13 अप्रैल से शुरू हो रहीं हैं चैत्र नवरात्रि, जानें कलश स्थापना से लेकर नवमी तक की तिथि व शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि (chaitra navratri 2021) साल 2021 में 13 अप्रैल से शुरू होने वाली हैं, ये पर्व 22 अप्रैल तक चलेगा। ज्ञात हो कि हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। कुल चार तरह के नवरात्रि मनायी जाती है। वहीं इसी दिन से हिंदुओं का नया साल यानि नवसंवत्सर 2078 शुरु होगा, जिसका नाम राक्षस है। इस नवसंवत्सर के राजा और मंत्री दोनों ही मंगल रहेंगे।

नवरात्रि का त्यौहार साल में चार बार मनाया जाता है, जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि मुख्य माने जाते हैं। वहीं माघ और आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्रि मनाई जाती हैैं। नवरात्रि पर मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। वहीं नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना भी की जाती है।

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इस बार चैत्र नवरात्रि का आरंभ मंगलवार के दिन से होगा जिसकी वजह से मां घोड़े पर सवार होकर आएंगी। इससे पहले शारदीय नवरात्रि पर भी मां घोड़े पर सवार होकर आई थीं। देवी मां जब भी घोड़े पर आती हैं तो युद्ध की आशंका बढ़ जाती है।

सभी नवरात्रि यानि चैत्र, शारदीय, माघ और आषाढ़ नवरात्रि में विशेष रूप से मां दुर्गा के सभी 09 स्वरूपों की अलग-अगल दिन पूजा का महत्व होता है। ऐसे में इस चैत्र नवरात्रि में मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि की पूजा-अर्चना की जाएगी।

Chaitra Navratri 2020
chaitra navratri 2021

ये हैं देवी दुर्गा के नौ स्वरूप –

नवरात्रि पर देवी भगवती को प्रसन्न करने के लिए उनके नौ रूपों की पूजा-अर्चना, पाठ और आरती की जाती है। देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूप – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि हैं। मान्यता है कि नवरात्रि पर देवी दुर्गा पृथ्वी पर आती हैं, जहां वे नौ दिनों तक वास करते हुए अपने भक्तों की साधना से प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं। नवरात्रि पर देवी दुर्गा की साधना और पूजा-पाठ करने से आम दिनों के मुकाबले पूजा का कई गुना ज्यादा फल की प्राप्ति होती है।

नवरात्रि पर ही विवाह को छोड़कर सभी तरह के शुभ कार्यों की शुरुआत करना और खरीदरारी करना बेहद ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि भगवान राम ने भी लंका पर चढ़ाई करने से पहले रावण संग युद्ध में विजय प्राप्ति के लिए देवी की साधना की थी। नवरात्रि पर सभी शक्तिपीठों पर विशेष आयोजन किए जाते हैं, जहां पर बड़ी संख्या में लोग माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनके दरबार में आशीर्वाद मांगने जाते हैं।

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आइए जानते हैं 2021 की चैत्र नवरात्र में किस दिन किस देवी की पूजा होगी, साथ ही जानिये घटस्थापना तिथि, मुहूर्त, नवमी तिथि समेत अन्य जानकारियां…

घटस्थापना यानि कलश स्थापना की तिथि –

नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। माना जाता है कि विधि-विधान से कलश स्थापना करने से मां भक्तों के सारे कष्ट दूर करती हैं। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है जिसे कलश स्थापना भी कहते हैं। पहले दिन घटस्थापना का विशेष महत्व होता है।

प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना के साथ ही नौ दिनों तक चलने वाला नवरात्रि का पर्व आरंभ हो जाता है। पहले दिन में विधि-विधान से घटस्थापना करते हुए भगवान गणेश की वंदना के साथ माता के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा, आरती और भजन किया जाता है।

Chaitra Navratri 2020
chaitra navratri 2021

घटस्थापना या कलश स्थापना तिथि: 13 अप्रैल को
महानिशा पूजा तिथि: 20 अप्रैल को

चैत्र नवरात्रि 2021 की तिथियां –

  • 13 अप्रैल- नवरात्रि प्रतिपदा- मां शैलपुत्री पूजा और घटस्थापना
  • 14 अप्रैल- नवरात्रि द्वितीया- मां ब्रह्मचारिणी पूजा
  • 15 अप्रैल- नवरात्रि तृतीया- मां चंद्रघंटा पूजा
  • 16 अप्रैल- नवरात्रि चतुर्थी- मांकुष्मांडा पूजा
  • 17 अप्रैल- नवरात्रि पंचमी- मां स्कंदमाता पूजा
  • 18 अप्रैल- नवरात्रि षष्ठी- मां कात्यायनी पूजा
  • 19 अप्रैल- नवरात्रि सप्तमी- मां कालरात्रि पूजा
  • 20 अप्रैल- नवरात्रि अष्टमी- मां महागौरी
  • 21 अप्रैल- नवरात्रि नवमी- मां सिद्धिदात्री , रामनवमी
  • 22 अप्रैल- नवरात्रि दशमी- नवरात्रि पारणा

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घट स्थापना विधि –

  • चैत्र नवरात्र की प्रतिपदा तिथि को सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • फिर पाद्य, लाल वस्त्र, अक्षत, पुष्प, धूप, दीपक, नैवेद्य, पुष्पांजलि आदि के माध्यम से देवी के स्‍थान को सुसज्जित करें।
  • इसके बाद गणपति और मातृका की पूजा भी करके घट या कलश स्थापना करें।
  • अब नौ देवियों की आकृति बनाने के लिए लकड़ी के पटरे पर पानी में गेरू घोलें।
  • इसके अलावा सिंह वाहिनी दुर्गा की प्रतिमा भी स्थापित कर सकते हैं।
  • फिर एक कलावा लपेटें और गणेश स्वरूप में कलश पर उसे विराजमान करें।
  • घट के पास गेहूं या जौ का पात्र रखें।
  • अब वरुण पूजन और मां भगवती का विधि-विधान से आह्वान करें।

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