1 जुलाई को देवशयनी एकादशी, 5 माह तक नहीं होंगे शुभ कार्य

हेलो फ्रेंड्स , आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि यानी भड़ली या भड़ल्या नवमी को विवाह आदि मांगलिक कार्यों के लिए अबूझ मुहूर्त माना जाता है। ये अक्षय तृतीया जैसा ही मुहूर्त है। नवमी तिथि होने से इस दिन गुप्त नवरात्र का समापन भी होता है और 2 दिन बाद देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2020) पर भगवान आमतौर पर सो जाते हैं। शहर में भी इस दौरान कई शादियां संपन्न कराई जा रही हैं।

इसे आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी कहा जाता है, इसे हरिसैनी एकादशी भी कहते हैं। आषाढ़ के महीने में दो एकादशी आती हैं एक शुक्ल पक्ष और दूसरी कृष्ण पक्ष मनाई जाती है।

भगवान विष्णु ही प्रकृति के पालनकर्ता है। इस दिन से श्रीहरि शयन के लिए चले जाते हैं। इस दौरान कोई शुभ काम नहीं किया जाता है, लेकिन तपस्या, पूजा, अर्चना आदि चलता रहता है।

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देवशयनी एकादशी के बाद सूर्य चंद्रमा का तेजस्व कम हो जाता है। इसलिए कहा जाता है कि देव शयन हो गया है। इन चार महीनों में किए गए कार्यों के परिणाम शुभ नहीं होते हैं।

इस दौरान शादी विवाह या फिर कोई मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। देवशयनी एकादशी से साधुओं का भ्रमण भी बंद हो जाता है, वे एक जगह पर रुककर योग और तप करने लगते हैं।

अगर कोई व्यक्ति इस दौरान ब्रज की यात्रा करें तो शुभ माना जाता है। तो आप इस दौरान कैसे पूजा करें और क्या क्या करें, क्या न करें।

Devshayani Ekadashi 2020
Devshayani Ekadashi 2020

देवशयनी एकादशी पर करने और भगवान विष्णु की विधिवत पूजन से सभी प्रकार के पापों को नाश होता है, मन शुद्ध होता है परेशानियां कम होती है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है, ताकि चार महीने तक भगवान विष्णु की कृपा बनी रहे।

देवशयनी एकादशी पूजन विधि :

भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र रख लें और दीपक जलाएं। भगवान विष्णु को पीली वस्तुओं का भोग लगाएं और पीले वस्त्र अर्पित करें।

इस दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें यदि मंत्र याद नहीं है तो हरि नाम का जाप करें। हरि का नाम अपने आप में बड़ा मंत्र है। जप तुलसी या चंदन की माला से जप करें, आरती करें और विशेष हरिशयन मंत्र का उच्चारण करें।

जब भगवान विष्णु निद्रा में जाते हैं तो यह सबसे अच्छा समय माना गया है कि आप पूजा अर्चना करते रहें, क्योंकि इस समय तेज कम हो जाता है। इसलिए शुभ कार्य नहीं किया जाता है लेकिन पूजा अर्चना, तप के लिए लिए यह सबसे अच्छा समय है।

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कब है देवउठनी एकादशी :

पं. त्रिवेदी के अनुसार देवशयनी एकादशी के साथ ही चातुर्मास का आरम्भ भी होगा, जिसमें भगवान की उपासना, व्रत, जप, पूजन, दानादि कार्यों का महत्व बढ़ जाता है। इस बार आश्विन अधिक मास के चलते चातुर्मास 4 की जगह 5 माह का होगा।

देव उठनी एकादशी पर चातुर्मास समाप्त होगा। देवउठनी एकादशी 25 नवंबर को है तो इस दिन से ही मांगलिक कार्य शुरू होंगे।

इस साल नवंबर में 26 और 27 तारीख को ही मुहूर्त रहेंगे, जबकि दिसंबर में केवल 1 से 11 तक सात दिन ही मुहूर्त रहेंगे।

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