जानलेवा हो सकते हैं निमोनिया के ये लक्षण, न करें नजरअंदाज

हेल्लो दोस्तों निमोनिया वायरस से होने वाला एक संक्रमण है, जिसके लक्षण हल्के और गंभीर दोनों तरह के हो सकते हैं. गंभीर होने की स्थिति में निमोनिया जानलेवा भी हो सकता है. कई बार व्यक्ति इन लक्षणों को सामान्य फ्लू समझकर नजरअंदाज कर देता हैं. लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यदि निमोनिया को समय रहते नियंत्रित न किया जाए तो ये गंभीर रूप ले सकता है. इसके कारण व्यक्ति की जान भी खतरे में पड़ सकती है. लोगों को इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 12 नवंबर को वर्ल्ड निमोनिया डे (World Pneumonia Day) मनाया जाता है. जानिए इस बीमारी से जुड़ी खास बातें. Home Remedies for Pneumonia

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निमोनिया क्या है :

यह एक संक्रामक बीमारी है जो खांसने, छींकने, छूने और सांस के जरिए फैल सकती है. निमोनिया के दौरान व्यक्ति को वायरस या बैक्टीरिया की वजह से फेफड़ों में संक्रमण हो जाता है. इस दौरान वायुकोष में तरल जमा हो जाता है, जिससे सांस लेने में समस्या होने लगती है. इसके कारण बुखार, बलगम वाली खांसी और ठंड लगने जैसे लक्षण सामने आते हैं. यदि समय रहते लक्षणों को पहचानकर इलाज ​नहीं किया गया तो निमोनिया गंभीर रूप भी ले सकता है. ऐसी स्थिति में मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आ सकती है, साथ ही स्थिति जानलेवा भी हो सकती है.

इस बीमारी में रोगी के फेफड़ों के अंदरूनी हिस्सों में संक्रमण हो जाने के कारण उन भागों में सूजन आ जाती है और शरीर के अंदरूनी भागों के कोष्ठकों में द्रव इकट्ठा होने लगता है और यह बीमारी है ज्यादातर बच्चों और बूढ़ों में उत्पन्न होती है क्योंकि बच्चों और बूढ़ों में इम्यूनिटी कम होने के कारण यह रोग उनको जल्दी अपनी चपेट में लेता है और यह एक घातक बीमारी है जिसका समय पर इलाज न होने से रोगी की मृत्यु हो सकती है.

Home Remedies for Pneumonia
Home Remedies for Pneumonia

निमोनिया की वजह :

निमोनिया की मुख्य वजह बैक्टीरिया या वायरस है. ये बैक्टीरिया नाक और मुंह के जरिए वायुमार्ग से फेफड़ों में जाते हैं. यदि ​इम्यून सिस्टम मजबूत हो तो शरीर इन बैक्टीरिया को निष्प्रभावी कर देता है, लेकिन इम्यून सिस्टम कमजोर होने पर ये बैक्टीरिया हावी हो जाता है और एक ही समय में एक या दोनों फेफड़ों को प्रभावित कर सकता है. कई बार निमोनिया का बैक्टीरिया शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित कर सकता है. ऐसे में अस्पताल में भर्ती करने की नौबत भी आ सकती है. इसलिए इसके लक्षणों को सामान्य समझकर टालने की गलती न करें.

ये होते हैं लक्षण :

तेज बुखार

छाती में दर्द

मितली या उल्टी

दस्त

सांस लेने में कठिनाई

थकान और कमजोरी

कफ के साथ खांसी आदि

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किनको होता है खतरा :

निमोनिया की समस्या वैसे तो बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है. लेकिन सबसे ज्यादा इसका खतरा 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को, 2 साल से कम उम्र के बच्चों को होता है. इसके अलावा जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर हो, जिन्हें सांस या दिल की बीमारी हो, जिनके किसी अंग का ट्रांसप्लांट हुआ हो, कीमोथैरेपी चल रही हो, एड्स की समस्या हो, उन्हें निमोनिया होने की आशंका सामान्य लोगों की अपेक्षा ज्यादा होती है.

कब करें डॉक्टर से संपर्क :

सांस लेने में दिक्कत महसूस हो रही हो, सीने में दर्द हो, बुखार 102 या इससे ज्यादा हो, लगातार खांसी आ रही हो, कफ और बलगम आ रहा हो, बलगम गाढ़ा हरा या पीले रंग का हो, तो देर किए बगैर विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए. शुरुआती स्थिति में इसे दवाओं के जरिए ठीक किया जा सकता है, लेकिन अगर ये गंभीर हो गया तो ​हालात चिंताजनक हो सकते हैं.

Home Remedies for Pneumonia
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निमोनिया के जोखिम से बचाने में मददगार हैं ये घरेलू नुस्खे :

हल्दी –

हल्दी में एंटी-सेप्टिक और एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं. इसके सेवन से ब्रोन्कियल नलिकाओं से बलगम और पित्त को हटाने में मदद मिलती है. रोजाना सुबह खाली पेट एक कप गुनगुने पानी में थोड़ी सी हल्दी और अदरक डालकर उबालें. इसमें एक चुटकी सेंधा नमक डालें. इसे चाय की तरह पीएं. इसे पीने से इम्यून सिस्टम मजबूत होने के साथ कई तरह के संक्रमण से बचाव होता है. सर्दियों में आप कच्ची हल्दी का इस्तेमाल कर सकते हैं।

तुलसी –

तुलसी के पत्तों मेंं एंटी-बैक्टीरियल तत्व होते हैं जो खांसी, जुकाम, सर्दी जैसी समस्याओं से छुटकारा दिलाते हैं और सांस प्रणाली को बेहतर बनाते हैं. रोजाना एक कप पानी में तुलसी के कुछ पत्ते डालकर उबालें, इसमें चौथाई चम्मच काली मिर्च पाउडर डालें और थोड़ी सी अदरक डालें. इसके बाद छान लें और थोड़ा शहद डालकर पीएं. रोजाना इस ड्रिंक को पीने से निमोनिया से बचाव होता है।

शहद –

शहद में भी एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी-ऑक्सिडेंट होते हैं. रोजाना सु​बह और शाम को गर्म पानी में अदरक को उबालें. इसमें थोड़ा नींबू डालें और शहद डालें. छानकर इस पानी को चाय की तरह पीएं. इससे निमोनिया से होने वाले कफ और कोल्ड में आराम मिलता है।

गरारा –

यदि कफ और कोल्ड की स्थिति नजर आए तो गरारे लेना शुरू कर देना चाहिए. गरारे गुनगुने पानी से करें और पानी में थोड़ा सेंधा नमक जरूर डालें. इससे गले की खराश, गले में दर्द और न्यूमोनिया के कारण होनेवाली निरंतर खांसी कम हो सकती है।

भाप –

इस समस्या को बढ़ने से रोकने के लिए भाप भी काफी मददगार है. आजकल बाजार में स्टीमर आ रहे हैं, जिसमें पानी भरकर आप आराम से भाप ले सकते हैं. यदि नीलगिरि का तेल डालकर भाप लें तो जल्दी आराम मिलता है. अगर नहीं है तो पानी में अजवाइन डालकर भाप ले सकते हैं।

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बचाव के लिए क्या करें :

हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी से धोएं. कुछ खाने या पीने से पहले भी हाथों को साफ करें।

खांसते या छींकते समय अपनी नाक और मुंह को ढक लें। इस्तेमाल किए गए कपड़ों को तुरंत हटा दें और अपने हाथों को धो लें।

इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए एक हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाएं।

हेल्दी फूड खाएं और नियमित रूप से योग, प्राणायाम और एक्सरसाइज करें।

निमोनिया और फ्लू से बचाव के लिए कुछ वैक्सीन उपलब्ध हैं, इन्हें लगवाकर इस जोखिम से बच सकते हैं।

स्मोकिंग न करें, ये आपके फेफड़ों को बीमार बनाता है. स्मोकिंग करने वालों के लिए निमोनिया की स्थिति खतरनाक हो सकती है।

Home Remedies for Pneumonia
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निमोनिया में आहार – क्या खाएं और क्या न खाएं – Diet for Pneumonia

निमोनिया होने पर विटामिन-सी से भरपूर आहार को डाइट में जगह देना फायदेमंद साबित हो सकता है। इसमें कुछ इस तरह के खाद्य पदार्थ शामिल हो सकते हैं।

क्या खाएं :

खरबूजा, संतरे, अंगूर, कीवी फल, आम और पपीता खा सकते हैं।

अनानास, स्ट्रॉबेरी, रसभरी, ब्लूबेरी, क्रैनबेरी व तरबूज का सेवन करें।

हर्बल चाय, सूप और शोरबा भी ले सकते हैं, जो विटामिन- सी से समृद्ध होते हैं। इनमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबायोटिक गुण भी होते हैं, जो निमोनिया से छुटकारा दिला सकते हैं।

क्या न खाएं :

पका हुआ ठंडा गोश्त

अधिक नमक

दूध के उत्पाद

तले हुए खाद्य पदार्थ

कार्बोनेटेड युक्त ठंडा पानी

एसिडिक खाद्य पदार्थ और पेय

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क्या-क्या करना चाहिए :

रोगी को गर्म वस्त्र पहनने चाहिए व पांव गर्म रखना चाहिए

रोगी को ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए और उससे खुश रखने की कोशिश करनी चाहिए

रोगी की पीठ पर सरसों के तेल की मालिश करनी चाहिए व गर्म कपड़े से सेंकना चाहिए

रोगी को गर्म कमरे में रखना चाहिए जहां से हवा आती-जाती रहे

रोगी को अधिक दर्द होने पर सफेद तेल की मालिश करनी चाहिए

क्या नहीं करना चाहिए :

रोगी को बंद कमरे में नहीं रखना चाहिए

रोगी घूमने-फिरने और शारीरिक परिश्रम करने से बचना चाहिए

बच्चों और कमजोर बुजुर्गों के पास ज्यादा लोगों को बैठने को आने जाने नहीं देना

रोगी को ठंडे पानी में स्नान नहीं करना चाहिए

रोगी को बारिश के मौसम व ज्यादा ठंड में बाहर नहीं जाना चाहिए

रोगी को ज्यादा भारी व जोर लगाने का काम नहीं करना चाहिए

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