हेल्लो दोस्तों हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस बार प्रदोष व्रत 10 मार्च को है. प्रदोष व्रत का सप्ताह के हर दिन में अलग महत्व होता है. उसी तरह दिन के हिसाब से प्रदोष व्रत का महत्व भी बदल जाता है. इस बार प्रदोष व्रत बुधवार को पड़ रहा है. इसलिए इसे बुध प्रदोष के नाम से जाना जाता है. Pradosh Vrat March 2021
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. वहीं, कुछ लोग भोलनाथ को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं. कहते हैं कि सबसे पहला प्रदोष व्रत चंद्रदेव ने रखा था. इस व्रत के फल स्वरूप चंद्रमा को छय रोग से मुक्ति मिल गई थी. इस बार का प्रदोष व्रत बेहद महत्वपूर्ण है. सिर्फ इतना ही नहीं प्रदोष व्रत 2 गायों के दान जितना पुण्यदायी माना गया है। इस व्रत को करने वाले इंसान पर भगवान शिव हमेशा अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं।
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विषयसूची :
ऐसे करें पूजन :
इस दिन सुबह-सुबह उठकर पूजा अर्चना करनी चाहिए.
महिलाएं माता पार्वती को लाल चुनरी और सोलह श्रृंगार का सामान चढ़ाती हैं. श्रृंगार का सामान चढ़ाना शुभ होता है.
पूजा की थाली में गुलाल, चंदन, अबीर, बेलपत्र, जेनऊ, कलावा, दीपक, कपूर, अगरबत्ती और फल होना चाहिए.
पूजा में पंचामृत का प्रयोग जरूर करें। इसके बाद भगवान शिव को भोग लगाएं।
भगवान शिव को बेल पत्र, धतूरा, चावल, फूल, धूप, दीप आदि चढ़ाएं। भगवान शिव का मंत्र जपें व व्रत का संकल्प लें।
शुभ मुहूर्त :
कृष्ण पक्ष त्रयोदशी प्रारंभ- 10 मार्च 2021 को दोपहर 2 बजकर 40 मिनट से
त्रयोदशी समाप्त- 11 मार्च 2021 को गुरुवार 02 बजकर 39 मिनट तक रहेगा.
पौराणिक कथा :
एक पुरुष का नया विवाह हुआ. विवाह के दो दिनों बाद उसकी पत्नी मायके चली गई. कुछ दिनों के बाद वो पुरुष पत्नी को लेने उसके मायके पहुंचा. बुधवार को जब वो पत्नी के साथ लौटने लगा तो ससुराल पक्ष ने उसे रोकने का प्रयत्न किया कि विदाई के लिए बुधवार शुभ नहीं होता. लेकिन वो नहीं माना और पत्नी के साथ चल पड़ा. नगर के बाहर पहुंचने पर पत्नी को प्यास लगी. पुरुष लोटा लेकर पानी की तलाश में चल पड़ा. पत्नी एक पेड़ के नीचे बैठ गई. थोड़ी देर बाद पुरुष पानी लेकर वापस लौटा, तब उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी के साथ हंस-हंसकर बातें कर रही है और उसके लोटे से पानी पी रही है. उसको क्रोध आ गया.
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वो निकट पहुंचा तो उसके आश्चर्य का कोई ठिकाना न रहा, क्योंकि उस आदमी की सूरत उसी की तरह थी. दोनों पुरुष झगड़ने लगे. भीड़ इकट्ठी हो गई. सिपाही आ गए. हमशक्ल आदमियों को देख पत्नी भी सोच में पड़ गई. लोगों ने स्त्री से पूछा, उसका पति कौन है, तो उसने पहचान पाने में असमर्थता जताई. तब उसका पति शंकर भगवान से प्रार्थना करने लगा, हे भगवान! हमारी रक्षा करें. मुझसे बड़ी भूल हुई कि मैंने सास-ससुर की बात नहीं मानी और बुधवार को पत्नी को विदा करा लिया. मैं भविष्य में ऐसा कदापि नहीं करूंगा.
जैसे ही उसकी प्रार्थना पूरी हुई, दूसरा पुरुष अंतर्ध्यान हो गया. इसके बाद पति-पत्नी सकुशल अपने घर पहुंच गए. उस दिन के बाद से पति-पत्नी नियमपूर्वक बुध त्रयोदशी प्रदोष का व्रत रखने लगे और खुशहाली के साथ जीवन बिताने लगे.
प्रदोष व्रत में क्या करें और क्या ना करें :
- हर महीने में दो बार किया जाने वाला प्रदोष व्रत निर्जला रखा जाता है। हालांकि यदि कोई व्यक्ति किसी कारणवश निर्जला उपवास नहीं रख सकता तो उन्हें फलाहार भोजन ग्रहण करने की सलाह दी जाती है।
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए और किसी भी तरह का छल, कपट, बुरा व्यवहार और झूठ आदि बोलने से बचना चाहिए।
- प्रदोष व्रत के दिन भूल से भी व्यक्ति को अन्न, नमक, मिर्च आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
- इसके अलावा प्रदोष व्रत के दिन स्नान अवश्य करना चाहिए और इस दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए।
- प्रदोष व्रत के दौरान व्यक्ति को कुशा के आसन का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है।
- इसके अलावा इस दिन किसी भी तरह के तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
प्रदोष व्रत में अनाज का ग्रहण नहीं किया जाता है. इस दिन पूजा करने के बाद दूध पी सकते हैं. इसके अलावा फलाहार कर सकते हैं.
प्रदोष व्रत के दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए.