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हेल्लो दोस्तों वे लोग काफी खुशकिश्मत होते हैं जिनके खुद के घर होते हैं। जिनके पास अपनी खुद की एक पहचान होती है। जैसे कि हमारे देश में ऐसे कई निवासी हैं जिनके पास खुद की संपत्ति है। इसके अलावा देश के इन सभी नागरिकों को शिक्षा का अधिकार, कही भी घूमने-फिरने का अधिकार, खुद का रोजगार या फिर नौकरी करने का अधिकार प्राप्त है।
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लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर किसी व्यक्ति या फिर किसी खास समुदाय के लोगों को ये बेहतरीन सुविधा और ये अधिकार ना मिल पा रहे हैं तो उनका जीवन कैसा होगा और उनके जीवन में इसकी वजह से क्या फर्क पड़ रहा होगा। हम बात कर रहे हैं रिफ्यूजी यानी शरणार्थी की। अगर आप इनके बारे में नहीं जानते तो कोई बात नहीं ।
बता दें पूरी दुनिया में 8 करोड़ महिलाएं, बच्चे और पुरुष शरणार्थी के तौर पर अपना जीवन बिता रहे हैं। हर वर्ष 20 जून को दुनिया भर में वर्ल्ड रिफ्यूजी डे मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थियों के साहस को सम्मान देने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। आज हम आपको अपने इस ब्लॉग के जरिए के बारे में बताएंगे विश्व शरणार्थी दिवस का इतिहास? क्यों मनाया जाता है यह दिवस? क्या है इसका महत्व?
विषयसूची :
विश्व शरणार्थी दिवस का इतिहास
History Of World Refugee Day
दुनिया भर में हर साल 20 जून को वर्ल्ड रिफ्यूजी डे के तौर पर मनाया जाता है, लेकिन आपको बता दें कि पहले यह इस दिन नहीं मनाया जाता था। 4 जून 2000 को संयुक्त राष्ट्र संघ यानी UN ने इसे मनाने की घोषणा की। इसे मनाने के लिए 17 जून तारीख तय की गयी। इसके अगले साल, 2001 में संयुक्त राष्ट्र ने पाया कि इस वर्ष 1951 के शरणार्थियों की स्थिति से संबंधित कन्वेंशन (1951 Convention relating to the Status of Refugees) के 50 साल पूरे हो चुके हैं, जिसके बाद यह दिन 17 की बजाय 20 जून को पूरे विश्व में मनाया जाने लगा। तब से ही हर साल यह दिन 20 जून को ही मनाया जाता है।
इस दिन को मनाने का मुख्य कारण लोगों में जागरुकता फैलानी है कि कोई भी इंसान अमान्य नहीं होता फिर चाहे वह किसी भी देश का हो। एकता और समंवय की भावना रखते हुए हमें सभी को मान्यता देनी चाहिए। म्यांमार, लीबिया, सीरिया, अफगानिस्तान, मलेशिया, यूनान और अधिकांश अफ़्रीकी देशों से हर साल लाखों नागरिक दूसरे देशों में शरणार्थी के रूप में शरण लेते हैं। संयुक्त राष्ट्र की संस्था युएनएचसीआर रिफ्यूजी लोगों की सहायता करती है।
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विश्व शरणार्थी दिवस क्यों मनाया जाता है
Why Celebrate World Refugee Day
दुनिया भर में एक बड़ी संख्या में शरणार्थी (Refugee) रहते हैं। इनके साथ आए दिन प्रताड़ना, संघर्ष और हिंसा जैसी कई चुनौतियों के कारण इनको अपना देश छोड़कर बाहर भागने को मजबूर होना पड़ता है। जिसके बाद इन सभी को कईं देशों में पनाह मिल जाती है। वहीं, कई देशों से इनको निकाल भी दिया जाता है। बेशक इन्हें पनाह मिल जाए, लेकिन वो सम्मान और अधिकार नहीं मिल पाते। हर साल ‘वर्ल्ड रिफ्यूजी डे’ मनाने का मुख्य उद्देश्य शरणार्थी के साहस, शक्ति और संकल्प के प्रति सम्मान व्यक्त करना है। इसके साथ ही इस दिन को मनाये जाने का एक अन्य उद्देश्य शरणार्थियों की बुरी दुर्दशा की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना और उनकी समस्याओं का हल करना है। आपको बताते चले कि म्यांमार, लीबिया, सीरिया, अफगानिस्तान, मलेशिया, यूनान और अधिकांश अफ़्रीकी देशों के लाखों नागरिक हर साल दूसरे देशों में शरणार्थी के रूप में शरण लेते हैं। जिसमें संयुक्त राष्ट्र की संस्था युएनएचसीआर (UNHCR) रिफ्यूजी लोगों की सहायता करती है।
विश्व शरणार्थी दिवस कैसे मनाया जाता है?
How Celebrate World Refugee Day
बहुत सारे अंतर्राष्ट्रीय संगठन और NGO’s इस अवसर पर अनेक गतिविधियाँ आयोजित करता है जैसे की :-
- इस दिन शरणार्थी स्थलों के हालात का जाएज़ा लेते है।
- शरणार्थियों और उनकी समस्याओं से संबंधित फिल्मों का प्रदर्शन।
- जो शरणार्थियों किसी कारणवश गिरफ्तार हो गये हैं उसकी आज़ादी के लिए विरोध प्रदर्शन भी करते है।
- जेल में बंद शरणार्थियों के लिए सही चिकित्सकीय सुविधा और नैतिक समर्थन उपलब्ध कराने के लिए रैलियाँ निकलते है।
- विश्व शरणार्थी दिवस दुनिया भर के शरणार्थियों के दुखों और तकलीफों को दुनिया से रूबरू करने का दिन है।
विश्व शरणार्थी दिवस का उद्देश्य
World Refugee Day Motive
आपको बतादे की यह दिवस उन लोगों के साहस, शक्ति और संकल्प के प्रति सम्मान जताने के लिए माना जाता है जो हिंसा, संघर्ष, युद्ध और प्रताड़ना के चलते अपना घर और देश छोड़ने को मजबूर हो गए हैं या यूं कहें जो लोग अपना देश छोड़कर बाहर भागने को मजबूर हो गए हैं। शरणार्थियों की परिस्थितियों पर लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है ताकि इस समस्या का हल निकाला जा सके।
विश्व शरणार्थी दिवस 2022 की थीम्स
World Refugee Day 2022 Theme
हर साल विश्व शरणार्थी दिवस की थीम्स के जरिए विश्व के तमाम लोगों को इसके बारे में जागरूक किया जाता है। पिछले साल कोरोना वायरस के बीच UN ने विश्व शरणार्थी दिवस ‘World Refugee Day’ 2022 के थीम का विषय ‘टूगैदर वी हील, लर्न एंड शाइन’ (साथ में स्वस्थ रहना, सीखना और चमकना) रखा है। कोविड महामारी ने हमें सिखा दिया है कि हम साथ रहकर किसी भी बीमारी को हरा सकते है। संयुक्त राष्ट्र स्पष्ट करता है कि इन शरणार्थियों को उनकी इस दयानीय स्थितियों के कारण काफी नुकसान उठाना पड़ता है, जिनसे वे गुजरते हैं। यह हम जैसे अन्य लोगों की जिम्मेदारी है कि हम उनके साथ खड़े हों ताकि वे फिर खड़े हो सकें।
Years | Theme |
---|---|
वर्ष 2022 का थीम | Together we heal, learn and shine |
वर्ष 2021 का थीम | Together we can achieve anything (हम सब मिलकर कुछ भी हासिल कर सकते हैं) |
वर्ष 2020 का थीम | Every Actions Counts (हर क्रिया मायने रखती है) |
वर्ष 2019 का थीम | Take A Step on World Refugee Day (शरणार्थियों से हमारा वैश्विक रिश्ता है) |
वर्ष 2018 का थीम | Now More Than Ever, We Need to Stand with Refugees (अब से कहीं ज्यादा, हमें शरणार्थियों के साथ खड़े होने की जरूरत है) |
वर्ष 2017 का थीम | Embracing Refugees to celebrate our Common Humanity (शरणार्थियों को हमारी आम मानवता का जश्न मनाने के लिए गले लगाओ) |
वर्ष 2016 का थीम | We stand together with refugees (हम शरणार्थियों के साथ मिलकर खड़े हैं”) |
वर्ष 2015 का थीम | With courage let us all combine (साहस के साथ, हम सभी को गठबंधन करते हैं) |
वर्ष 2014 का थीम | Migrants and Refugees: Towards a Better World (प्रवासियों और शरणार्थियों: एक बेहतर दुनिया के लिए) |
वर्ष 2013 का थीम | Take 1 minute to support a family forced to flee (पलायन करने को मजबूर किसी परिवार की 1 मिनट के लिए सहायता करें।) |
वर्ष 2012 का थीम | 1 family torn apart by war is too many (युद्ध के अलावा एक परिवार फटा हुआ बहुत अधिक है) |
वर्ष 2011 का थीम | One Refugee without Hope Is Too Many (आशा के बिना एक शरणार्थी बहुत अधिक है) |
वर्ष 2010 का थीम | 1 refugee forced to flee is too many (एक शरणार्थी फिसलने के लिए मजबूर होना बहुत अधिक है) |
वर्ष 2009 का थीम | Home (घर है) |
विश्व शरणार्थी दिवस का महत्व
Importance Of World Refugee Day
यह दिवस मुख्य रूप से विश्व के उन सभी लोगों के लिए एक संवेदना के रूप में मनाया जाता है जो कभी अपने खुद के देश में खुद के घर में खुश थे, लेकिन उत्पीड़न और अपने ही देश में कई प्रकार से प्रताड़ित होने के कारण अपना घर मजबूरी में छोड़ना पड़ता है। दुनिया भर में ऐसी काफी घटनाएं हुई हैं जहाँ के निवासियों को मजबूर होकर अपना देश अपना घर और अपना सब कुछ छोड़ना पड़ता है। हर साल इस दिन को मनाया जाता है, ताकि लोग उन शरणार्थियों को याद कर सकें और उनके द्वारा सहन किए गए दर्द और पीड़ा से जुड़ सकें। इसके अलावा यह दिन कुछ ऐसे शरणार्थियों को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है, जिन्हें युद्ध या किसी अन्य संघर्ष की स्थिति में कठिन दिन और रात बिताने के लिए मजबूर किया गया, जिसमें उनकी कोई गलती नहीं थी।
यह हमेशा से रहा है, कि राष्ट्रों ने युद्ध किया है लेकिन उनकी आम जनता को भुगतना पड़ा है। दुनिया भर में लाखों शरणार्थी इसके उदाहरणों में शामिल हैं। आज भी, सीरिया से बहुत सारे शरणार्थी आजीविका की तलाश में और फिर से एक नया जीवन शुरू करने की उम्मीद में पास के विभिन्न देशों में चले जाते हैं। इनमें कई लोग ऐसे हैं जिनका अपनी जगह बड़ा नाम होता था, लेकिन अब वे अपने बच्चों को खिलाने के लिए भीख मांगने को मजबूर हैं। इसी कारण से यूएन हर साल इस दिवस को मना कर पूरे विश्व को जागरूक करता है कि ऐसे लोगों कि मदद के लिए देश अपने हाथ आगे बढ़ाएं और इन लोगों के बच्चों के भविष्य में अपनी मुख्य भूमिका निभाएं।
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