हेल्लो दोस्तों प्रदोष व्रत का पौराणिक शास्त्रों में अत्याधिक महत्त्व है। ऐसा माना जाता कि प्रदोष काल में भगवान शिव प्रसन्न मुद्रा में कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत का नियमपूर्वक पालन कर उपवास करना चाहिए और भक्तों को गरीबी, दरिद्रता, कर्ज आदि से मुक्ति मिलती है। प्रदोष व्रत के दिन सुबह और प्रदोष काल में भगवान शिव का पूजन करने से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और दुखों का नाश होता है। First Pradosh Vrat 2021
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पंचांग के अनुसार साल 2021 में पौष माह का पहला प्रदोष व्रत 10 जनवरी 2021, रविवार के दिन रखा जाएगा। साल 2021 के प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव का प्रदोष काल के दौरान पूजन किया जाए तो बहुत अधिक पुण्य प्राप्त होता है। इस बार यह तिथि रविवार के दिन पड़ रही है इसलिए इसे रवि प्रदोष भी कहा जाएगा।
रवि प्रदोष के दिन शिव पूजा के साथ सूर्य पूजा भी करने से कई गुना अधिक लाभ और पुण्य प्राप्त होता है। रवि प्रदोष व्रत रखने से किसी भी तरह का कोई रोग या बीमारी नहीं लगती व आप निरोगी रहते है और आपको लम्बी उम्र का वरदान मिलता है तथा आपकी हर मनोकामना पूर्ण होती है |
विषयसूची :
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त :
- तिथि प्रारंभ 10 जनवरी शाम 04:52 बजे
- तिथि समाप्त 11 जनवरी दोपहर 02:32 बजे
- पूजा का मुहूर्त 10 जनवरी शाम 05:38 बजे से रात्रि 08:22 बजे तक
प्रदोष व्रत पूजा विधि :
- प्रातःकाल उठकर स्नान करके भगवान शिव का षोडषोपचार से पूजन करें।
- इसके बाद पूजा स्थल की सफाई करें और गंगाजल छिड़कें।
- पूजा करने के लिए सफेद रंग के आसान पर बैठें।
- पूजा स्थल पर एक चौकी स्थापित करें और उसमें सफेद कपड़ा बिछाएं, कपड़े पर स्वास्तिक बनाएं और उसकी पूजा करें।
- चौकी पर भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें. और सफेद फूलों की माला पहनाएं।
- यह रवि प्रदोष है इसलिए स्नान के बाद सूर्यदेव को दूध मिले जल में लाल पुष्प डालकर तांबे के लोटे से अर्घ्य दें।
- भगवान शिव की प्रिय चीजें जैसे शमी, बेलपत्र, कनेर, धतूरा, चावल, फूल, धूप, दीप, फल, पान, सुपारी आदि उन्हें अर्पित करें।
- सरसों के तेल का दीया जलाएं और भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद शिव चालीसा, शिव स्तुति और शिव स्त्रोत व शिव आरती करें।
- अंत में भोलेनाथ की पूजा करते हुए उन्हें खीर का भोग लगाएं. और इस प्रसाद को घर के सभी सदस्यों को बांटें।
- इस पूजा विधि में गंगाजल का अधिक महत्त्व है।
- प्रदोष व्रत में साबुत चावल की खीर भगवान शिव को जरुर अर्पण करनी चाहिए।
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पूजन सामग्री की सूची :
- सफेद पुष्प, आरती के लिए थाली, सफेद वस्त्र
- आंकड़े का फूल
- सफेद मिठाइयां, भांग
- हवन सामग्री एवं आम की लकड़ी।
- जल से भरा हुआ कलश
- बेलपत्र, धतूरा, सफेद चंदन, सफेद फूलों की माला
- कपूर, धूप, दीप
- शुद्ध घी (गाय का हो तो अतिउत्तम)।
रवि प्रदोष की कथा :
रवि प्रदोष से जुड़ी प्राचीन कथा के अनुसार एक गांव में गरीब ब्राह्मण अपनी पत्नी और पुत्र के साथ रहता था। एक बार ब्राह्मण का पुत्र गंगा स्नान के लिए गया तो उसे लुटेरों ने पकड़ लिया और उससे उसके पिता के धन के बारे में पूछा। वह डरकर बोला कि वह बहुत गरीब है और उसके पास धन नहीं है। तब लुटेरों ने उसे छोड़ दिया।
जब वह घर जाने लगा कि तभी थकने के कारण वह एक पेड़ के नीचे सो गया। और राजा के कुछ सिपाहियों ने उसे लुटेरा समझकर पकड़ लिया और जेल में डाल दिया। पुत्र के घर वापस ना आने पर ब्राह्मणी चिंतित थी। इधर ब्राह्मणी ने दूसरे दिन प्रदोष का व्रत किया और शिवजी से अपने बालक की वापसी की प्रार्थना की।
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शिवजी ने ब्राह्मणी की प्रार्थना से प्रसन्न होकर राजा को सपने में कहा कि तुमने जिस बालक को पकड़ा है वह निर्दोष है, उसे छोड़ दो। दूसरे दिन राजा ने उसके माता और पिता को बुलाकर ने केवल छोड़ दिया बल्कि उसे पांच गांव भी दान में दिए। इस प्रकार प्रदोष व्रत के प्रभाव से न केवल ब्राह्मण का बेटा मिला बल्कि उसकी गरीबी भी दूर हो गई।