हेल्लो दोस्तों हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है. पूर्णिमा तिथि हर महीने की शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि को कहते हैं. इस दिन को पूर्णमासी के नाम से भी जानते हैं. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की पू्र्णिमा तिथि को मार्गशीर्ष पूर्णिमा (Margashirsha Purnima 2020) कहा जाता है. इसे बत्तीसी पूर्णिमा या कोरला पूर्णिमा भी कहते हैं. इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा 30 दिसंबर दिन बुधवार को पड़ रही है. इस दिन स्नान, दान और तप का विशेष महत्व होता है. मान्यता हैं कि इस दिन विधि-विधान से पूजा और व्रत करने पर कष्टों से मुक्ति मिलती है और बिगड़े काम बन जाते हैं. पौराणिक मान्याताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह से ही सतयुग काल आरंभ हुआ था. इस माह में आने वाली पूर्णिमा को मार्गशीर्ष पूर्णिमा कहते हैं.
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अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, यह पूर्णिमा तिथि इस साल की आखिरी रहेगी. इस दिन भगवान दत्तात्रेय जयंती भी है. मान्यता है कि मार्गशीर्ष की पूर्णिमा तिथि पर अन्य पूर्णिमा तिथियों की तुलना में 32 गुना ज्यादा फल मिलता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर तुलती की जड़ की रज से पवित्र नदी में स्नान करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. कहा जाता हैं कि इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा सुनना या पूजा करवाना बेहद शुभ होता है. पूर्णिमा तिथि के दिन भगवान शिव और चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व है. मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन हरिद्वार, बनारस, मथुरा और प्रयागराज आदि जगहों पर श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान और तप आदि करते हैं।
विषयसूची :
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत मुहूर्त :
पूर्णिमा तिथ का आरम्भ – 29 दिसंबर 2020 की सुबह 07 बजकर 55 मिनट
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 30 दिसंबर की रात 08 बजकर 59 मिनट
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजा विधि :
- इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है. सबसे पहले स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान घर साफ करें.
- अब आसन ग्रहण करने के बाद “ऊँ नमोः नारायण” मंत्र का जाप करते हुए आवाह्वन करें. तब गंध, पुष्प आदि भगवान को अर्पण कर श्रीहरि को भोग अर्पित करें.
- इसके बाद पूजा स्थल पर वेदी बनाएं और हवन-पूजन करें.
- हवन समाप्ति के बाद भगवान विष्णु का ध्यान लगाएं.
- व्रत समर्पित करके सायं काल चंद्रमा निकलने पर दोनों घुटने पृथ्वी पर टेक कर सफेद पुष्प, अक्षत, चंदन, जल से अर्ध्य दें।
- रात्रि को भगवान श्रीहरि की मूर्ति के पास ही शयन करें.
- पूजा के बाद सभी लोगों में प्रसाद वितरित करना चाहिए व भगवान विष्णु जी से मंगल व सुख कि कामना करनी चाहिए.
- दूसरे दिन सुबह ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान देकर विदा करें।
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मार्गशीर्ष माह का महत्व :
धार्मिक मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा की तरह मार्गशीर्ष पूर्णिमा का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन कई स्थानों पर श्रद्घालु आस्था की डुबकी पवित्र नदियों, सरोवर में लगाते है। कहते हैं मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन स्नान-दान से अमोघ फल प्राप्त होता है। भगवान श्री कृष्ण के अनुसार, इस माह प्रतिदिन स्नान-दान पूजा पाठ करने से पापों का नाश होता है और व्रत करने वाले की सारी मनोकामनायें पूर्ण होती हैं।
सनातन धर्म में मानते हैं कि सतयुग का प्रारम्भ देवताओ ने मार्गशीर्ष मास की प्रथम तिथि को ही किया था। इस कारण भी यह धर्म के लिए अति पावन महीना माना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन स्नान और दान करने से बत्तीस गुना फल प्राप्त होता है। अतः मार्गशीर्ष पूर्णिमा को बत्तीसी पूर्णिमा या बतीसी पूनम भी कहा जाता है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर तुलसी की जड़ की रज से पवित्र नदी, सरोवर में स्नान करने से भगवान श्री हरि विष्णु की विशेष कृपा प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा व कथा करवाना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन सत्यनारायण की कथा परम फलदायी बताई गई है। पूर्णिमा तिथि के दिन शिव जी और चंद्रमा की पूजा करने का भी विशेष महत्व होता है।