08 नवंबर को है विनायक चतुर्थी व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व

हेल्लो दोस्तों हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि तो विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। मान्यता है कि इस तिथि पर गणेश जी की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति की हर मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही गणपति बप्पा का आशीर्वाद भी हमेशा बना रहता है। विनायक चतुर्थी के दिन पूरे विधि-विधान के साथ व्यक्ति गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए व्रत करता है। इस माह विनायक चतुर्थी 08 नवंबर 2021, दिन सोमवार को पड़ रहा है। Vinayak Chaturthi 2021

ये भी पढ़िए : गणेश महोत्सव: जानिये आखिर क्यों किया जाता है गणेश विसर्जन ?

हिन्दू पंचांग के अनुरूप विनायक चतुर्थी हर माह से शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को श्रद्धा भाव से मनाई जाती है हर माह की तिथियों में फेरबदल भी होता है। इस दिन शुभ मुहूर्त में विधिवत तौर तरीके से भगवान श्रीगणेश की पूजा आराधना करने से जीवन के सभी कष्ट, द्वेष, बाधाएं समाप्त होती हैं और जीवन में रिद्धि-सिद्धि और शुभ लाभ के योग सदैव बने रहते हैं। कुछ जगह इसे वरद चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं विनायक चतुर्थी का शुभ मुहू्र्त, पूजा विधि और महत्व-

विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त :

तिथि प्रारम्भ – 07 नवम्बर, दोपहर 04:21 से, 

तिथि समाप्त – 07 नवम्बर, दोपहर 01:16 तक

08 नवंबर को प्रातः 10 बजकर 59 मिनट से दोपहर 01 बजकर 10 मिनट तक।

Vinayak Chaturthi 2021
Vinayak Chaturthi 2021

साल 2021 की मासिक विनायक चतुर्थी पूजन मुहूर्त :

विनायक चतुर्थी पर गणेश पूजा हिंदू कैलेंडर के अनुसार दोपहर में की जाती है। जो इस प्रकार है –

  • जनवरी विनायक चतुर्थी – तिथि – जनवरी 16, 2021, दिन – शनिवार – मुहूर्त समय – प्रातः 11:28 बजे से दोपहर 13:34 बजे तक
  • फरवरी विनायक चतुर्थी (गणेश जयन्ती) – तिथि – फरवरी 15, 2021, दिन – सोमवार – मुहूर्त समय – प्रातः 11:28 बजे से दोपहर 13:43 बजे तक
  • मार्च विनायक चतुर्थी – तिथि – मार्च 17, 2021, दिन – बुधवार – मुहूर्त समय – प्रातः 11:17 बजे से दोपहर 13:42 बजे तक
  • अप्रैल विनायक चतुर्थी – तिथि – अप्रैल 16, 2021, दिन – शुक्रवार- मुहूर्त समय – प्रातः 11:04 बजे से दोपहर 13:38 बजे तक
  • मई विनायक चतुर्थी – तिथि – मई 15, 2021, दिन – शनिवार – मुहूर्त समय – प्रातः 10:56 बजे से दोपहर 13:39 बजे तक
  • जून विनायक चतुर्थी – तिथि – जून 14, 2021, दिन – सोमवार – मुहूर्त समय – प्रातः 10:58 बजे से दोपहर 13:45 बजे तक
  • जुलाई विनायक चतुर्थी – तिथि – जुलाई 13, 2021, दिन – मंगलवार – मुहूर्त समय – प्रातः 11:04 बजे से दोपहर 13:50 बजे तक
  • अगस्त विनायक चतुर्थी – तिथि – अगस्त 12, 2021, दिन – बृहस्पतिवार – मुहूर्त समय – प्रातः 11:06 बजे से दोपहर 13:45 बजे तक
  • सितम्बर विनायक चतुर्थी (गणेश चतुर्थी) – तिथि – सितम्बर 10, 2021, दिन – शुक्रवार – मुहूर्त समय – प्रातः 11:03 बजे से दोपहर 13:33 बजे तक
  • अक्टूबर विनायक चतुर्थी – तिथि – अक्टूबर 9, 2021, दिन – शनिवार – मुहूर्त समय – प्रातः 10:58 बजे से दोपहर 13:18 बजे तक
  • नवम्बर विनायक चतुर्थी – तिथि – नवम्बर 8, 2021, दिन – सोमवार – मुहूर्त समय – प्रातः 10:59 बजे से दोपहर 13:10 बजे तक
  • दिसम्बर विनायक चतुर्थी – तिथि – दिसम्बर 7, 2021, दिन – मंगलवार – मुहूर्त समय – प्रातः 11:10 बजे से दोपहर 13:15 बजे तक

ये भी पढ़िए : वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें पूजा विधि और पारंपरिक कथा !

पूजन विधि :

विनायक चतुर्थी के दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रिया से संपन्न होकर स्नान करें

स्नान करके लाल रंग के वस्त्र पहन लें और भगवान सूर्य को अधर्य प्रदान करें

इसके पश्चात् पूजन विधि मुहूर्त में आरम्भ करें।

पूजन में गणेशजी को लाल रंग के सिन्दूर अर्पित करें और बाद में इस सिन्दूर को अपने मस्तक पर तिलक के स्वरुप लगाएं।

इस दिन भगवान गणेश को मोदक अथवा लड्डू का भोग लगाएं साथ ही भोग लगाकर प्रसाद लोगों में वितरित करें और स्वयं ग्रहण करें।

इस दिन कई लोग पूरे दिन भर उपवास रखते हैं और शाम को सूर्योदय से पहले फलाहार या बाद में भोजन ग्रहण करते हैं।

शाम की आरती में भगवान विष्णु और गणेश के समक्ष सरसों के तेल का दिया जलाएं।

इससे आपके जीवन की सभी विघ्न बाधाएं समाप्त होंगी और घर में रिद्धि-सिद्धि सुख समृद्धि बनी रहेगी।

चन्द्र देव को अर्ग देकर व्रत समाप्त करें।

Vinayak Chaturthi 2021
Vinayak Chaturthi 2021

विनायक चतुर्थी व्रत कथा :

पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन समय की बात है महादेव देवी पार्वती के साथ नदी किनारे बैठे हुए थे. तभी माता पार्वती भोलेनाथ से चौपड़ खेलने को आह्वान करती है. दोनों ने चौपड़ खेलना प्रारंभ किया. अब दोनों के बीच जीत-हार का निर्णय कौन करेगा. इसको लेकर समस्या हुई. इसका समाधान कैलाशपति ने निकाला और एक घास-फूस का बालक बना कर उसमें प्राण प्रतिष्ठा कर दी. उन्होंने उस बालक से कहा कि चौपड़ के इस खेल में जीत-हार का फैसला तुम करना.

खेल प्रारंभ हुआ तो तीन बार माता पार्वती जीत गई, लेकिन बालक ने कहा की महादेव जीते हैं. इससे नाराज होकर माता पार्वती ने बालक को कीचड़ में पड़े रहने का श्राप दे दिया. इस पर बालक माता पार्वती से माफी मांगने लगा और कहा कि उसने ऐसा जानबूझकर नहीं किया है. बालक के माफी मांगने पर देवी पार्वती ने कहा कि आज से एक साल बाद नागकन्याएं इस स्थान पर आएगी. उन नागकन्याओं के बताए अनुसार गणेश चतुर्थी का व्रत करने से तुम्हारे कष्ट खत्म हो जाएंगे. इसके बाद शाप से ग्रस्त बालक ने गणेश चतुर्थी का व्रत किया. श्रीगणेश उसकी उपासना से प्रसन्न हो गए और वर मांगने को कहा.

ये भी पढ़िए : बाईं ओर मुड़ी सूंड वाले गणपति लाते हैं सौभाग्य, जानिए पूजन में क्या करें…

बालक ने कहा कि हे प्रभु! मुझे इतनी शक्ति प्रदान करें कि मैं माता-पिता को देखने कैलाश पर्वत जा सकूं. श्रीगणेश से आशीर्वाद लेकर बालक कैलाश पर्वत पर पहुंच गया. चौपड़ के खेल से देवी पार्वती महादेव से नाराज हो गई थी. उनको मनाने के लिए महादेव ने भी 21 दिन तक गणेश चतुर्थी का व्रत किया और रुठी हुई देवी पार्वती को मनाया. इसके बाद माता पार्वती ने भी अपने पुत्र कार्तिकेय से मिलने के लिए गणेश चतुर्थी का व्रत किया और उनकी यह इच्छा पूर्ण हुई.

कष्‍ट दूर करते गणेश जी :

विनायक चतुर्थी की पूजा करते वक्त भगवान गणेश गणेश जी के इन 10 नामों को पढ़ते हुए 21 दुर्वा उन पर जरूर चढ़ानी चढ़ायें। ॐ गणाधिपाय नम, ॐ उमापुत्राय नम, ॐ विघ्ननाशनाय नम, ॐ विनायकाय नम, ॐ ईशपुत्राय नम, ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नम, ॐ एकदंताय नम, ॐ  इभवक्ताय नम, ॐ मूषकवाहनाय नम,ॐ कुमारगुरवे नम। इससे गणेश जी अपने भक्‍तों को आशीर्वाद देते हैं। इसके अलावा भक्‍तों के कष्‍टों को दूर कर उनके जीवन में खुशियां लाते हैं।

Vinayaka Chaturthi Vrat2
Vinayak Chaturthi 2021

विनायक चतुर्थी का महत्व :

विनायक चतुर्थी को ‘वरद’ विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। ‘वरद’ यानी ‘ईश्वर से किसी चीज़ की कामना करना’। चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को अत्यंत प्रिय है इसलिए इस दिन विधि पूर्वक व्रत करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और व्रती को भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है। भगवान गणेश उसे सद्बुद्धि, विवेक और धैर्य प्रदान करते हैं। ये वे गुण हैं जिनसे कोई व्यक्ति अपने जीवन में प्रगति करता है और अपनी कोई भी इच्छा पूरी कर सकता है।

पौराणिक ग्रंथों में इस व्रत के महत्व की चर्चा विस्तार से की गई है। नरसिंह पुराण और भविष्य पुराण में इस व्रत का उल्लेख किया गया है। भगवान कृष्ण भी युधिष्ठिर को इस व्रत के महत्व के बारे में बताते हैं। इस व्रत को करने से व्रती को भौतिक सुख के साथ-साथ आंतरिक सुख भी मिलता है। उसके जीवन के सभी कष्ट व बाधाएं दूर होती हैं और उसकी प्रगति के मार्ग खुलते हैं। इससे ज्ञान, धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से बुध ग्रह के दुष्प्रभावों में भी कमी आती है।

Leave a Comment