Shani Pradosh Vrat Upay : शनि प्रदोष व्रत, जानें शिव पूजन शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व महत्व

Shani Pradosh Vrat Upay : हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत अत्यंत शुभ माना गया है। हर महीने दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं जिसमें एक शुक्ल पक्ष और एक कृष्ण पक्ष। शनिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। प्रदोष व्रत का पूजन प्रदोष काल में करना बेहद शुभ माना जाता है। शनि की साढ़ेसाती व शनि ढैय्या से पीड़ित जातकों को शनि प्रदोष व्रत करने से शनि प्रकोप से राहत मिलती है। इस बार शनि प्रदोष व्रत 04 मार्च 2023 को है। 

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यह दिन भगवान शिव को समर्पित है और ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और शनि ग्रह के नकारात्मक प्रभाव किसी के जीवन में कम हो जाते हैं।

शनि प्रदोष व्रत करने की प्रक्रिया में शाम को स्नान करना और भगवान शिव को फूल, फल और मिठाई का प्रसाद चढ़ाना शामिल है। भक्त उपवास रखते हैं और पूरे दिन केवल फल या दूध का सेवन करते हैं। वे शाम की पूजा करने और भगवान शिव को भोग लगाने के बाद अपना व्रत तोड़ती हैं।

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इस व्रत का महत्व भगवान शिव से आशीर्वाद लेने और किसी के जीवन में शनि ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को भक्ति और ईमानदारी से करने से सुख, समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है।

Shani Pradosh Vrat Upay
Shani Pradosh Vrat Shubhkamnayein

शनि प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

शुभ मुहूर्त या इन तिथियों में से प्रत्येक पर शनि प्रदोष व्रत का पालन करने का शुभ समय स्थान और स्थानीय पंचांग (हिंदू कैलेंडर) के अनुसार भिन्न हो सकता है। पूजा और उपवास के लिए सही समय निर्धारित करने के लिए स्थानीय ज्योतिषी या पुजारी से परामर्श करने की सिफारिश की जाती है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 04 मार्च को सुबह 11 बजकर 43 मिनट पर प्रारंभ होगी जो कि 05 मार्च को दोपहर 02 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगी।

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प्रदोष काल में करें शिवपूजन

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का पूजन प्रदोष काल में करना अत्यंत लाभकारी माना गया है। कहते हैं कि ऐसा करने से महादेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 04 मार्च को शनि प्रदोष व्रत के दिन शिव पूजन का सबसे उत्तम समय शाम 06 बजकर 23 मिनट से रात 08 बजकर 51 मिनट पर समाप्त होगी।

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शनि दोष से मुक्ति पाने के उपाय

(Shani Dosh Upay)

  • शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए शनि प्रदोष के दिन शनि स्त्रोत का पाठ करें।
  • इस दिन कम से कम शनि मंत्र का एक माला जाप करें।
  • बूंदी के लड्डू शनि देव को चढ़ाकर काली गाय को खिलाएं।
  • तेल में चुपड़ी रोटी को काले कुत्ते को खिलाएं।
  • प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।
  • प्रदोष व्रत में अन्न, नमक, मिर्च आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत के समय एक बार ही फलाहार ग्रहण किया जाता है।

शनि प्रदोष व्रत पूजन विधि

शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि निम्नलिखित रूप से होती है:

  • पूजा के लिए एक शुद्ध जगह चुनें जहां आप शांति और ध्यान में बैठ सकते हैं।
  • शनि प्रदोष व्रत की सामग्री जैसे कि कलश, दीपक, पुष्प, दूध, दही, घी, तिल, गुड़, फल, नट, चावल, मूंगफली और साबुत उरद को एकत्र करें।
  • पूजा के लिए शिवलिंग को भगवान शिव की मूर्ति के रूप में स्थापित करें। उसके साथ शनि देव की मूर्ति भी स्थापित करें।
  • पूजा के आरंभ में शिवलिंग को जल से स्नान कराएं। उसके बाद, इसे चांदी के कटोरी में स्थान दें। इसके बाद शनि देव की मूर्ति को स्नान कराएं और उसे भी चांदी के कटोरे में रखें।
  • शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, तिल, गुड़, फल आदि की अर्पण करें।
  • शनि देव की मूर्ति पर तिल का तेल, उरद के दाने, नट आदि को अर्पण करें।
  • उपरोक्त सामग्री के अर्पण के बाद, दोनों मूर्तियों को पुष्प और अक्षत से चढ़ाएं।
  • अनुग्रह के लिए शनि प्रदोष व्रत के दौरान आप भगवान शनि देव के समक्ष अपनी इच्छाओं और मनोकामनाओं को व्यक्त कर सकते हैं।
  • शनि प्रदोष व्रत के दौरान शनि देव की आराधना करने से आपकी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं और आप शनि देव की कृपा से जीवन के कठिनाईयों से मुक्त हो सकते हैं।
  • आप इस दिन अपने पितरों को भी याद कर सकते हैं जो आपकी मदद करने में सक्षम थे और आपकी सहायता के लिए आपके साथ हमेशा होते हैं।
  • आप इस व्रत के दौरान दान भी दे सकते हैं जो आपके कर्मों को शुद्ध कर सकता है और आपको शनि देव की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
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शनि प्रदोष व्रत का महत्व

शनि प्रदोष व्रत का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह व्रत शनि देव को समर्पित होता है जो अस्त ग्रह के रूप में जाना जाता है। शनि देव की पूजा के द्वारा हम उनके आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं जो हमें जीवन में सफलता, धन, स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख के लिए आवश्यक होते हैं।

शनि प्रदोष व्रत के द्वारा शनि देव हमारी समस्याओं और कष्टों से निजात प्रदान करते हैं। यह व्रत शनि देव के आशीर्वाद से भरपूर होता है जो हमें शुभ फल प्रदान करते हैं। इस व्रत को नियमित रूप से करने से शनि देव के क्रोध से भी बचा जा सकता है।

शनि प्रदोष व्रत को निरंतर विधि अनुसार करने से हम शनि देव को खुश करते हैं और हमें उनके आशीर्वाद से लाभ प्राप्त होता है। इसलिए, शनि प्रदोष व्रत का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है और हमें इसे नियमित रूप से करना चाहिए।

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