3 से 5 साल तक के बच्चों के दांत में लगे कीड़े को इन 7 घरेलु उपचारों से करें दूर | Dant mein keeda ka gharelu upay

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बच्चों के दांत कीड़ों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं और उन्हें देखभाल की आवश्यकता होती है। अगर आप अपने बच्चे को मिठाई और कैंडी कम देते हैं तो भी कीड़े उसके दांतों (Dant mein keeda ka gharelu upay) में लग सकते हैं। आपके बच्चे के दांतों की नियमित स्वच्छता उनके दांतों पर कीटाणुओं को बनने से रोकने में मदद कर सकती है। 3-5 वर्ष की आयु के बच्चों में कीड़े के काटने की आशंका अधिक होती है। क्या आपने कभी सोचा है कि बड़े बच्चों या वयस्कों की तुलना में केवल 3-5 साल के बच्चों के दांतों (dant mein kide ka karan) पर ज्यादा कीड़े क्यों लगते हैं।

बच्चों के दांतों में कीड़े क्यों लगते हैं (daant mein keede kyu lagate hain)

बच्चों के दांतो का एनिमल पतला और नरम होता है। इन पर कैविटी बड़ी आसानी से बन सकती है और इसी वजह से दूध के दांतों में कैविटी (bachho ke daant mein keeda lagana) होने का खतरा बढ़ जाता है। बड़े होने पर भी यह दांतों में परेशानी पैदा कर सकता है। इसलिए जरूरी है कि बचपन से ही दांतो की खास देखभाल की जाए।

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दिन भर मीठी चीजें खाने से दांत ज्यादा खराब होते हैं और बच्चों को मीठा खाना बहुत पसंद होता है। जब भी मीठा खाने के बाद बच्चे पानी पीते हैं तो यह और भी ज्यादा नुकसानदेह हो जाता है। स्टार्च और शुगर वाले फूड बच्चे के मुंह में लंबे समय तक रहते हैं जो दांतों के लिए बेहद हानिकारक होते हैं इसलिए बच्चों को कैंडी और टॉफी जैसी सख्त चींज़े कम से कम मात्रा में देनी चाहिए। बचपन से ही दांतों पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। यह लेख बताता है कि 3-5 साल की उम्र के बच्चों के दांतों में कीड़े क्यों होते हैं (bachho ke teeth mein kide ka ilaj) और उनके दांतों की सुरक्षा कैसे करें।

दांत में कीड़े लगने के प्रमुख कारण (daant mein keede ka karan)

  • आवश्यकता से ज्यादा मीठी चीजें खाना
  • नियमित ब्रशिंग और फ्लॉसिंग नहीं करना
  • ज्यादा गर्म या ज्यादा ठंडी चीजें खाना
  • फास्ट फूड या ऑयली चीजें खाना
  • अधिक मात्रा में चॉकलेट, कैंडी, या टॉफी खाना
  • खाने में पर्याप्त न्यूट्रिशन ना लेना
  • मैग्नीशियम, कैल्शियम, और विटामिन डी की कमी होना
Dant mein keeda ka gharelu upay
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बच्चों के दांतों में कीड़े लगने के लक्षण (daant mein keede ka lakshan)

जब बच्चों के दांतों में कीड़े लगना शुरू होते हैं तो शुरुआती दौर में कुछ लक्षण दिखाई देते हैं जैसे-जैसे समस्या बढ़ने लगती है तो दांतो में तेज दर्द भी होने लगता है। कीड़े लगने की वजह (daant mein keede ka lakshan) से बच्चों के दांतों में यह लक्षण दिखाई देते हैं:

  • दांतो में तेज दर्द होना
  • गर्म ठंडा या मीठा खाने पर दांतों में झनझनाहट होना
  • दांतो में छेद दिखाई देना
  • दांतो में कालापन दिखाई देना
  • चबाते समय दर्द होना
  • चेहरे या कान के आसपास सूजन
  • हल्का बुखार आना

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दांतों में कीड़े हटाने के उपाय (daant mein keeda ka gharelu upay)

आइए जानते हैं कि कौन से घरेलू तरीकों (daant mein keede ka upchar) को अपनाकर आप बच्चे के दांत में लगे कीड़ों से छुटकारा पा सकते हैं।

नियमित फ्लॉसिंग करवाएं

बच्चों को बचपन से ही दांतो को साफ रखने की आदत डालनी चाहिए। दिन में दो बार बच्चों को ब्रश करवाएं और नियमित फ्लॉसिंग भी करवाएं।

हल्दी का करें इस्तेमाल

जब भी दांतों में कीड़े लगने की समस्या हो तो हल्दी पाउडर को सरसों के तेल में (home remedies for baby teeth cavity) अच्छी तरह मिलाकर बच्चों के दांतो में इस पेस्ट से ब्रश करवाएं। इस मिश्रण से दिन में दो बार ब्रश करने से दांतों में लगे कीड़े मर जाएंगे साथ ही दांतो में होने वाले दर्द से भी छुटकारा मिलेगा।

फिटकरी का इस्तेमाल

यदि दांत में कीड़े लगे हैं तो रोजाना फिटकरी को गर्म पानी में घोलकर बच्चों को कुल्ला करवाएं। इससे दांत में लगे कीड़े भी मर जाएंगे और सांसो से आने वाली बदबू भी खत्म हो जाएगी। 5 दिनों तक नियमित सुबह-शाम ऐसा करके देखे, आपको जल्द लाभ मिलेगा।

हींग का करें इस्तेमाल

हींग को हल्का गर्म कर लें और फिर उसे रुई की सहायता से बच्चे के कीड़े लगे दांतों में लगाएं। रोजाना ऐसा करने से दांतों में लगे कीड़े की परेशानी दूर हो जाएगी। ब्रश कराने के बाद बच्चों के दांत पर हींग को थोड़ी देर लगा कर रखें।

दालचीनी का इस्तेमाल

दांतों में कीड़े की समस्या से छुटकारा पाने के लिए दालचीनी का तेल (tooth cavity home remedy) बहुत ही लाभदायक है। दालचीनी के तेल की कुछ बूंदे रुई में लगाकर प्रभावित क्षेत्र पर रखने से जल्द आराम मिलता है। इसमें एक एंटीबैक्टीरियल गुण होता है जो दांतो में लगे बैक्टीरिया का खात्मा करता है।

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लौंग का तेल

दांतों में कीड़े को रोकने के लिए लौंग का तेल भी बहुत अच्छा होता है। लौंग के तेल को रोई में भिगोकर प्रभावित स्थान पर थोड़ी देर के लिए लगा रहने दें या इससे मसूड़ों और दांतों की मसाज भी कर सकते हैं, इससे भी जल्दी आराम मिलता है।

नीम का इस्तेमाल

हालांकि नीम का स्वाद कड़वा होता है लेकिन दांतों की सड़न को रोकने के लिए (daant mein kide ka ilaj) नीम का इस्तेमाल किया जा सकता है। अध्ययनों से पता चला है कि नीम की छाल और पत्ती के अर्क में पाए जाने वाले जीवाणुरोधी गुण, कैविटी और मसूड़ों की बीमारी को रोक सकते हैं।

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