शीतला अष्टमी पर क्यों किया जाता है बासी भोजन, जानें तिथि, कथा, महत्व और पूजा विधि

हेलो फ्रेंड्स, हर प्रत्येक वर्ष होली के आठवें दिन यानि चैत्र मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस बार शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami 2021) का व्रत 4 अप्रैल 2021 को पड़ रहा है। इस दिन को बसोड़ा भी कहा जाता है। शीतला अष्टमी के लिए अष्टमी से एक दिन पहले शाम को भी प्रसाद का भोजन जिसे बसौड़ा कहते हैं, बनाकर तैयार कर लिया जाता है और शीतला अष्टमी पर माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है और स्वयं भी प्रसाद के रूप में बासी भोजन किया जाता है।

मान्यता है कि शीतला अष्टमी पर माता शीतला की पूजा करने से चेचक और नेत्रों से संबंधित विकारों से मुक्ति प्राप्त होती है। शीतला अष्टमी पर लोग अपने घरों में चूल्हा नहीं जलाते हैं। इस दिन माता शीतला को दही, राबड़ी, मीठे चावल और पुआ का भोग लगाया जाता है। ये सभी सामान सप्तमी की रात में ही बनाकर रख लिया जाता है। इसके साथ ही अष्टमी तिथि को शीतल जल से ही स्नान किया जाता है।

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मान्यता है कि माता शीतला को शीतल जल और ठंडा भोजन बहुत प्रिय है। इससे माता प्रसन्न होती हैं और आरोग्यता प्रदान करती हैं। तो चलिए जानते हैं कि शीतला अष्टमी पर क्यों लगाते हैं बासी भोजन का भोग, क्या है शीतला अष्टमी का महत्व, शुभ समय, कथा और पूजा विधि।

शीतला अष्टमी मुहूर्त :

अष्टमी तिथि आरंभ – 04 अप्रैल 2021 को सुबह 04 बजकर 12 मिनट से
अष्टमी तिथि समाप्त – 05 अप्रैल2021 को प्रातः जल्दी 02 बजकर 59 मिनट से
पूजा मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 08 मिनट से लेकर शाम को 06 बजकर 41 मिनट तक
पूजा की कुल अवधि- 12 घण्टे 33 मिनट

Sheetala Ashtami 2021
Sheetala Ashtami 2021

शीतला अष्टमी की पूजा विधि :

  • इस दिन सर्वप्रथम सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प करें।  
  • थाली में भोग का सभी सामान दही, पुआ,राबड़ी, सप्तमी को बने मीठे चावल, नमक पारे और मठरी रखें।
  • पूजा की थाली में आटे से बना दीपक, रोली, वस्त्र, अक्षत, हल्दी, मोली, होली वाली बड़कुले की माला, सिक्के और मेहंदी आदि सभी पूजा का सामान रख लें। 
  • यह सारा सामान रखने के साथ ही एक लोटा शीतल जल भी भरकर रखें।
  • माता शीतला की पूजा आरंभ करें, उनके समक्ष दीपक प्रज्वलित करें।
  • रोली और हल्दी से माता का तिलक करें और उन्हें मेहंदी, मोली, वस्त्र आदि सभी चीजें अर्पित कर दें। 
  • इसके बाद माता को शीतल जल और भोग का सामान अर्पित करें। 
  • पूजा के पश्चात बचे हुए जल को सभी सदस्यों को दें और उन्हें आंखो से लगाने को कहें।
  • बाकी के शेष जल को पूरे घर में छिड़क दें। 

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क्यों किया जाता है बासी भोजन :

अष्टमी पर माता शीतला को मुख्य रूप से दही, राबड़ी, चावल, हलवा, पूरी, गुलगुले का भोग लगाया जाता है, लेकिन इस भोजन को सप्तमी तिथि की रात में ही बनाकर रख लिया जाता है। अष्टमी तिथि को घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। माता शीतला को ठंडी चीजों का भोग लगाकर परिवार के सभी सदस्या भी ठंडा भोजन ग्रहण करते हैं, इसके पीछे मान्यता है कि माता शीतला को ठंडा भोजन और शीतल जल प्रिय है। शीतला अष्टमी पर शीतल जल से ही स्नान किया जाता है। शीतला अष्टमी पर बासी खाना खाने के पीछे यह तर्क भी है कि इस दिन के बाद से वातावरण में गर्मी बढ़ने लगती है, जिससे इस दिन पर ही बासी भोजन करने के बाद रात का रखा हुआ भोजन करने की मनाही होती है। 

Sheetala Ashtami 2021
Sheetala Ashtami 2021

शीतला अष्टमी का महत्व :

यह ग्रीष्मकाल का आरंभ हो जाता है और मौसम बहुत तेजी से गर्म होने लगता है। शीतला माता के स्वरूप को शीतलता प्रदान करने वाला माना जाता है। इसके साथ ही माता शीतला का व्रत करने से चेचक, खसरा व नेत्र विकार ठीक होते हैं। यह व्रत रोगों से मुक्ति दिलाकर आरोग्यता प्रदान करता है। 

पौराणिक कथा :

शीतला माता के संदर्भ में प्रचलित एक कथा के अनुसार, एक दिन माता ने सोचा कि धरती पर चल कर देखें कि उनकी पूजा कौन-कौन करता है। माता एक बुढ़िया का रूप धारण कर राजस्थान के डूंगरी गांव में गई। माता जब गांव में जा रही थी कि तभी ऊपर से किसी ने चावल का उबला हुआ पानी डाल दिया। जिससे माता के पूरे शरीर पर छाले हो गए और पूरे शरीर में जलन होने लगी। माता दर्द में कराहते हुए गांव में सभी से सहायता मांगी परंतु किसी ने भी उनकी सहायता नहीं की।

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गांव में कुम्हार परिवार की एक महिला ने जब देखा कि एक बुढ़िया दर्द से कराह रही है तो उसने माता को बुलाकर घर पर बैठाया और बहुत सारा ठंडा जल माता के ऊपर डाला। ठंडे जल के प्रभाव से माता को उन छालों की पीड़ा में राहत महसूस हुई। इसके बाद कुम्हारिन महिला ने माता से कहा कि मेरे पास केवल रात के दही और राबड़ी रखी हुई हैं आप इनको खाये। रात के रखे दही और ज्वार की राबड़ी खा कर माता को शरीर में बहुत ठंडक मिली। इसके बाद कुम्हारिन ने माता से कहा कि आपके बाल बिखरे है लाइए मैं इनको गूथ देती हूं।

जैसे ही वह महिला माता शीतला की चोटी बनाने लगी तो उसे बालों के नीचे छुपी तीसरी आंख दिखी। यह देखकर वह डर कर भागने लगी। तभी माता ने कहा बेटी डरो मत में शीतला माता हूं और मैं धरती पर ये देखने आई थी कि मेरी पूजा कौन करता है। माता शीतला अपने मूल रूप में प्रकट हो गई। कुम्हारिन महिला शीतला माता को देख कर भाव विभोर हो गई। उस कुम्हारिन ने माता से कहा माता मैं तो बहुत गरीब हूं। आपको कहा बैठाऊ। मेरे पास तो आसन भी नहीं है।

Sheetala Ashtami 2021
Sheetala Ashtami 2021

माता मुस्कुराते कुम्हारिन के गधे पर जाकर बैठ गई और झाडू से कुम्हारिन के घर से सफाई कर डलिया में डाल कर उसकी गरीबी को बाहर फेंक दिया। कुम्हारिन के निस्वार्थ श्रद्धा भाव से प्रसन्न होकर माता ने उससे वर मांगने को कहा। कुम्हारिन ने हाथ जोड़कर कहा माता आप वर देना चाहती है तो आप हमारे डूंगरी गांव में ही निवास करे और जो भी इंसान आपकी श्रद्धा भाव से सप्तमी और अष्टमी को पूजा करें और व्रत रखे तथा आपको ठंडा व्यंजन का भोग लगाएं उसकी गरीबी भी ऐसे ही दूर करें। पूजा करने वाली महिला को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद दें। माता शीतला ने कहा बेटी ऐसा ही होगा और कहा कि मेरी पूजा का मुख्य अधिकार कुम्हार को ही होगा। कहा जाता है कि इसलिए ही माता शीतला को ठंडा बासी भोजन और शीतल जल प्रिय है। 

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