इस दिन है भौम प्रदोष व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त, विधि, महत्व और कथा

हेल्लो दोस्तों हिंदी पंचांग के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत है. इस बार साल का पहला भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat 2021) 26 जनवरी को होगा। मंगलवार को होने की वजह से इसे भौम प्रदोष व्रत भी कहा जाता है। प्रदोष व्रत हर महीने में दो बार आता है एक शुक्ल पक्ष को और दूसरा कृष्ण पक्ष को।

भौम का अर्थ होता है मंगल और मंगलवार के दिन पड़ने की वजह से इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है. इस दिन भगवान शिव और हनुमान की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. शिव की उपासना से जीवन खुशहाल और हनुमान की पूजा से शत्रुओं का विनाश होता है. भौम प्रदोष पर हनुमान की पूजा से कर्जों से भी मुक्ति मिलती है. आइए जानते हैं कि भौम प्रदोष व्रत की तिथि, पूजा और मुहूर्त के बारे में.

भौम प्रदोष पूजा मुहूर्त :

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पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 25 जनवरी दिन सोमवार को देर रात 12 बजकर 24 मिनट पर हो रहा है. वहीं, त्रयोदशी तिथि 26 जनवरी को देर रात 01 बजकर 11 मिनट तक है. ऐसे में प्रदोष व्रत 26 जनवरी को रखा जाएगा. लेकिन प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही करने का महत्व है. सूर्यास्त के बाद और रात्रि से पूर्व का समय प्रदोष काल होता है. इस बार 26 जनवरी को भौम प्रदोष व्रत की पूजा के लिए कुल 02 घंटे 39 मिनट का समय मिल रहा है. आपको उस दिन शाम को 05 बजकर 56 मिनट से रात 08 बजकर 35 मिनट के मध्य भगवान शिव की पूजा कर लेनी चाहिए.

यह व्रत कर्ज और भूमि के संबंध में अच्छे फल प्रदान करता है। दरअसल मंगल ग्रह का एक अन्य नाम भौम भी है, जिसके कारण मंगलवार के दिन पड़ने वाली प्रदोष तिथि को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। साल का पहला भौम प्रदोष व्रत 26 जनवरी को होगा। साल 2021 में इन तिथियों पर होगा भौम प्रदोष व्रत।

  • 26 जनवरी, मंगलवार- भौम प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
  • 9 फरवरी, मंगलवार – भौम प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
  • 22 जून, मंगलवार – भौम प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
  • 2 नवंबर, मंगलवार – भौम प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
  • 16 नवंबर, मंगलवार – भौम प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
Bhaum Pradosh Vrat 2021
Bhaum Pradosh Vrat 2021

भौम प्रदोष व्रत पूजा विधि :

  • इस दिन सबसे पहले प्रात: काल उठकर स्नान करें, और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। उसके बाद भगवान शिव की आराधना करें।
  • हाथ में जल और फूल लेकर भौम प्रदोष व्रत का संकल्प लें। फिर भगवान शिव की पूजा अर्चना करें।
  • एक चौकी पर शिव जी की प्रतिमा या मूर्ति को स्थापित करें। फिर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके आसन ग्रहण करें, और शिव की पूजा शुरू करें।
  • सबसे पहले गंगा जल से भगवान शिव का अभिषेक करें। उनको धतूरा, भांग, फल-फूल, अक्षत, गाय का दूध आदि चढ़ाएं।
  • प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, गंगाजल आदि अर्पित करना उत्तम और कल्याणकारी माना जाता है.
  • इस दौरान ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप अवश्य करें।
  • याद रहे कि शिव जी को सिंदूर या तुलसी पत्ता प्रिय नहीं है, इसलिए पूजा के वक्त इसका इस्तेमाल ना करें।
  • भगवान शिव को भोग लगाने के बाद शिव चालीसा और शिव पुराण का पाठ करना कल्याणकारी होता है।
  • पूजा का समापन कर लोगों में प्रसाद वितरित करें। खुद भी प्रसाद ग्रहण कर फलहार करें।
  • उसके बाद भगवान शिव का दिन भर भजन-कीर्तन करें।
  • शाम को फिर से स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहनकर भौम प्रदोष व्रत की पूरे विधि-विधान से पूजा करें।
  • रात भर जागरण कर अगले दिन यानी कि चतुर्दशी की सुबह व्रत का पारण करें, और भगवान शिव से अपनी मनोकामना पूरी करने का निवेदन करें।

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प्रदोष व्रत का महत्व :

जो भी व्यक्ति प्रदोष व्रत रखते हैं, उन्हें भगवान शिव की कृपा से सुख, समृद्धि, निरोगी जीवन और संतान सुख आदि का आशीष प्राप्त होता है. इस व्रत को करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है. भौम प्रदोष व्रत के ​​दिन व्रत रहते हुए प्रदोष काल में भगवान शिव की आराधना करने से व्यक्ति को असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है, साथ ही सेहत भी उत्तम रहता है। जो लोग नि:संतान हैं, उन लोगों को प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए। भगवान शिव के आशीर्वाद से उनको संतान की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं, दरिद्रता और दुखों का भी नाश हो जाता है। इसे मंगल प्रदोष भी कहा जाता है.

प्रदोष व्रत को अत्यधिक शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता यह भी है इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है और भगवान शिव की कृपा से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। उसी तरह प्रदोष व्रत रखने और साथ ही दो गाय दान करने से भी यही सिद्धी प्राप्त होती है। भौम प्रदोष व्रत को करने से मनुष्य में सुविचार और सकारात्मकता आती है और वह अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं। साथ ही चलिए जानते हैं इस प्रदोष व्रत की कथा के बारे में….

Bhaum Pradosh Vrat 2021
Bhaum Pradosh Vrat 2021

भौम प्रदोष व्रत कथा :

प्राचीन समय की बात है एक नगर में एक वृद्ध महिला रहती थी। उसका एक पुत्र था। बुजुर्ग महिला की भगवान हनुमान पर गहरी आस्था थी। वो हर मंगलवार को व्रत रख भगवान हनुमान की आराधना करती थी। एक बार भगवान हनुमान ने उनकी श्रद्धा की परीक्षा लेने की सोची। और भगवान हनुमान साधु का वेश धारण कर बुजुर्ग महिला के घर गए और पुकारने लगे – है कोई हनुमान भक्त, जो मेरी इच्छा पूर्ण कर सकें? उस साधु की पुकार सुनकर बुजुर्ग महिला बाहर आई और बोली- आज्ञा दें महाराज। तभी भगवान हनुमान बोले- मुझे बहुत भूख लगी हैं, भोजन करना हैं, तू थोड़ी जमीन लीप दे।

ये सब सुनकर बुजुर्ग महिला दुविधा में पड़ गई। और हाथ जोड़कर बोली- हे साधु महाराज, लीपने और मिट्टी खोदने के अलावा आप कोई दूसरी आज्ञा दें, मैं अवश्य करूंगी। फिर साधु ने तीन बार प्रतिज्ञा करवाई और कहा – अम्मा, तू अपने बेटे को बुला। मैं तेरे बेटे की पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाऊंगा।

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हनुमान जी ने ली परीक्षा :

यह सुन बुजुर्ग महिला घबरा गई, परंतु वो अब प्रतिज्ञा ले चुकी थी। उसने अपने पुत्र को घर के बाहर बुलाकर साधु को दे दिया। साधु ने बुजुर्ग महिला के हाथों से ही उनके पुत्र को पेट के बल लिटवाया। पुत्र के पीठ पर आग जलवाई। आग जलाकर उदास मन से बुजुर्ग महिला अपने घर में चली गई। भोजन बनाने के बाद साधु ने बुजुर्ग महिला को बुलाकर कहा- तुम अपने पुत्र को पुकारो ताकि वह भी आकर भोजन करें।

बुजुर्ग महिला बोली- मेरे पुत्र का नाम लेकर, मुझे और कष्ट न दो। लेकिन जब साधु महाराज नहीं माने तो बुजुर्ग महिला ने अपने पुत्र को आवाज लगा ही दी। अपने पुत्र को जीवित देख बुजुर्ग महिला को बहुत आश्चर्य हुआ और वह साधु महाराज के चरणों में गिर पड़ी। बुजुर्ग महिला की भक्ति देख भगवान हनुमान अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए और बुजुर्ग महिला को भक्ति का आशीर्वाद दिया।

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