आज-कल की भागदौड़ वाली लाइस्टाइल में कई लोग मुख्य रूप से महिलाएं माइग्रेन की शिकार हो रही हैं और चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांति आने के बावजूद आज भी माइग्रेन का संतोषजनक इलाज नहीं हो पा रहा है। हालांकि यूएस फूंड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन(एडीएफ) ने बोटूलिनम टॉक्सिन (बोटॉक्स) को मंजूरी दे दी है, जिससे मरीजों का सिरदर्द 50 फीसदी कम हो सकता है। वैज्ञानिकों के हाल के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि बोटॉक्स उन मरीजों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा जो महीने में 15 या उससे अधिक दिनों तक सिरदर्द का शिकार रहते हैं। Remedies for Migraines Pain
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माइग्रेन कोई मामूली सिरदर्द नही होता है इसमें व्यक्ति की हालत ऐसी हो जाती है की उसमें किसी भी काम को करने की शक्ति नही रहती है उसके बाद उसे डॉक्टर के पास ले जाना ही पड़ता है। माइग्रेन को “थ्रॉबिंग पेन इन हेडेक” भी कहा जाता है जिसमें ऐसा लगता है की जैसे सिर पर हथौड़े पड़ रहे है इसमें आँखों के सामने आड़ी-तिरछी लाइनें दिखाई देती है, जी घबराने लगता है और सिर में असहनीय दर्द होता है। माइग्रेन से ग्रस्त व्यक्ति को अक्सर सिरदर्द की समस्या होती है यह दर्द आँख, कान, नाक और कनपटी के पीछे होता है वैसे यह दर्द सिर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। माइग्रेन से पीड़ित कुछ लोगों की देखने की क्षमता भी कम हो जाती है।
माइग्रेन होने की एक वजह शरीर का बढ़ता वजन भी हो सकता है। ड्रेक्सेल मेडिकल यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन के मुताबिक जिन महिलाओं के शरीर मुख्य रूप से पेट के आसपास चर्बी अधिक होती है उनमें पतली कमर वाली महिलाओं के मुकाबले माइग्रेन होने की अधिक संभावना होती है। जिन महिलाओं के शरीर में अधिक चर्बी होती है और वे सिरदर्द की शिकार रहती हैं, तो वे अपना वजन घटाकर माइग्रेन से मुक्ति पा सकती हैं। माइग्रेन से बचने के लिए महिलाओं को अपना वजन नियंत्रण में रखना चाहिए और इसके लिए उन्हें बैलेंस्ड डाइट और बेकरियों और बाजार में मिलने वाले जंक फूड तथा मेंटल टेंशन से खुद को दूर रखना चाहिए।
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माइग्रेन की दूसरी वजह एलर्जी भी हो सकती है। अमेरिकी हेडएक सोसायटी के मुताबिक एलर्जी से पीड़ित अधिकांश लोगों में माइग्रेन की शिकायत होती है। चिकित्सा विशेषज्ञों के मुताबिक एलर्जी के दौरान शरीर से हिस्टामिन और अन्य रसायनों का स्राव होने के कारण सिरदर्द होता है। सिनसिनाटी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के शोध में यह भी पाया गया कि एलर्जी के इलाज में खाई जाने वाली दवाइयों से माइग्रेन की समस्या में 50 फीसदी से अधिक कम होती है।
आजकल के प्रदूषण और मौसम से एलर्जी होने की संभावना अधिक है। यदि आप एलर्जी के शिकार हैं, तो आपको अपने घर के अलावा आस-पास के इलाके भी साफ-सुथरे रखने चाहिए। मुख्य रूप से धूल-मिट्टी वाली जगहों पर जाने से बचें। यही नहीं, आपको खान-पान पर भी ध्यान देना होगा। बाहर खुले में बिकने वाले फूड से बचें और घर से बाहर जाते वक्त मुंह और नाक पर कपड़ा बांध लें। क्योंकि कई भार धूल और मिट्टी हमारे नाक में चली जाती है और यही आगे जाकर एलर्जी की वजह बनते हैं।
हार्वर्ड गजट की रिपोर्ट के मुताबिक तापमान में अचानक होने वाले उतार-चढ़ाव भी आपकी माइग्रेन की समस्या को बढ़ा सकते हैं। मुख्य रूप से तापमान बढ़ने पर माइग्रेन की समस्या बढ़ जाती है। ऐसे में आपको गर्मी मुख्य रूप से धूप से बचना चाहिए और आस-पास के माहौल को साफ-सुथरा बनाए रखें।
एक शोध में यह बात भी सामने आई है कि कई महिलाओं ने गर्भनिरोधक गोलियां लेने का बाद माइग्रेन से राहत मिलने की बात स्वीकार की है। उनका कहना है कि उन्हें एक्टिव गर्भनिरोधक गोलियां खाने के बाद सिरदर्द से राहत मिली है।
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