अक्टूबर की इस तारीख को है करवा चौथ, जान लें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हिंदू धर्म में कई ऐसे तीज त्योहार हैं जो खासतौर से पति पत्नी के रिश्ते को समर्पित हैं। इसलिए सबसे लोकप्रिय है करवा चौथ का व्रत। लगभग सभी शादीशुदा महिलाएं बेसब्री से पूरे साल करवा चौथ का इंतजार करती हैं। उनके लिए ये सिर्फ एक व्रत नहीं बल्कि अपने दांपत्य जीवन के सफर के खुशहाली के साथ आगे बढ़ने का जश्न है। ये पर्व पति पत्नी के जीवन में नई ऊर्जा भरने का काम करता है। शादी को समय बीत गया हो या आप नवविवाहिता हैं, इस साल आप करवाचौथ का व्रत करना चाहती हैं तो जान लें तिथि, शुभू मुहूर्त और पूजा विधि। Karwa Chauth Vrat Katha

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करवाचौथ की तिथि :

इस साल करवा चौथ 17 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। विवाहित महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत का शुभारंभ सूर्योदय से पहले हो जाता है और चांद निकलने तक रखा जाता है। व्रत से पहले महिलाएं अपनी सास द्वारा दी गई सरगी का सेवन करती हैं और फिर इस व्रत को रखती हैं। वो अपना व्रत रात के समय चांद देखकर खोलती हैं। चांद निकलने से पहले शाम के समय शुभ मुहूर्त पर संपूर्ण शिव परिवार की पूजा की जाती है। चांद दिख जाने पर महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और फिर अपने पति के हाथों से पानी पीकर अपना उपवास खोलती हैं। ऐसी आस्था है कि करवा चौथ का उपवास रखने से पति की उम्र लंबी होती है और दांपत्य जीवन में खुशहाली बनी रहती है।

Karwa Chauth Vrat Katha
Karwa Chauth Vrat Katha

करवा चौथ पूजा मुहूर्त :

17 अक्टूबर – 17:50:03 से 18:58:47 तक

अवधि : 1 घंटे 8 मिनट करवा चौथ चंद्रोदय समय 20:15:59

कैसे मनाते हैं करवा चौथ :

करवा चौथ की तैयारियां कई दिन पहले से शुरू हो जाती हैं. सुहागिन महिलाएं कपड़े, गहने, श्रृंगार का सामान और पूजा सामग्री खरीदती हैं. करवा चौथ वाले दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी खाती हैं. इसके बाद सुबह हाथ और पैरों पर मेहंदी लगाई जाती है और पूजा की थालियों को सजाया जाता है. व्रत करने वाली आस-पड़ोस की महिलाएं शाम ढलने से पहले किसी मंदिर, घर या बगीचे में इकट्ठा होती हैं. यहां सभी महिलाएं एक साथ करवा चौथ की पूजा करती हैं.

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इस दौरान गोबर और पीली मिट्टी से पार्वती जी की प्रतिमा स्‍थापित की जाती है. आज कल माता गौरी की पहले से तैयार प्रतिमा को भी रख दिया जाता है. विधि-विधान से पूजा करने के बाद सभी महिलाएं किसी बुजुर्ग महिला से करवा चौथ की कथा सुनती हैं. इस दौरान सभी महिलाएं लाल जोड़े में पूरे सोलह श्रृंगार के साथ पूजा करती हैं. चंद्रमा के उदय पर अर्घ्‍य दिया जाता है और पति की आरती उतारी जाती है. पति के हाथों पानी पीकर महिलाओं के उपवास का समापन हो जाता है.

करवा चौथ की पूजन सामग्री :

करवा चौथ के व्रत से एक-दो दिन पहले ही सारी पूजन सामग्री को इकट्ठा करके घर के मंदिर में रख दें. पूजन सामग्री इस प्रकार है- मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्‍कन, पानी का लोटा, गंगाजल, दीपक, रूई, अगरबत्ती, चंदन, कुमकुम, रोली, अक्षत, फूल, कच्‍चा दूध, दही, देसी घी, शहद, चीनी, हल्‍दी, चावल, मिठाई, चीनी का बूरा, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा के पैसे.

Karwa Chauth Vrat Katha
Karwa Chauth Vrat Katha

करवा चौथ की पूजा विधि? :

  • करवा चौथ वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्‍नान कर लें.
  • अब इस मंत्र का उच्‍चारण करते हुए व्रत का संकल्‍प लें- ”मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये”.
  • सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करें और फिर दिन भर निर्जला व्रत रखें.
  • दीवार पर गेरू से फलक बनाएं और भीगे हुए चावलों को पीसकर घोल तैयार कर लें. इस घोल से फलक पर करवा का चित्र बनाएं. वैसे बाजार में आजकर रेडीमेड फोटो भी मिल जाती हैं. इन्‍हें वर कहा जाता है. चित्रित करने की कला को करवा धरना का जाता है.
  • आठ पूरियों की अठावरी बनाएं. मीठे में हल्‍वा या खीर बनाएं और पकवान भी तैयार करें.
  • अब पीली मिट्टी और गोबर की मदद से माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं. अब इस प्रतिमा को लकड़ी के आसान पर बिठाकर मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी और बिछुआ अर्पित करें.
  • जल से भर हुआ लोटा रखें. करवा में गेहूं और ढक्‍कन में शक्‍कर का बूरा भर दें. रोली से करवा पर स्‍वास्तिक बनाएं. अब गौरी-गणेश और चित्रित करवा की पूजा करें.
  • पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करते हुए इस मंत्र का उच्‍चारण करें- ”ऊॅ नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥”
  • करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें. कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपने सभी बड़ों का आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें.
  • पानी का लोटा और 13 दाने गेहूं के अलग रख लें. चंद्रमा के निकलने के बाद छलनी की ओट से पति को देखें और चन्द्रमा को अर्घ्‍य दें. चंद्रमा को अर्घ्‍य देते वक्‍त पति की लंबी उम्र और जिंदगी भर आपका साथ बना रहे इसकी कामना करें.
  • अब पति को प्रणाम कर उनसे आशीर्वाद लें और उनके हाथ से जल पीएं. अब पति के साथ बैठकर भोजन करें.

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करवा चौथ में सरगी :

करवा चौथ के दिन सरगी का भी विशेष महत्‍व है. इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं और लड़कियां सूर्योदय से पहले उठकर स्‍नान करने के बाद सरगी खाती हैं. सरगी आमतौर पर सास तैयार करती है. सरगी में सूखे मेवे, नारियल, फल और मिठाई खाई जाती है. अगर सास नहीं है तो घर का कोई बड़ा भी अपनी बहू के लिए सरगी बना सकता है. जो लड़कियां शादी से पहले करवा चौथ का व्रत रख रही हैं उसके ससुराल वाले एक शाम पहले उसे सरगी दे आते हैं. सरगी सुबह सूरज उगने से पहले खाई जाती है ताकि दिन भर ऊर्जा बनी रहे.

करवा चौथ की कथा :

पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी. सेठानी समेत उसकी बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था. रात्रि को साहूकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भोजन के लिए कहा. इस पर बहन ने जवाब दिया- “भाई! अभी चांद नहीं निकला है, उसके निकलने पर अर्घ्‍य देकर भोजन करूंगी.” बहन की बात सुनकर भाइयों ने क्या काम किया कि नगर से बाहर जा कर अग्नि जला दी और छलनी ले जाकर उसमें से प्रकाश दिखाते हुए उन्‍होंने बहन से कहा- “बहन! चांद निकल आया है. अर्घ्‍य देकर भोजन कर लो.”

Karwa Chauth 2019
Karwa Chauth 2019

यह सुनकर उसने अपने भाभियों से कहा, “आओ तुम भी चन्द्रमा को अर्घ्‍य दे लो.” परन्तु वे इस कांड को जानती थीं, उन्होंने कहा- “बाई जी! अभी चांद नहीं निकला है, तेरे भाई तेरे से धोखा करते हुए अग्नि का प्रकाश छलनी से दिखा रहे हैं.” भाभियों की बात सुनकर भी उसने कुछ ध्यान न दिया और भाइयों द्वारा दिखाए गए प्रकाश को ही अर्घ्‍य देकर भोजन कर लिया. इस प्रकार व्रत भंग करने से गणेश जी उस पर अप्रस्सन हो गए. इसके बाद उसका पति सख्त बीमार हो गया और जो कुछ घर में था उसकी बीमारी में लग गया.

जब उसने अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसने पश्चाताप किया गणेश जी की प्राथना करते हुए विधि विधान से पुनः चतुर्थी का व्रत करना आरम्भ कर दिया. श्रद्धानुसार सबका आदर करते हुए सबसे आशीर्वाद ग्रहण करने में ही मन को लगा दिया. इस प्रकार उसकी श्रद्धा भक्ति सहित कर्म को देखकर भगवान गणेश उस पर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवन दान दे कर उसे आरोग्य करने के पश्चात धन-संपत्ति से युक्त कर दिया. इस प्रकार जो कोई छल-कपट को त्याग कर श्रद्धा-भक्ति से चतुर्थी का व्रत करेंगे उन्‍हें सभी प्रकार का सुख मिलेगा.

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