आज अपरा एकादशी ! बस तुलसी के सामने बोले ये 3 अक्षर और फिर देखे चमत्कार

हेल्लो दोस्तों नमस्ते, मैं आकृति स्वागत करती हूँ आप सभी का ! गर्मी अपने चरम पर है उम्मीद है आप सभी ठीक तरह से होंगे ! आज है 11 मई हिन्दू धर्म के अनुसार एकादशी का दिन भी है ! तो आइये जानते है आज क्या करना है आपको ! हिन्दू शास्त्रों के अनुसार एकादशी का व्रत-उपवास रखने से भगवान श्रीहरि विष्णु अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उन पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं। आपको बता दे की एकादशी हर माह में 2 बार आती है- एक कृष्ण और दूसरी शुक्ल पक्ष में। 11 May Apra Ekadashi

हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक 11वीं तिथि को एकादशी व्रत का विधान माना गया है। एकादशी के व्रत-उपवास करने का बहुत महत्व होता है, और विधि विधान से पूजा पाठ करने से हमें बहुत ही अच्छे फल की प्राप्ति होती है| खासकर हिन्दू धर्म के अनुसार एकादशी व्रत करने की इच्छा रखने वाले मनुष्य को दशमी के दिन से ही कुछ अनिवार्य नियमों का पालन करके अगले दिन प्रात:काल सूर्योदय के पश्चात ही एकादशी व्रत का पारण करके भोजन ग्रहण करना चाहिए। यह व्रत सर्व-सुख और मोक्ष देने वाला माना गया है।

हमारे हिन्दू धर्म में व्रत और त्योहारों का बहुत ही महत्व माना गया है और हमारे हिन्दू धर्म में तो पूजा पाठ को बहुत ही विशेष स्थान दिया गया है| हमारे ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार हमारे हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत बहुत ही शुभ व्रत माना जाता है। एकादशी शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ है ‘ग्यारह’ । प्रत्येक महीने में दो एकादशी होती हैं जो कि शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष के दौरान आती हैं। देखा जाये तो हमारे हिन्दू धर्म में तुलसी को बड़ा पवित्र स्थान दिया गया है। यह लक्ष्मी व नारायण दोनों को समान रूप से प्रिय है। इसे ‘हरिप्रिया’ भी कहा गया है।

11 May Apra Ekadashi

हमारे हिन्दू पुराणों के अनुसार एकादशी को ‘हरी वसर’ एवं ‘हरी दिन’ भी कहा जाता है। एकादशी के महत्व को स्कन्द पुराण एवं पदम् पुराण में भी बताया गया है। जो भक्त व्रत रखते हैं वो इस दिन गेहूं, मसाले एवं सब्जियां नहीं खाते। श्रद्धालू इस व्रत की तैयारी एकादशी से एक दिन पहले दशमी के दिन से से ही प्रारंभ कर देते हैं। श्रद्धालू सुबह जल्दी उठकर पवित्र जल से स्नान करते हैं एवं इस दिन बिना नमक का भोजन करते हैं। इसी के चलते बिना तुलसी के यज्ञ, हवन, पूजन, कर्मकांड, साधना व उपासना कभी पूरी नही होती इसका उपयोग सभी पूजा ,कथा ,और धार्मिक स्थलों पर होता है|

यहां तक कि श्राद्ध, तर्पण, दान, संकल्प के साथ ही चरणामृत, प्रसाद व भगवान के भोग में भी तुलसी का होना अनिवार्य माना गया है। भारतीय समाज में तुलसी के पौधे को देवतुल्य माना गया है और सबसे ऊंचा स्थान दिया गया है। यह औषधि के साथ ही मोक्ष प्रदायिनी भी है। तुलसी के संबंध में जन्म-जन्मांतर के बारे में अनेक पौराणिक गाथाएं विद्यमान हैं। तुलसी को ‘वृन्दा’ और ‘विष्णुप्रिया’ के नाम से भी जानते हैं।

हमारे शास्त्रों के अनुसार तुलसी का घर में होना बहुत ही शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। दोस्तों ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपर एकादशी कहते हैं। इस बार यह एकादशी 11 मई यानि आज है। अपरा एकादशी को अचला एकादशी, भद्रकाली एकादशी और जलक्रीड़ा एकादशी भी कहते है। अपरा एकादशी का व्रत करने से अपार धन-सम्पदा और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है ज्येष्ठ मास की कृष्णपक्ष की एकादशी का बड़ा ही महत्व होता है।

11 May Apra Ekadashi

पद्मपुराण के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को प्रेत योनि में जाकर कष्ट नहीं भोगना पड़ता है। प्रेत योनि से मुक्ति प्रदान करने वाली इस एकादशी का नाम अचला एकादशी भी है। और इसी सम्बन्ध में आज हम आपको एक ऐसा उपाय बताने जा रहा जो आपकी मन की सारी मनोकामना पूरी कर देगा| फिर चाहे वो कोई भी मनोकामना हो| अब आइये जानते है इस उपाय के बारे में|

दोस्तों सबसे पहले एकदशी की शाम आपको तुलसी पूजा करने के बाद वहां एक रुपया का सिक्का रखना है और ॐ भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करना है दोस्तों ये बहुत ही चमत्कारी मंत्र है यह मंत्र आपकी सभी मनोकामनाओ को जल्द ही पूरी कर देगा| और माँ लक्ष्मी की कृपा आपके ऊपर हमेशा बनी रहेगी|

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