हेल्लो दोस्तों दुर्गाष्टमी हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को आती है। यही कारण है कि इस दिन को अक्सर दुर्गाष्टमी या मासिक दुर्गाष्टमी कहा जाता है। हालाँकि, नवरात्रि के दौरान दुर्गा अष्टमी, विशेष रूप से चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि सबसे शुभ दिन माने जाते हैं। शारदीय नवरात्रि के दौरान दुर्गा अष्टमी को हिंदू धर्म में इस दिन के महत्व के कारण महा अष्टमी के रूप में भी जाना जाता है। Masik Durgashtami Vrat
हिंदू पंचांग की आठवीं तिथि को अष्टमी कहा जाता हैं। ये तिथि महिनें में दो बार आती है। पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद आती है। साथ ही पूर्णिमा के बाद आने वाली अष्टमी को कृष्ण पक्ष की अष्टमी और अमावस्या के बाद आने वाली अष्टमी को शुक्ल पक्ष की अष्टमी कहा जाता है। बताया जाता है कि इस दिन व्रत रखने और पूजा करने का बहुत ही खास महत्व होता है. माना जाता है कि इस दिन सच्चे दिल और श्रद्धा से जो भी मांगते हो वो मनोकामना दुर्गा मां ज़रूर पूरा करती हैं।
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हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दौरान दुर्गाष्टमी का उपवास किया जाता है। इस दिन श्रद्धालु दुर्गा माता की पूजा करते हैं और उनके लिए पूरे दिन का व्रत करते हैं। मुख्य दुर्गाष्टमी जिसे महाष्टमी कहते हैं, अश्विन माह में नौ दिन के शारदीये नवरात्रि उत्सव के दौरान पड़ती है। दुर्गाष्टमी को दुर्गा अष्टमी के रूप में भी लिखा जाता है और मासिक दुर्गाष्टमी को मास दुर्गाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। कालाष्टमी और राधाष्टमी भी अष्टमी के सबसे महत्वपूर्ण पर्व हैं।
विषयसूची :
दुर्गाष्टमी की पूजा विधि :
- दुर्गाष्टमी वाले दिन सुबह उठकर जल्दी स्नान कर लेना चाहिए उसके बाद जहाँ आप पूजा करते हैं वहां पर गंगाजल डालकर उस जगह को शुद्ध कर लें।
- साथ ही लकड़ी के पाट पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर मां दुर्गा की प्रतिमा रखें।
- धूप और दीपक को जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ पढ़ें और फिर मां की आरती करें उसके बाद हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।
- इस दिन पूरे विधि विधान से व्रत रखने और पूजा करने से मनचाहा फल प्राप्त होता है।
- दुर्गा मां आपकी सारी इच्छाओं को ज़रूर पूरा करेंगी।
- भगवान भैरव बाबा के मंदिर में जाकर अबीर, गुलाल, चावल, फूल और सिंदूर चढ़ाया जाता है।
- उसके बाद भगवान भैरव की प्राप्ति के लिए नीले फूल अवश्य चढ़ाना चाहिए| निश्चित रूप से आपकी मनोकामना पूरी होगी।
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अष्टमी तिथियां 2021 :
आइए जानते है इस साल के अष्टमी कैलेड़र 2021 की तिथियों के बारे में जो कुछ इस प्रकार है-
- बुधवार, 6 जनवरी कृष्ण पक्ष कालाष्टमी, बुध अष्टमी व्रत
- गुरूवार, 21 जनवरी शुक्ल पक्ष कालाष्टमी, बनदा अष्टमी
- गुरुवार, 4 फरवरी कृष्ण पक्ष मासिक दुर्गाष्टमी
- शनिवार, 20 फरवरी शुक्ल पक्ष मासिक दुर्गाष्टमी
- शुक्रवार, 5 मार्च कृष्ण पक्ष कालाष्टमी
- सोमवार, 22 मार्च शुक्ल पक्ष मासिक दुर्गाष्टमी
- रविवार, 4 अप्रैल कृष्ण पक्ष कालाष्टमी
- मंगलवार, 20 अप्रैल शुक्ल पक्ष मासिक दुर्गाष्टमी
- सोमवार, 3 मई कृष्ण पक्ष कालाष्टमी
- 19 – 20 मई शुक्ल पक्ष बुध अष्टमी व्रत, दुर्गा अष्टमी व्रत, मासिक दुर्गाष्टमी
- बुधवार, 2 जून कृष्ण पक्ष कालाष्टमी, बुध अष्टमी व्रत
- शुक्रवार, 18 जून शुक्ल पक्ष दुर्गा अष्टमी व्रत
- गुरुवार, 1 जुलाई कृष्ण पक्ष कालाष्टमी
- शनिवार, 17 जुलाई शुक्ल पक्ष मासिक दुर्गाष्टमी
- शनिवार, 31 जुलाई कृष्ण पक्ष कालाष्टमी
- सोमवार, 16 अगस्त शुक्ल पक्ष दुर्गा अष्टमी व्रत
- 29 – 30 अगस्त कृष्ण पक्ष कालाष्टमी, कृष्ण जन्माष्टमी (30 अगस्त)
- मंगलवार, 14 सितंबर शुक्ल पक्ष राधा अष्टमी, दुर्गा अष्टमी व्रत
- बुधवार, 29 सितंबर कृष्ण पक्ष कालाष्टमी
- बुधवार, 13 अक्टूबर शुक्ल पक्ष दुर्गा पूजा अष्टमी
- गुरुवार, 28 अक्टूबर कृष्ण पक्ष कालाष्टमी, अहोई अष्टमी
- गुरुवार, 11 नवंबर शुक्ल पक्ष दुर्गा अष्टमी व्रत, गोपाष्टमी, मासिक दुर्गाष्टमी
- शनिवार, 27 नवंबर कृष्ण पक्ष कालाष्टमी
- शनिवार, 11 दिसंबर शुक्ल पक्ष मासिक दुर्गाष्टमी
- रविवार, 26 दिसंबर कृष्ण पक्ष कालाष्टमी
दुर्गा अष्टमी कथा :
शास्त्रों के अनुसार, सदियों पहले पृथ्वी पर असुर बहुत शक्तिशाली हो गए थे और वे स्वर्ग पर चढ़ाई करने लगे. उन्होंने कई देवताओं को मार डाला और स्वर्ग में तबाही मचा दी. इन सबमें सबसे शक्तिशाली असुर महिषासुर था. भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा ने शक्ति स्वरूप देवी दुर्गा को बनाया. हर देवता ने देवी दुर्गा को विशेष हथियार प्रदान किया. इसके बाद आदिशक्ति दुर्गा ने पृथ्वी पर आकर असुरों का वध किया। मां दुर्गा ने महिषासुर की सेना के साथ युद्ध किया और अंत में उसे मार दिया। उस दिन से दुर्गा अष्टमी का पर्व प्रारम्भ हुआ।
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दुर्गा अष्टमी का महत्व :
दुर्गा अष्टमी, जैसा कि नाम से पता चलता है, देवी दुर्गा को समर्पित है। इस त्योहार का महत्व हिंदू धर्म में काफी है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी काली ने मां दुर्गा के माथे से प्रकट होकर दुष्ट दानवों चंड और मुंड का विनाश किया था। देवी दुर्गा का आशीर्वाद पाने के लिए भक्त इस दिन एक दिन का उपवास रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति दुर्गा अष्टमी व्रत को अत्यंत समर्पण और भक्ति के साथ करता है, उसे सौभाग्य, सफलता और खुशी मिलती है।
इस दिन ‘अस्त्र पूजा’ भी की जाती है जिसमें भक्त देवी दुर्गा के हथियारों की पूजा करते हैं। इस दिन को वीर अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। कन्या पूजन के दौरान, युवा लड़कियों की पूजा की जाती है और उन्हें छोले, हलवा और पूरी सहित विभिन्न व्यंजन परोसे जाते हैं। युवा लड़कियों के माथे पर तिलक लगाया जाता है और उन्हें उपहार भी दिए जाते हैं।