कल है सोमवती अमावस्या, जानिये शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा और महत्व

हेलो फ्रेंड्स , आप सभी को पता होगा ही कि इस सोमवार को अमावस्या है जो इस बार सावन मास की अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाती है। जो इस बार 20 जुलाई सोमवार के दिन पड़ रही है। जब अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है तो उसे सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2020) कहते हैं।

पूवर्जों की आत्मा की तृप्ति के लिए इस दिन श्राद्ध रस्मों को करना उपयुक्त माना जाता है। साथ ही कालसर्प दोष निवारण की पूजा के लिए भी अमावस्या का दिन खास होता है। अमावस्या को अमावस या अमावसी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा जल से स्नान कर स्वच्छ हो जाएं। सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें।

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हरियाली अमावस्या पूजा विधि :

इस दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा जल से स्नान कर स्वच्छ हो जाएं। सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें। फिर श्रावणी अमावस्या का उपवास करें और जरूरतमंद लोगों को दान-दक्षिणा दें। श्रावणी अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा का विधान है।

हो सके तो इस दिन पीपल, बरगद, केला, नींबू अथवा तुलसी का वृक्षारोपण जरूर करें। हरियाली अमावस्या के दिन नदी या तालाब में जाकर मछली को आटे की गोलियां खिलाना भी बड़ा ही फलदायी बताया जाता है। अपने घर के पास चींटियों को चीनी या सूखा आटा खिलाएं।

Somvati Amavasya 2020
Somvati Amavasya 2020

हरियाली अमावस्या मुहूर्त :

  • अमावस्या तिथि प्रारम्भ – जुलाई 20, 2020 को 12:10 AM बजे
  • अमावस्या तिथि समाप्त – जुलाई 20, 2020 को 11:02 PM बजे

बन रहा विशेष संयोग :

इस बार सावन माह में कई विशेष संयोग बन रहे हैं। सावन की शुरुआत सोमवार से हुई थी और सोमवार के दिन ही ये महीना खत्म भी होगा। श्रावण पूर्णिमा और अमावस्या भी सोमवार के दिन ही पड़ रही है।

ऐसा संयोग 47 साल बाद बन रहा है। इस साल हरियाली अमावस्या के दिन चंद्र, बुध, गुरु, शुक्र और शनि ग्रह अपनी-अपनी राशियों में रहेंगे। ग्रहों की इस स्थिति का शुभ प्रभाव कई राशियों पर देखने को मिलेगा।

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इस दिन क्या करें?

सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव, पार्वती, गणेशजी और कार्तिकेय की पूजा की जाती है। इस दिन जलाभिषेक करना भी विशेष रूप से फलदायी बताया गया है। कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं। अमावस्या को महिलाएं तुलसी या पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा भी करती हैं।

कई जगह अमावस्या पर पितर देवताओं की पूजा और श्राद्ध करने की भी परंपरा है। सावन हरियाली और उत्साह का महीना माना जाता है। इसलिए इस महीने की अमावस्या पर प्रकृति के करीब आने के लिए पौधरोपण किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन पौधारोपण से ग्रह दोष शांत होते हैं। इस तिथि पर गंगा स्नान और दान का महत्व बहुत है।

Somvati Amavasya 2020
Somvati Amavasya 2020

सोमवती अमावस्या की कथा :

एक गरीब ब्राह्मण परिवार था। उस परिवार में पति-पत्नी के अलावा एक पुत्री भी थी। वह पुत्री धीरे-धीरे बड़ी होने लगी। उस पुत्री में समय और बढ़ती उम्र के साथ सभी स्त्रियो में गुणों का विकास हो रहा था। वह लड़की सुंदर, संस्कारवान एवं गुणवान थी। किंतु गरीब होने के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था।

एक दिन उस ब्राह्मण के घर एक साधु महाराज पधारें। वो उस कन्या के सेवाभाव से काफी प्रसन्न हुए। कन्या को लंबी आयु का आशीर्वाद देते हुए साधु ने कहा कि इस कन्या के हथेली में विवाह योग्य रेखा नहीं है।

तब ब्राह्मण दम्पति ने साधु से उपाय पूछा, कि कन्या ऐसा क्या करें कि उसके हाथ में विवाह योग बन जाए। साधु ने कुछ देर विचार करने के बाद अपनी अंतर्दृष्टि से ध्यान करके बताया कि कुछ दूरी पर एक गांव में सोना नाम की धोबिन जाति की एक महिला अपने बेटे और बहू के साथ रहती है, जो बहुत ही आचार-विचार और संस्कार संपन्न तथा पति परायण है।

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यदि यह कन्या उसकी सेवा करे और वह महिला इसकी शादी में अपने मांग का सिंदूर लगा दें, उसके बाद इस कन्या का विवाह हो तो इस कन्या का वैधव्य योग मिट सकता है। साधु ने यह भी बताया कि वह महिला कहीं आती-जाती नहीं है।

यह बात सुनकर ब्राह्मणी ने अपनी बेटी से धोबिन की सेवा करने की बात कही। अगल दिन कन्या प्रात: काल ही उठ कर सोना धोबिन के घर जाकर, साफ-सफाई और अन्य सारे करके अपने घर वापस आ जाती।

एक दिन सोना धोबिन अपनी बहू से पूछती है कि- तुम तो सुबह ही उठकर सारे काम कर लेती हो और पता भी नहीं चलता। बहू ने कहा- मां जी, मैंने तो सोचा कि आप ही सुबह उठकर सारे काम खुद ही खत्म कर लेती हैं। मैं तो देर से उठती हूं। इस पर दोनों सास-बहू निगरानी करने लगी कि कौन है जो सुबह ही घर का सारा काम करके चला जाता है।

Somvati Amavasya 2020
Somvati Amavasya 2020

कई दिनों के बाद धोबिन ने देखा कि एक कन्या मुंह अंधेरे घर में आती है और सारे काम करने के बाद चली जाती है। जब वह जाने लगी तो सोना धोबिन उसके पैरों पर गिर पड़ी, पूछने लगी कि आप कौन है और इस तरह छुपकर मेरे घर की चाकरी क्यों करती हैं?

तब कन्या ने साधु द्बारा कही गई सारी बात बताई। सोना धोबिन पति परायण थी, उसमें तेज था। वह तैयार हो गई। सोना धोबिन के पति थोड़ा अस्वस्थ थे। उसने अपनी बहू से अपने लौट आने तक घर पर ही रहने को कहा।

सोना धोबिन ने जैसे ही अपने मांग का सिन्दूर उस कन्या की मांग में लगाया, उसका पति मर गया। उसे इस बात का पता चल गया। वह घर से निराजल ही चली थी, यह सोचकर की रास्ते में कहीं पीपल का पेड़ मिलेगा तो उसे भंवरी देकर और उसकी परिक्रमा करके ही जल ग्रहण करेगी।

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उस दिन सोमवती अमावस्या थी। ब्राह्मण के घर मिले पूए-पकवान की जगह उसने ईंट के टुकड़ों से 108 बार भंवरी देकर 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा की और उसके बाद जल ग्रहण किया। ऐसा करते ही उसके पति के मुर्दा शरीर में वापस जान आ गई। धोबिन का पति वापस जीवित हो उठा।

इसीलिए सोमवती अमावस्या के दिन से शुरू करके जो व्यक्ति हर अमावस्या के दिन भंवरी देता है, उसके सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। पीपल के पेड़ में सभी देवों का वास होता है। अतः जो व्यक्ति हर अमावस्या को न कर सके, वह सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या के दिन 108 वस्तुओं कि भंवरी देकर सोना धोबिन और गौरी-गणेश का पूजन करता है, उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

ऐसी प्रचलित परंपरा है कि पहली सोमवती अमावस्या के दिन धान, पान, हल्दी, सिंदूर और सुपाड़ी की भंवरी दी जाती है। उसके बाद की सोमवती अमावस्या को अपने सामर्थ्य के हिसाब से फल, मिठाई, सुहाग सामग्री, खाने की सामग्री इत्यादि की भंवरी दी जाती है और फिर भंवरी पर चढाया गया सामान किसी सुपात्र ब्राह्मण, ननंद या भांजे को दिया जा सकता है।

Hariyali Teej 2020
Somvati Amavasya 2020

हरियाली अमावस्या का महत्व :

धार्मिक और प्राकृतिक महत्व की वजह से श्रावण अमावस्या बहुत ही लोकप्रिय है। इस दिन वृक्षों के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करने के लिए इसे हरियाली अमावस्या के तौर पर जाना जाता है। वहीं धार्मिक दृष्टिकोण से श्रावणी अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए पिंडदान और दान-धर्म करने का महत्व है।

हरियाली अमावस्या हरियाली तीज से तीन दिन पहले मनाई जाती है। उत्तर भारत के विभिन्न मन्दिरों में और खासतौर पर मथुरा एवं वृन्दावन में, हरियाली अमावस्या के अवसर पर विशेष दर्शन का आयोजन किया जाता है।

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भगवान कृष्ण के इन विशेष दर्शन का लाभ लेने के लिये बड़ी सँख्या में भक्त मथुरा में द्वारकाधीश मन्दिर तथा वृन्दावन में बाँकेबिहारी मन्दिर जाते हैं। गुजरात में, हरियाली अमावस्या को हरियाली अमावस तथा हरियाली अमास के नाम से भी जाना जाता है।

पितरों की पूजा :

माना जाता है कि इस दिन पितरों की पूजा करना भी शुभ होता है। ऐसा करने से पितर शांत हो जाते हैं और उन्हें स्वर्ग लोक मिल जाता है। इसलिए हो सके तो आप इस दिन अपने पितरों का पूजन भी करें और गरीब लोगों को भोजन करा दें। जिन लोगों की कुंडली में पितर दोष है वो लोग जरूर इस दिन पितर पूजा करें। उनका ये दोष खत्म हो जाएगा।

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