
हेल्लो दोस्तों हर साल विश्व फोटोग्राफी दिवस (World Photography Day) 19 अगस्त को मनाया जाता है। कहते हैं एक तस्वीर हजारों शब्दों के बराबर होती है, यही कारण है व्यक्ति अपनी रचनात्मकता को बिना किसी शब्द के बयान कर देता है। विश्व फोटोग्राफी दिवस के अवसर पर सभी फोटोग्राफर एक दूसरे को विश्व फोटोग्राफी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं सन्देश भेजते हैं।
फोटोग्राफी हम सभी के जीवन में बहुत अहमियत रखती है, हम जब भी कोई त्यौहार, ख़ास दिन, या ख़ास व्यक्ति के साथ होते हैं, तो फ़ोटो ज़रूर लेते हैं। फोटो हमारी यादों को सजों कर रखती हैं, खूबसूरत पलों को ताज़ा कर देती हैं, हमारे सालों पुराने किस्सों को भी जीवंत बना देती हैं। फ़ोटो बस एक कागज़ का टुकड़ा न होकर एक जीवन के हजारों अहसास हैं…
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जीवन में कुछ ऐसे अनमोल लम्हें होते हैं, जिनके बारे में लगता है कि काश ये पल यहीं ठहर जाए। समय को रोक पाना तो हमारी मुट्ठी में नहीं है, लेकिन हमारे हाथों में जो एक चीज अक्सर साथ होती है, वह है मोबाइल। हम मोबाइल में कैमरा ऑन करते हैं और उस पल को हमेशा के लिए कैद कर लेते हैं।
एक समय था, जब कैमरा काफी महंगा हुआ करता था, लेकिन अब तो यह आपकी जेब में पड़े मोबाइल में सिमट चुका है। किसी की बर्थडे पार्टी हो, शादी या अन्य समारोह हो या फिर हम किसी टूर पर निकले हों… तस्वीरों के माध्यम से ही हम अपनी खुशियों को सहेज पाते हैं।
विषयसूची :
क्यों मनाया जाता है फोटोग्राफी डे :
‘वर्ल्ड फोटोग्राफी डे’ आज के दिन इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि आज ही के दिन 19 अगस्त, 1839 को फ्रांस की सरकार ने फोटोग्राफी के आविष्कार की घोषणा की थी और इसका पेटेंट प्राप्त किया था। इसी दिन की याद में ‘वर्ल्ड फोटोग्राफी डे’ यानी ‘विश्व फोटोग्राफी दिवस’ मनाया जाता है। आपको यह पता भी नहीं होगा कि फोटोग्राफी की शुरुआत कितनी पहले हो गयी थी…

फोटोग्राफी का इतिहास बहुत पुराना है, सन 1837 में फोटोग्राफी का अविष्कार तब हुआ जब फ्रेंचमैन लुई डागुएरे और जोसेफ नाइसफोर निपसे ने पहली बार पहली बार फोटोग्राफिक प्रक्रिया “डॉगोरोटाइप” (Daguerreotype) को अपनाया। ये दोनों फ्रांस के रहने वाले थे। 9 जनवरी, 1839 को, फ्रेंच एकेडमी ऑफ साइंसेज (French Academy of Sciences) ने इस प्रक्रिया की घोषणा की, और बाद में उसी वर्ष में, फ्रांसीसी सरकार ने आविष्कार के लिए पेटेंट खरीदा और इसे दुनिया को एक उपहार के रूप में दिया।
पहली रंगीन फोटो कब ली गई :
पहली ब्लैक-इन-वाइट फोटो सन 1816 में नाइसफोर नीपसे ने सेंट हेलेना (St Helena) में सिल्वर क्लोराइड की मदद से कागज पर छोटे कैमरे से नेपोलियन की तस्वीर कैप्चर की। नाइसफोर नीपसे ने सन 1822 में इस प्रक्रिया को हेलियोग्राफी (heliography) नाम दिया। वहीं पहली रंगीन तस्वीर वर्ष 1861 में ली गई थी और पहली डिजिटल कैमरा के आविष्कार के 20 साल पहले 1957 में पहली डिजिटल तस्वीर का आविष्कार किए जाने की भी अटकलें हैं।
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अगर आधिकारिक तौर पर देखें तो इस दिन की शुरुआत 2010 में हुई थी. इस दिन को ऑस्ट्रेलिया के एक फोटोग्राफर ने ख़ास बनाया था. उसने अपने साथी फोटोग्राफरों के साथ मिलकर इस दिन इकट्ठा होने और दुनियाभर में इसका प्रचार प्रसार करने का फैसला किया. इसी दिन उन्होंने 270 फोटोग्राफरों की तस्वीरों को पहली बार ऑनलाइन गैलरी के जरिए पेश किया. अब हर साल इन तस्वीरों की संख्या बढ़ती जा रही है. आज फोटोग्राफरों का हुनर पूरी दुनिया देख रही है. फोटोग्राफी करने वाले अच्छी तस्वीरों के लिए अलग-अलग जगहों का भ्रमण कर रहे हैं. अपने द्वारा ली गई तस्वीरों को वह अपने ब्लॉग आदि पर डाल रहे हैं.

विश्व फोटोग्राफी दिवस का महत्व :
19 अगस्त वह दिन है जब फोटोग्राफी का शौक रखने वाले लोग जागरूकता बढ़ाने और फोटोग्राफी के क्षेत्र में विचारों को साझा करने के लिए एक साथ आते हैं। यह अनौपचारिक छुट्टी फोटोग्राफी की रचनात्मकता और बारीकियों का उत्सव है जो दशकों से लोगों को मोहित कर रही है। प्रौद्योगिकी में विभिन्न प्रगति के साथ, हमने वर्षों में फोटोग्राफी के कई अलग-अलग तरीकों को देखा है।
रोलांड बार्थेस अपनी पुस्तक, कैमरा लुसिडा में, वे फोटोग्राफी के अर्थ और इसके विभिन्न तरीकों के बारे में बात करते हैं। उन्होंने उल्लेख किया है कि क्या तस्वीर अनंत के लिए पुन: पेश करती है केवल एक बार हुई है। फोटोग्राफ यंत्रवत् दोहराता है जो कभी भी अस्तित्व में नहीं दोहराया जा सकता है। और यह इस दोहराव की प्रकृति में है कि हम फोटोग्राफी की सराहना करते हैं।
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भारत के सबसे सर्वश्रेष्ठ फोटोग्राफर में से एक रघुराय ने कहा है कि, ‘फोटो लेने के लिए पहले से कोई तैयारी नहीं करता. मैं उसे उसके वास्तविक रूप में अचानक कैंडिड रूप में ही लेना पसंद करता हूं. लेकिन असल चित्र तकनीकी रूप में कितना ही अच्छा क्यों न हो, वह तब तक सर्वमान्य नहीं हो सकता जब तक उसमें विचार नहीं है. एक अच्छी पेंटिंग या अच्छा चित्र वही है, जो मानवीय संवेदना को झकझोर दे. कहा भी जाता है कि एक चित्र हजार शब्दों के बराबर है.’