Sheetla Ashtami Scientific Reason : हेल्लो दोस्तों चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतला माता का पर्व मनाया जाता है जिसे हम शीतला अष्टमी कहते है। इस दिन माता शीतला जी की पूजा की जाता है। इसके एक दिन पहले खाना बनाया जाता है और दूसरे दिन वही खाना खाया जाता है। माना जाता है कि माता शीतला जी की पूजा अर्चना से हमारे सभी रोग दूर होते है। इस दौरान माता शीतला जी को ठंडा भोजन भी चढ़ाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते है इसके पीछे के कारण के बारे में।
होली के एक सप्ताह बाद अष्टमी तिथि को आने वाला शीतला अष्टमी का पर्व राजस्थान में ही नहीं पूरे उतरी भारत में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। हिंदू धर्म की सबसे अहम बात यही है कि यह वैज्ञानिक और आध्यात्मिक है। ये अष्टमी ऋतु परिवर्तन (शीत ऋतु के खत्म होने और ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत) का संकेत देती है, जिसके कारण संक्रामक रोगों का प्रभाव देखा जा सकता है।
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शीतला अष्टमी का वैज्ञानिक कारण :
Sheetala Ashtami Ka Vaigyanik Kaaran
कई सारे अनुसन्धान के बाद वैज्ञानिकों का भी मानना है की इस समय में ठंडा भोजन करने से पेट और पाचन तंत्र को भी लाभ मिलता है. माना जाता है कि मौसम चक्र बदलने की वजह से शरीर इस समय कमजोर हो जाता है। जिसकी वजह से कई मौसमी बीमारियां और संक्रमण हमें चपेट में ले सकता है। इस समय साफ-सफाई पर बहुत ज्यादा ध्यान देकर और ठंडा खाने से इन बीमारियों से बचा जा सकता है। शीतला माता का पूजन करके स्वच्छता और पर्यावरण को सुरक्षित रखने की प्रेरणा मिलती है।

मान्यता है माता शीतला को ठन्डे पकवान चढ़ाने से घर पर माता की कृपा बनी रहती है और घर में चेचक, छोटी माता, बड़ी माता, खसरा और त्वचा संबंधी रोग नहीं आते, अगर ऐसा है तो माता के प्रभाव से जल्द ही ठीक हो जाते हैं. कई लोग ठंडा खाना को बसोड़ा तो कहीं इसे बासी भी कहा जाता है।
बीमारियों से दूर रखता है बसोड़ा :
Basoda Ka Mahatva
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बसोड़ा की परंपराओं के अनुसार, इस दिन भोजन पकाने के लिए अग्नि नहीं जलाई जाती। इसलिए अधिकतर महिलाएं शीतला अष्टमी के एक दिन पहले भोजन पका लेती हैं और सुबह जल्दी उठकर ठंडे पानी से स्नान करके बसोड़े को देवी शीतला को भोग लगाने के बाद बसोड़ा वाले दिन घर के सभी सदस्य इसी बासी भोजन का सेवन करते हैं। माना जाता है शीतला माता चेचक रोग, खसरा आदि बीमारियों से बचाती हैं। मान्यता है, शीतला मां का पूजन करने से चेचक, खसरा, बड़ी माता, छोटी माता, दुर्गंधयुक्त फोड़े, नेत्रों के समस्त रोग जैसी बीमारियां नहीं होती और अगर हो भी जाए तो उससे जल्द छुटकारा मिलता है।

शीतला अष्टमी पर जरुर करें ये काम :
Sheetala Ashtami Ke Upaay
- शीतला अष्टमी के दिन ठंडा भोजन यानी एक दिन पहले का बने भोजन से मां शीतला को भोग लगाया जाता है और उसी भोजन को ग्रहण किया जाता है।
- इस दिन शीतल जल से ही स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से शरीर में शीतलता तो आती ही है साथ ही मां शीतला भी प्रसन्न होती हैं।
- माता शीतला के भोग में मीठे पूए, दही और चावल अवश्य रखें क्योंकि इनके बिना मां शीतला का भोग अधूरा माना जाता है।
- शीतला अष्टमी के दिन अपने घर में झाडू और सूप जरूर लेकर आएं और इनकी पूजा अवश्य करें। इनका उपयोग बिल्कुल भी न करें।
- इस दिन मां शीतला की पूजा होलिका दहन वाले स्थान पर की जाती है। इसलिए वहीं जाकर मां शीतला की पूजा करें।
- मां शीतला की पूजा करने के बाद हल्दी को अपने घर के घर के सभी बच्चों के माथे पर अवश्य लगाएं। ऐसा करने से उनको किसी भी प्रकार का कोई रोग नहीं सताएगा।
- इस दिन किसी भी मंदिर में झाडू और सूप का दान भी किया जाता है। इसलिए यदि संभव हो तो शीतला माता के मंदिर में झाडू और सूप का दान अवश्य करें।
- शीतला अष्टमी के दिन कुम्हारन को प्रसाद के रूप में कुछ न कुछ अवश्य देना चाहिए और साथ ही दक्षिणा भी देनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि जब तक कुम्हारन कुछ नहीं खाती है तब तक शीतला माता की पूजा सफल नहीं होती।
- माता शीतला का वाहन गधा माना जाता है। इसलिए इस दिन यदि संभव हो तो किसी गधे की सेवा अवश्य करें। ऐसा करने से आपको मां शीतला का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
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