हेलो फ्रेंड्स , जिंदगी में अगर कुछ कर दिखाने का जज्बा और हौंसला हो तो प्रतिभा किसी साधन की मोहताज नहीं रहती। अपनी हिम्मत और लगन से एक न एक दिन मंजिल जरूर मिल ही जाती है। ऐसी ही मिसाल पेश की है, आंचल गंगवाल ने। आंचल ने एयरफोर्स पायलट (Iaf Fighter Pilot Aanchal Gangwal) बनकर ना सिर्फ सपनें साकार किए बल्कि अपने पूरे परिवार व देश का नाम रोशन कर दिया है।
चाय बेचते हैं आंचल के पिता :
मध्यप्रदेश के नीमच में चाय बेचने वाले की बेटी आंचल गंगवाल (Anchal Gangwal) (24) भारतीय वायुसेना में फ्लाइंग ऑफिसर बन गईं हैं.
आंचल के पिताजी सुरेश गंगवाल मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 400 किलोमीटर दूर नीमच में बस स्टैंड पर पिछले करीब 25 साल से एक छोटी सी चाय की दुकान चलाते हैं.
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फीस भरने के नहीं थे पैसे :
आंचल के परिवार की हालात ठीक ना होने की वजह से कई बार उनके पास फीस भरने के लिए भी पैसे नहीं होते थे। कई बार उनके पिता उधार लेकर फीस भर दिया करते थे
कई बार शहर से बाहर होने का बहाना लगा देते थे। उनके पिता चाहते थे कि आंचल आगे बढ़े, जिसके लिए वह खुद भी कड़ी मेहनत करते थे।
2018 में आंचल ने उन्होंने भारतीय एयरफोर्स का एग्जाम पास किया, जिसके वह अपनी पोस्टिंग का इंताजर कर रही थी। अब आखिरकार एयरफोर्स पायलट के तौर पर नियुक्त हो गई हैं। उन्होंने भारतीय वायुसेना में फ्लाइंग ऑफिसर के पद पर अपना काम शुरू कर दिया है।

उनके पिता ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘आंचल की कमिशनिंग हमारे लिए गर्व का मौका है लेकिन हम वहां जा नहीं सकते क्योंकि कोरोना वायरस के चलते कई प्रतिबंध हैं। ‘
आंचल की सफलता दर सफलता :
- अप्रैल 2017: पुलिस विभाग में उप-निरीक्षक के रूप में चयनित हुई। धार के बाद सागर प्रशिक्षण पर गई। इस पद से अगस्त 2017 में त्यागपत्र दे दिया।
- अगस्त 2017 : आंचल का चयन श्रम निरीक्षक के रूप में हुआ। वह मंदसौर में बतौर श्रम निरीक्षक कई महीनों तक पदस्थ रहीं।
- जून 2018 से जून 2020 तक : एयर फोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट में सफलता हासिल की। चयनित होने वाली मप्र की एकमात्र युवती थीं।
- 30 जून 2018 से हैदराबाद एयर फोर्स एकेडमी पर प्रशिक्षण की शुरुआत हुई। 20 जून 2020 को प्रशिक्षण के बाद दीक्षा परेड हुई।
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हमने हिम्मत नहीं हारी : सुरेश
आंचल को राष्ट्रपति पट्टिका से भी सम्मानित किया जा चुका है। उनके पिता सुरेश ने कहा, ‘हमारे जैसे छोटे वर्ग के लोगों को समस्याएं तो आती हैं लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी और बच्चों को भी नहीं हारने दी।’
आंचल का कहना है कि वह हमेशा से ही सपना देखती थीं कि वो यूनिफॉर्म में अपने माता-पिता के सामने खड़ी हैं, जो आखिरकार सच हो गया है।
प्रैक्टिस पीरियड में पानी नहीं पिया :
ट्रेनर किशन पाल ने बताया, आंचल का सबसे मुश्किल समय तब था जब उसने मुझे बताया कि सर मेरे पास 24 दिन हैं और मुझे 9 कि.लो. वजन कम करना है। वजन घटाने के लिए आंचल ने 3 दिन तक प्रैक्टिस की और इस पीरियड में पानी तक नहीं पिया।

दो नौकरी छोड़ चुकी है आंचल :
बता दें कि आंचल कम्प्यूटर साइंस ग्रैजुएट हैं। एयरफोर्स में आने से पहले वह एमपी पुलिस डिपार्टमेंट में सब इंस्पेक्टर का काम भी कर चुकी हैं
उन्होंने कुछ दिन बाद वह नौकरी छोड़ दी। फिर उनका चयन लेबर इंसपेक्टर के रूप में हुआ लेकिन उसका मकसद फोर्स में जाना था इसलिए उन्हें यह नौकरी भी छोड़नी पड़ी।
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2013 की घटना से मिली प्रेरणा :
आंचल हमेशा से ही भारतीय वायुसेना का हिस्सा बनना चाहती थी। 2013 में आई केदारनाथ आपदा के समय जिस तरह से भारतीय डिफेंस फोर्सेस ने वहां फंसे लोगों की रक्षा की उसे देखकर आंचल को वायुसेना से जुड़ने का ख्याल आया था।
इसके बाद से ही वह अपने सपने को साकार करने में लग गई। कई बार उन्हें असफलता का मुंह भी देखना पड़ा लेकिन वह निराश नहीं हुई और आगे बढ़ती गई।
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