अक्टूबर माह की शुरुआत आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि के साथ हुई है। यह पूरा महीना धर्म और अध्यात्म के लिहाज से महत्वपूर्ण है। महीने का पहला सप्ताह नवरात्र, विजया दशमी और पापांकुशा एकादशी में बीतेगा। फिर करवाचौथ, दीपावली और छठ जैसे प्रमुख व्रत-त्योहार भी इस महीने आने वाले हैं। इन सभी व्रत त्योहारों का धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व है। इस बार अक्टूबर का महीना इसलिए भी खास है क्योंकि दशहरा और दीपावली दोनों है। आइए जानें किस दिन कौन सा त्योहार है और उनका क्या महत्व है। List of October Month Festivals
हिन्दू पंचांग के अनुसार अक्टूबर 2019 में लगभग 20 दिन तीज-त्योहार रहेंगे। अक्टूबर खास ये है इसी महीने में दुर्गाष्टमी, महानवमी दशहरा, शरद पूर्णिमा, करवा चौथ और दीपावली जैसे बड़े त्योहार भी पड़ रहे हैं। इस महीने मां दुर्गा पूजा पूर्ण होगी और 8 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा। दशहरे पर शस्त्र पूजा की जाएगी। वहीं एकादशी, प्रदोष, शरद पूर्णिमा और करवा चौथ जैसे तीज त्योहार भी खास रहेंगे। इस महीने वाल्मीकी जयंती के साथ मीराबाई जयंती भी है। इस तरह व्रत-त्योहारों के नजरिए से पूरा महीना महत्वपूर्ण है।
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विषयसूची :
1. विजया दशमी :
दशहरा आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। भगवान राम ने इस दिन रावण का वध किया था। दशहरा असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिए इस दशमी को विजया दशमी के नाम से जाना जाता है। इसी दिन लोग नया कार्य प्रारम्भ करते हैं, शस्त्र-पूजा की जाती है। इस साल दशहरे का त्योहार 8 अक्टूबर मंगलवार को मनाया जाएगा। इसी दिन मां दुर्गा पृथ्वी से अपने लोक की ओर प्रस्थान करती हैं।
2. पापांकुशा एकादशी :
पापांकुशा एकादशी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहते हैं। इस एकादशी का महत्त्व स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। इस एकादशी के दिन भगवान ‘पद्मनाभ’ की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यतानुसार इस दिन मौन रहकर भगवान का स्मरण करना चाहिए। जो लोग व्रत नहीं रखते हैं उन्हें मौन रहकर भोजन करना चाहिए।
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3. शरद पूर्णिमा :
हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा शरद पूर्णिमा के नाम से जानी जाती है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, पूरे साल में केवल इसी दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। इस बार शरद पूर्णिमा 13 अक्टूबर रविवार को है। मान्यता है इस रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है। तभी इस दिन उत्तर भारत में खीर बनाकर रात भर चांदनी में रखने का विधान है। इस रात में लक्ष्मी पूजन करके रात्रि जागरण करना धन समृद्धि दायक माना गया है। इस दिन किए जानेवाले व्रत को कोजागरा व्रत भी कहते हैं।
4. करवाचौथ :
करवाचौथ हिंदूओं के प्रमुख त्योहार में से एक है यह पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। करवाचौथ का व्रत सुहाग की रक्षा और सौभाग्य के लिए किया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति के प्रति समर्पित होकर उनकी उत्तम आयु, स्वास्थ्य और उन्नति के लिए व्रत करती हैं। इस साल यह व्रत 17 अक्टूबर को मंगलवार के दिन पड़ रहा है। इस दिन सुहागिन महिलाओं द्वारा दिन भर निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश, कुमार कार्तिकेय आदि देवताओं की षोडशोपचार विधि से पूजन करने के साथ-साथ सुहाग के वस्तुओं की भी पूजा की जाती है। महिलाएं चंद्रमा पूजन, दर्शन और अर्घ्य देने के बाद ही भोजन ग्रहण करती हैं।
5. अहोई अष्टमी :
अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन किया जाता है। पुत्रवती महिलाओं के लिए यह व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस साल यह व्रत 21 अक्टूबर को सोमवार के दिन किया जाएगा। माताएं अहोई अष्टमी के व्रत में दिन भर उपवास रखती हैं और सायंकाल तारे दिखाई देने के समय होई का पूजन करती हैं। इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं घर की दीवार पर अहोई का चित्र बनाती हैं और उसमें आठ कोष्ठक वाली एक पुतली बनाती हैं। इस दिन महिलाएं माता पार्वती के अहोई स्वरूप से संतान प्राप्ति और संतान की समृद्धि के लिए प्रार्थना और व्रत करती हैं।
6. रमा एकादशी :
कार्तिक माह में पड़ने वाली एकादशी धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसी तरह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन रमा एकादशी के व्रत का विधान है। इस बार यह तिथि 24 अक्टूबर, बृहस्पतिवार के दिन पड़ रही है। शास्त्रों के अनुसार रमा एकादशी के व्रत को रखने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और परम सौभाग्य की प्राप्ति होती है। रमा एकादशी के व्रत में भगवान विष्णु के पूर्णावतार केशव रूप की विधिवत धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्पों से पूजा की जाती है। शास्त्रों में विष्णुप्रिया तुलसी की महिमा अधिक है इसलिए इस व्रत में तुलसी पूजन करना और तुलसी की परिक्रमा करना अति उत्तम है।
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7. धनतेरस, गोवत्स द्वादशी :
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। इस साल धनतेरस का त्योहार 25 अक्टूबर, शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यतानुसार, भगवान धन्वन्तरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था, इसलिए ही इस दिन बर्तन खरीदना या सोने-चांदी की खरीदारी करने का रिवाज है। इसके अलावा कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को बछ बारस का त्योहार भी पड़ता है। धनतेरस वाले दिन गोवत्स द्वादशी का पर्व भी मनाते हैं। इस अवसर पर गाय और बछड़े की पूजा की जाती है।
8. नरक चतुर्दशी, हनुमान जयंती :
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी नरक चतुर्दशी अथवा नरक चौदस के नाम से जानी जाती है। नरक चौदस दीपावली के एक दिन पहले पड़ती है, इसलिए इसे छोटी दीपावली के नाम से भी जानते हैं। इस बार छोटी दीपावली 26 अक्टूबर, शनिवार के दिन मनाई जाएगी। नरक चतुर्दशी को मुक्ति प्राप्ति का पर्व कहा जाता है। इसी दिन हनुमान जयंती भी पड़ रही है, इस बार दो शुभ नक्षत्रों के संयोग से हनुमान जन्मोत्सव का पर्व दो बार मनाया जाएगा। कुछ जगह चैत्र शुक्ल पूर्णिमा पर, तो कहीं कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को बजरंग बलि का जन्मदिन मनाते हैं, जबकि धार्मिक पुराणों में दोनों ही तिथियों का उल्लेख मिलता है। इसके पीछे वजह बताई जाती है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को बजरंग बली का विजय अभिनंदन महोत्सव होता है वहीं चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को उनका जन्म के उत्सव के रूप में मनाते हैं।
9. दीपावली :
दीपावली हिंदू धर्म के मुख्य त्योहारों में से एक है। कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर दीपावली मनाई जाती है। इस साल 27 अक्टूबर, रविवार के दिन दीपावली का त्योहार मनाया जाएगा। इसे दीपोत्सव या दीपों के पर्व के नाम से भी जानते हैं। धार्मिक मान्यतानुसार, भगवान श्रीराम के 14 वर्ष के वनवास समाप्ति के बाद अयोध्या वापस आने पर अयोध्यावासियों ने खुशी में घी के दिए जलाए थे। इस दिन रात लोग गणेश-लक्ष्मी की विधिविधान से पूजा के बाद घरों में दीपक जलाते हैं। इस दिन रंगोली बनाने की भी परंपरा है, दीपावली को सुख-समृद्धि का त्योहार के तौर पर मनाया जाता है।
10. गोवर्धन अन्नकूट पूजा :
गोवर्धन पूजा कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाती है। गोवर्धन पूजा दीपावली के दूसरे दिन की जाती है। कहीं-कहीं गोवर्धन को अन्नकूट पर्व भी कहा जाता है। इस साल यह पूजा 28 अक्टूबर को सोमवार के दिन की जाएगी। शास्त्रों के अनुसार गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी माना गया है। इसकी वजह है जैसे दीपावली पर देवी लक्ष्मी सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं, उसी तरह गौमाता भी हमें स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इस कारण लोग गौमाता के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हुए गोर्वधन पूजा में प्रतीक स्वरूप गाय की पूजा करते हैं।
11. भाईदूज :
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस बार भाई दूज का पर्व 29 अक्टूबर को मंगलवार के दिन पड़ रहा है। भाई दूज दीपावली के दो दिन बाद पड़ता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की खुशहाली के लिए कामना करते हुए उनके माथे पर रोली चंदन का तिलक करती हैं और उनकी सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। जो भाई के प्रति बहन के अगाध प्रेम और स्नेह को दर्शाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन यमराज बहनों द्वारा मांगी गई मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
12. छठ पर्व आरंभ :
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ के प्रमुख त्योहार की शुरुआत हो जाएगी। छठ पूजा का त्योहार भले ही कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है लेकिन इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नहाय खाय के साथ होती है। इस साल नहाय खाय तिथि 31 अक्टूबर को गुरुवार के दिन पड़ेगी और इस तरह छठ का त्योहार शुरू हो जाएगा। इस दिन व्रत करने वाले लोग स्नान के बाद नए कपड़े पहनते हैं। घर के सभी लोग व्रती के भोजन करने के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं। भोजन के रूप में कद्दू-दाल और चावल ग्रहण किया जाता है।