हेल्लो फ्रेंड्स ,हिंदू धर्म में करवा चौथ के त्योहार का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि के बाद से त्योहारों का सिलसिला शुरू हो जाता है। 25 अक्टूबर को दशहरा के बाद करवा चौथ और फिर दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा। करवा चौथ के दिन सुहागिनें पति की लंबी आयु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। सुहागिनों के लिए यह व्रत सबसे अहम और स्पेशल माना जाता है। करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस साल करवा चौथ का व्रत 4 नवंबर, 2020 (बुधवार) को रखा जाएगा। Karwa Chauth 2020
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विषयसूची :
करवा चौथ शुभ मुहूर्त – Karva Chauth Muhurat
चतुर्थी तिथि – 4 नवंबर को सुबह 03:24 मिनट से 5 नवंबर को सुबह 05:14 मिनट तक।
करवा चौथ पूजा मुहूर्त – शाम 5 बजकर 29 मिनट से शाम 6 बजकर 48 मिनट तक।
चंद्रोदय – रात 8 बजकर 16 मिनट पर।
करवा चौथ व्रत नियम – Karva Chauth Vrat
यह व्रत सूर्योदय होने से पहले शुरू होता है और चांद निकलने तक रखा जाता है. चांद के दर्शन के बाद ही व्रत को खोलने का नियम है. शाम के समय चंद्रोदय से लगभग एक घंटा पहले सम्पूर्ण शिव-परिवार (शिव जी, पार्वती जी, नंदी जी, गणेश जी और कार्तिकेय जी) की पूजा की जाती है. पूजन के समय व्रती को पूर्व की ओर मुख करके बैठना चाहिए. इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पति को छलनी में दीपक रख कर देखा जाता है. इसके बाद पति जल पिलाकर पत्नी का व्रत तोड़ते हैं.
चांद निकलने तक रखा जाता है व्रत :
करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से चांद निकलने तक रखा जाता है। चांद को अर्घ्य देने और दर्शन करने के बाद ही व्रत को खोलने का नियम है। चंद्रोदय से कुछ समय पहले शिव-पार्वती और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। चांद निकलने के बाद महिलाएं पति को छलनी में दीपक रखकर देखती हैं और पति के हाथों जल पीकर उपवास खोलती हैं।
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चंद्रमा की पूजा का महत्व – Karva Chauth Mahatva
शास्त्रों में चंद्रमा को आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है। मान्यता है कि चंद्रमा की पूजा से वैवाहिक जीवन सुखी होती है और पति की आयु लंबी होती है।
करवा चौथ व्रत कथा – Karva Chauth Vrat Katha
पौराणिक कथा के अनुसार, एक साहूकार के सात बेटे थे और उसकी एक करवा नाम की बेटी थी। एक बार साहूकार की बेटी को करवा चौथ का व्रत मायके में पड़ा। जब रात में सभी भाई खाना खा रहे थे तो उन्होंने अपनी बहन से भी खाना खाने के लिए कहा। लेकिन करवा ने खाना खाने से इनकार कर दिया और कहा कि अभी चांद नहीं निकला है। वह चांद को अर्घ्य देने के बाद ही खाना खाएगी।
भाइयों को बहन की भूखी-प्यासी हालत देखी न गई। तभी सबसे छोटा बाई दूर एक पीपल के पेड़ में दीपक प्रज्वलित कर चढ़ गया। भाईयों ने करवा से कहा कि चांद निकल आया है और उसे अपना व्रत तोड़ने के लिए कहा। बहन को भाई की चालाकी समझ नहीं आई और उसने खाना खा लिया। खाना खाते ही करवा को उसके पति के मौत की खबर मिली। करवा पति के शव को एक साल लेकर बैठी रही और उसके ऊपर उगने वाली घास को इकट्ठा करती रही। अगले साल करवा चौथ का फिर से विधि विधान से व्रत किया। जिसके फलस्वरूप करवा का पति फिर से जीवित हो गया।