हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं। लेकिन अधिकमास की एकादशियों को मिलाकर इनकी संख्या 26 हो जाती है। सभी एकादशियों पर हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले भगवान विष्णु की पूजा करते हैं व उपवास रखते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने, पूजा और दान करने से व्रती जीवन में सुख-समृद्धि का भोग करते हुए अंत समय में मोक्ष को प्राप्त होता है। Nirjala Ekadashi Importance
लेकिन इन सभी एकादशियों में से एक ऐसी एकादशी भी है जिसमें व्रत रखकर साल भर की एकादशियों जितना पुण्य कमाया जा सकता है। यह है ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी। इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। आइये जानते हैं कैसे है यह अन्य एकादशियों से श्रेष्ठ और क्यों कहते हैं इसे निर्जला एकादशी।
गुरुवार, 13 जून को साल की सबसे बड़ी निर्जला एकादशी है। हिन्दी पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का काफी अधिक महत्व है। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि महाभारत काल में पांडव पुत्र भीम ने भी ये व्रत किया था, इसीलिए इसे भीमसेनी एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के लिए विशेष पूजा पाठ की जाती है। व्रत रखा जाता है। इस एकादशी पर व्रत करने वाले भक्त को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
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निर्जला एकादशी से जुड़ी खास बातें :
1. व्रत करने वाले व्यक्ति को निर्जला एकादशी की तैयारियां एक दिन पहले से ही कर लेनी चाहिए। दशमी तिथि पर सात्विक भोजन करना चाहिए।
2. भक्त को ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य रूप से करना चाहिए। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
3. स्नान के समय सभी पवित्र नदियों के नामों का जाप करें। ऐसा करने से घर पर ही गंगा स्नान का पुण्य मिल सकता है।
4. स्नान के बाद भगवान विष्णु के सामने व्रत करने का संकल्प करें। भगवान के सामने कहें कि आप ये व्रत करना चाहते हैं और इसे पूरा करने की शक्ति प्रदान करें।
5. भगवान विष्णु को पीले फल, पीले फूल, पीले पकवान का भोग लगाएं। दीपक जलाकर आरती करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। विधिवत पूजा करें।
6. इस एकादशी पर पानी का दान करें। किसी प्याऊ में मटकी का दान करें। अगर संभव हो सके तो किसी गौशाला में धन का दान करें।
7. इस एकादशी की शाम तुलसी की भी विशेष पूजा जरूर करनी चाहिए। शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं और परिक्रमा करें।
8. अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर ब्राह्मण और जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाएं। पूजा-पाठ करें। इसके बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।
9. निर्जला एकादशी पर व्रत करने वाले अधिकतर लोग पानी भी नहीं पीते हैं। अगर आपके लिए ये संभव न हो तो फलों का रस, पानी, दूध, फलाहार का सेवन कर सकते हैं। अपने शक्ति के अनुसार व्रत किया जा सकता है।
10. भक्त को एकादशी पर धार्मिक आचरण रखना चाहिए। क्रोध न करें। घर में शांति का वातावरण रखें। माता-पिता से आशीर्वाद लें और जीवन साथी का सम्मान करें।
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