आइये हम आपको अक्षय तृतीया के बारे में बताने जा रहे है जो 25 अप्रैल से शुरू और 26 अप्रैल को समाप्त हो जाएगी . हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का काफी महिमा है. वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया मनाई जाती है. यह तिथि अक्षय फलदायक होती है. अक्षय तृतीया शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी की पूजा करने और सोने की खरीदारी करने से घर में धन-धान्य की कमी नहीं रहती है. इस बार अक्षय तृतीया लॉकडाउन में मनाई जायेगी. Akshaya Tritiya 2020
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इस दिन माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए पूजा की जाती है। लॉकडाउन के कारण इस बार घर में रहकर भी पूजा की जा सकती है। मान्यता है कि लक्ष्मीजी की प्रतिमा को कच्चे दूध से स्नान करवाकर केसर, कुमकुम से उनका पूजन करें। यदि गंगाजल है तो उसका भी उपयोग कर सकते हैं। इस दौरान ‘ऊं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद महालक्ष्मयै नम:” मंत्र का जाप किया जाता है।
अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करने से जातक को शुभ फल की प्राप्ति होती है और उस पर सदा मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. वहीं अक्षय तृतीया के अन्य कई महत्व भी हैं जो इसे हिन्दू धर्म की इतनी खास तिथि बनाते हैं।
विषयसूची :
अक्षय तृतीया का मुहूर्त :
तृतीया तिथि प्रारंभ: 11:50 बजे (25 अप्रैल 2020)
तृतीया तिथि समापन: 13:21 बजे (26 अप्रैल 2020)
अक्षय तृतीया पर ये काम न करें :
अक्षय तृतीया पर घर में क्लेश नहीं करना चाहिए। इस दिन घर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। वाद-विवाद से बचें। नशा न करें। धर्म के अनुसार कर्म करें। अधार्मिक कर्म करने वाले लोगों को अक्षय तृतीया पर किए गए दान-पुण्य का पूरा फल नहीं मिल पाता है।
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जानिए अक्षय तृतीया से जुड़ी खास पौराणिक घटनाएं –
- वेद व्यास और श्रीगणेश द्वारा महाभारत ग्रंथ के लेखन का प्रारंभ भी अक्षय तृतीया के दिन से ही माना जाता है।
- अक्षय तृतीया को भगवान विष्णु के छठे अवतार श्री परशुराम की जन्मतिथि माना गया है।
- चार युगों की शुरुआत अक्षय तृतीया से मानी गई है। इसी दिन से सतयुग और त्रेतायुग का प्रारंभ बताया जाता है।
- अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान विष्णु के अवतार नर-नारायण और हयग्रीव का अवतरण हुआ था।
- ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी अक्षय तृतीया से ही जुड़ा है।
- अक्षय तृतीया के दिन ही महाभारत के युद्ध का समापन भी हुआ था।
- देश के पवित्र तीर्थस्थल बद्रीनाथ के कपाट भी अक्षय तृतीया वाली तिथि से ही खोले जाते हैं।
- वृंदावन के बांके बिहारी जी मंदिर में संपूर्ण वर्ष में केवल एक बार, अक्षय तृतीया पर ही श्री विग्रह के चरणों के दर्शन होते हैं।
- अक्षय तृतीया के दिन ही द्वापर युग का समापन माना गया है।
- मां गंगा का पृथ्वी पर आगमन भी अक्षय तृतीया के दिन ही हुआ था।
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