सोमवती अमावस्‍या पर ज़रूर करें ये उपाय, जानिये व्रत कथा, पूजा विधि और धार्मिक महत्‍व

हेल्लो दोस्तों ज्योतिषशास्त्र में जो अमावस्या सोमवार में आती है उसे सोमवती अमावस्या कहा गया है। इस दिन का महत्व हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा है। यह दिन भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन व्यक्ति अपने मृतक रिश्तेदारों की आत्मा की शांति के लिए पवित्र नदी में डुबकी लगाकर प्रार्थना करते हैं। चंद्रा सोमवती अमावस्या में हम अच्छी तरह से पितरों का शांति का पूजा कर सकते हैं। पित्र शांति के लिए उपाय कर सकते हैं। सोमवती अमावस्या को पितृतिथि माना जाता है। Somvati Amavasya Vrat

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इस दिन को पितृ तर्पण से लेकर स्नान-दान आदि कार्यों के लिए काफी शुभ माना जाता है, विवाह, गृहप्रवेश आदि शुभकार्यों का इस तिथि पर पूरी तरह से निषेध है। इस अमावस्या को तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि कार्यों को भी करने का विधान है। इस तिथि को कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए उपवास भी किया जाता है।

Somvati Amavsya Vrat 2021
Somvati Amavasya Vrat

सोमवती अमावस्या की पूजा विधि :

  • सोमवती अमावस्या के दिन ब्रह्ममुहूर्त में किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए और उसके बाद साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
  • इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसलिए एक साफ चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
  • इस दिन मौन व्रत रखा जाता है। इसलिए किसी से बात ना करें।
  • शाम को पीपल के पेड़ के पास जाकर दीपक जला दें। पीपल के वृक्ष के मूल भाग में विष्णु जी, अग्रभाग में ब्रह्मा जी और तने में शिव जी का वास माना जाता है। इसलिए सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है।
  • इसके बाद उन्हें चंदन का तिलक लगाएं और उन्हें पीले फूलों की माला, पीले फूल और ऋतुफल आदि अर्पित करके उनकी विधिवत पूजा करें।
  • भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने के सोमवती अमावस्या की कथा पढ़े या सुनें और भगवान विष्णु की धूप व दीप से आरती उतारें।
  • इसके बाद भगवान विष्णु को पीली मिठाई का भोग लगाएं और अपने पितरों का तर्पण भी करें। इसके साथ ही उनके नाम से दान दक्षिणा भी दें।

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सुहागिनों के लिए क्यों जरुरी है ये व्रत :

सोमवती अमावस्या का व्रत विवाहित स्त्रियाँ अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना के लिए करती हैं इस दिन सुहागिनें व्रत रखकर पीपल के वृक्ष की दूध, पुष्प, अक्षत, चंदन और अगरबत्ती से पूजा-अर्चना करती हैं और उसके चारों ओर 108 धागा लपेटकर परिक्रमा करती हैं तथा भगवान शिव से पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती है. इसलिए सोमवती अमावस्या का व्रत विवाहित स्त्रियाँ जरूरी है.

सोमवती अमावस्या व्रत कथा :

पौराणिक कथा के अनुसार देवस्वामी नाम का ब्राह्मण काँचीपुर नगरी में अपनी पत्नी और सात पुत्रों के साथ रहा करता था। उसने अपने सभी बेटों की शादी कर दी लेकिन, बेटी की शादी नहीं हुई। जिसके लिए लह सुयोग्य वर तलाश कर रहा था।इसके लिए उसने उसकी जन्मपत्री एक ब्राह्मण को दिखाई। एक भिक्षु उनके घर अक्सर भिक्षा मांगने आता था। वह उस व्यक्ति की बहूओ को सुखद वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद तो देता था लेकिन उसने उसकी बेटी को शादी का आशीर्वाद कभी नहीं दिया।

Somvati Amavasya Vrat
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बेटी ने यह बात अपनी मां को बताई तब मां ने इसका कारण भिक्षु से पूछा, लेकिन वह बिना कुछ कहे वहां से चला गया। इसके बाद लड़की की मां ने एक पंडित को अपनी बेटी की कुंडली दिखाई। पंडित ने कहा कि लड़की के भाग्य में विधवा बनने के योग प्रबल है।

मां ने चिंतित होकर इसका निवारण पूछा तो उसने कहा कि लड़की सिंहलद्वीप पर सोमा नाम की धोबिन से सिंदूर लेकर माथे पर लगाकर सोमवती अमावस्या का उपवास करे तो इस अशुभ योग का निवारण हो सकता है। इसके बाद मां के कहने पर वह अपने भाई के साथ सिंघल द्वीप के लिए रवाना हो गया। रास्ते में समुद्र देख दोनों परेशान हो गए और एक पेड़ के नीचे बैठ गए। उस पेड़ पर एक गिद्ध का घोंसला था। मादा गिद्ध जब भी बच्चे को जन्म देती थी, एक सांप उसे खा जाता था। उस दिन नर और मादा गिद्ध बाहर थे और बच्चे घोसले में अकेले थे।

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इस दौरान सांप आया तो गिद्ध के बच्चे जोर-जोर से चिल्लाने लगे। यह देख पेड़ के नीचे बैठी साहूकार की बेटी ने सांप को मार डाला। जब गिद्ध और उसकी पत्नी लौटे, तो अपने बच्चों को जीवित देखकर बहुत खुश हुए और लड़की को धोबिन के घर जाने में मदद की। लड़की ने कई महीनों तक चुपचाप धोबिन महिला की सेवा की।

लड़की की सेवा से खुश होकर धोबिन ने लड़की के माथे पर सिंदूर लगाया। इसके बाद रास्ते में उसने एक पीपल के पेड़ के चारों ओर घूमकर परिक्रमा की और पानी पिया। उसने पीपल के पेड़ की पूजा की और सोमवती अमावस्या का उपवास रखा। इस प्रकार उसके अशुभ योग का निवारण हो गया।

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सोमवती अमावस्या के खास उपाय :

  • इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर शनि मंत्र का जाप करने से शनि पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
  • सुख-समृद्धि के लिए पीपल के पेड़ के चारों ओर 108 बार परिक्रमा करते हुए भगवान विष्णु तथा पीपल वृक्ष की पूजा करने का शास्त्रों में विधान है।
  • सोमवती अमावस्या का व्रत महिलाओं द्वारा संतान के दीर्घायु के लिए किया जाता है।
  • इस तिथि को तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता का नाश होता है और पवित्र नदी, सरोवर और जलाशयों में स्नान करने से भी उत्तम फल की प्राप्ति होती है।
  • इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे रात के समय जाकर एक नारियल लीजिए और वह अपने ऊपर से 7 बार उतारकर उसे पीपल के नीचे ही तोड़ दें। वह नारियल दो टुकड़े हुए तो वहीं पर छोड़ कर आएंं।
  • आपके पास जो सिक्के हैं रुपया दो रुपया 5 या 10 के होते हैं वह सिक्के अपने सर के ऊपर से वार के किसी भी कार्य को दान कर सकते हैं।

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सोमवती अमावस्या का महत्व :

सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन स्नान और दान को अधिक महत्व दिया जाता है। जो भी व्यक्ति इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करता है। उसके सभी पापों का अंत होता है। वहीं इस दिन दान दिया गया दान कई जन्मों तक पुण्यफल के रूप में प्राप्त होता रहता है। सोमवती अमावस्या के दिन पित्तरों के तर्पण को विशेष महत्व दिया जाता है।

माना जाता है कि सोमवती अमावस्या के दिन पित्तरों का तर्पण करने से उन्हें मुक्ति मिलती है। वहीं इस दिन पितरों के नाम से दिया गया दान उन्हें पुण्यफल के रूप में प्राप्त होता है। कुंवारी कन्याएं अगर यह व्रत करें उन्हें अच्छा जीवनसाथी मिलता है।

मार्गशीष मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली यह अमावस्या शीत ऋतु में पड़ रही है। इसलिए इस दिन किसी भी निर्धन व्यक्ति को कंबल का दान देना काफी शुभ माना जाता है। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने के बाद सूर्य देवता को जल अवश्य अर्पित करें और गायत्री मंत्र का जाप करें। इससे आपको गौ दान का फल प्राप्त होगा।

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