इस साल कब है होली, कथा और शुभ मुहूर्त में होलिका दहन के साथ करें ये उपाय

होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को पड़ता है। रंग और गुलाल के इस त्योहार को दो दिन मनाया जाता है। होली का त्योहार भारत, नेपाल समेत अन्य देशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार से धार्मिक मान्यता भी जुड़ी हुई है। Holi Dahan Ke Upaye

रंग और खुशी का त्योहार होली देशभर में धूम-धाम से मनाया जाता है। आइए जानते हैं, वर्ष 2020 में कब मनाई जाएगी होली और किस दिन होगा होलिका दहन और क्या हैं शुभ मुहूर्त…

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9 मार्च, सोमवार को होलिका दहन किया जाएगा। 10 मार्च, मंगलवार को रंगों का त्योहार होली मनाया जाएगा।

होली 2020 शुभ मुहूर्त :

  • संध्या काल में- 06 बजकर 22 मिनट से 8 बजकर 49 मिनट तक
  • भद्रा पुंछा – सुबह 09 बजकर 50 मिनट से 10 बजकर 51 मिनट तक
  • भद्रा मुखा : सुबह 10 बजकर 51 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक
Skin Care Tips For Holi Colors
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होलिका दहन के उपाय :

  • होलिकादहन तथा उसके दर्शन से शनि-राहु-केतु के दोषों से शांति मिलती है।
  • होली की भस्म का टीका लगाने से नजर दोष तथा प्रेतबाधा से मुक्ति मिलती है।
  • घर में भस्म चांदी की डिब्बी में रखने से कई बाधाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं।
  • कार्य में बाधाएं आने पर आटे का चौमुखा दीपक सरसों के तेल से भरकर कुछ दाने काले तिल के डालकर एक बताशा, सिन्दूर और एक तांबे का सिक्का डालें।
  • होली की अग्नि से जलाकर घर पर से ये पीड़ित व्यक्ति पर से उतारकर सुनसान चौराहे पर रखकर बगैर पीछे मुड़े वापस आएं तथा हाथ-पैर धोकर घर में प्रवेश करें।
  • जलती होली में तीन गोमती चक्र हाथ में लेकर अपने (अभीष्ट) कार्य को 21 बार मानसिक रूप से कहकर गोमती चक्र अग्नि में डाल दें तथा प्रणाम कर वापस आएं।

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होलिका दहन कथा :

शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन की परंपरा भक्त और भगवान के संबंध का अनोखा एहसास है। कथानक के अनुसार भारत में असुर राज हिरण्यकश्यप राज करता था। उनका पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था, लेकिन हिरण्यकश्यप विष्णु द्रोही था।

हिरण्यकश्यप ने पृथ्वी पर घोषणा कर दी थी कि कोई देवताओं की पूजा नहीं करेगा। केवल उसी की पूजा होगी, लेकिन भक्त प्रहलाद ने पिता की आज्ञा पालन नहीं किया और भगवान की भक्ति लीन में रहा।

Holi Dahan Ke Upaye
Holi Dahan Ke Upaye

हिरण्यकश्यप ने पुत्र प्रहलाद की हत्या कराने की कई बार कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया तो उसने योजना बनाई। इस योजना के तहत उसने बहन होलिका की सहायता ली। होलिका को वरदान मिला था, वह अग्नि से जलेगी नहीं।

योजना के तहत होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई, लेकिन भगवान ने भक्त प्रहलाद की सहायता की। इस आग में होलिका तो जल गई और भक्त प्रहलाद सही सलामत आग से बाहर आ गए। तब से होलिका दहन की परंपरा है। होलिका में सभी द्वेष भाव और पापों को जलाने का संदेश दिया जाता है।

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