरे-धीरे उनका अचार बिकना शुरू हुआ और उनका अचार इतना फेमस हो गया की उन्होंने इस कारोबार को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया।
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कृष्णा यादव आज हैं करोड़ों की मालकिन
खुद की कंपनी खड़ा करने के लिए वो काफी समय तक इधर-उधर भटकती रही, लेकिन बिज़नेस को शुरू करने के लिए लाइसेंस का जुगाड़ नहीं हो पा रहा था। तब उनकी पहचान के एक सज्जन ने लाइसेंस बनवाने में मदद की। बस यहीं से कृष्णा की गाड़ी निकल पड़ी… और उन्होंने अपनी ज़िन्दगी में कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। कृष्णा ने “श्री कृष्णा पिकल्स” के नाम से कंपनी शुरू की। ऐसे में आपको जानकर हैरानी होगी की कृष्णा यादव पढ़ी- लिखी न होने के बावजूद भी आज करोड़ों की मालकिन हैं।

मिल चुके हैं कई अवार्ड
– कृष्णा यादव को 8 मार्च 2016 को भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से 2015 में नारी शक्ति सम्मान के लिए चुना गया.
– 2014 में हरियाणा सरकार ने कृष्णा यादव को इनोवेटिव आइडिया के लिए राज्य की पहली चैंपियन किसान महिला अवार्ड से सम्मानित किया.
– सितंबर 2013 में वाइब्रंट गुजरात सम्मेलन में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें किसान सम्मान के रूप में 51 हजार रुपये का चेक देकर सम्मानित किया.
– 2010 में राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने भी एक कार्यक्रम के तहत कृष्णा यादव को बुलाकर उनकी सफलता की कहानी सुनी थी.
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