संतान प्राप्ति की कामना के लिए करें ‘श्रावण पुत्रदा एकादशी’ का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूरी पूजा विधि

हेल्लो दोस्तों हिंदू धर्म में एकादशी का धार्मिक महत्व होता है। हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के दो पक्षों के ग्यारहवीं तिथि को एकादशी के नाम से जाना जाता है। एक साल में 24 से 26 एकादशी हो सकते हैं। एकादशी के अलग-अलग नाम और महत्व भी भिन्न-भिन्न होते हैं हालांकि पुत्रदा एकादशी साल में दो बार पड़ता है। Sawan Putrada Ekadashi

साल की पहली पुत्रदा एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी या पौष शुक्ल पुत्रदा एकादशी कहते हैं। यह एकादशी दिसंबर या जनवरी महीने में आती है। जबकि दूसरी पुत्रदा एकादशी सावन मास के शुक्ल पक्ष के एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह जुलाई या अगस्त के महीने में आती है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित किया गया है। इस साल यह 27 अगस्त 2023 को रविवार को पड़ रही है। पुत्र प्राप्ति की कामना से भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। आइये जानते हैं सावन मास में पड़ने वाले पुत्रदा एकादशी के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

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पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 27 अगस्त 2023 को प्रात: 12:08 मिनट पर आरंभ होगी और उसी दिन रात 09:32 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।

पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण 28 अगस्त 2023 को सुबह 05:57 मिनट से लेकर सुबह 08:31 मिनट तक होगा जबकि द्वादशी तिथि का समापन 28 अगस्त को शाम 06:22 मिनट पर होगा।

Sawan Putrada Ekadashi
Sawan Putrada Ekadashi

पुत्रदा एकादशी पूजा विधि

  • इस दिन व्रत रखने वालों के प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए।
  • स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए पडे़गा।
  • स्नान ध्यान के बाद पूरे विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
  • समीप के किसी मंदिर या घर के मंदिर में भगवान विष्णु को पील फल, पीले पुष्प, पंचामृत, तुलसी आदि अर्पित करना चाहिए।
  • हालांकि अगर पुत्र कामना के लिए व्रत रखना है तो पति-पत्नी दोनों को ही व्रत का संकल्प लेना पड़ेगा।
  • उसके बाद भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करनी चाहिए।
  • भगवान कृष्ण को पंचामृत बहुत पंसद है, इसलिए इसका भोग लगाना शुभ माना जाता है।
  • अपने सामर्थ्य के अनुसार फल-फूल, नारियल, पान, सुपारी, लौंग, बेर, आंवला आदि चढ़ाएं।
  • विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से शुभ फल प्राप्त होता है।
  • यह व्रत पापों से मुक्ति दिलाने वाला होता है। इसे रखने से घर में सुख समृद्धि आती है और भगवान विष्णु का आर्शीवाद प्राप्त होता है।

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श्रावण पुत्रदा एकादशी के उपाय

(Shravana Putrada Ekadashi Ke Upay)

  • श्रावण पुत्रदा एकादशी के दिन संतान संबंधी किसी भी परेशानी के लिए आपको भगवान श्री कृष्ण के लड्डू गोपाल स्वरूप की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
  • यदि आपको आपकी शादी के काफी सालों के बाद भी संतान का सुख प्राप्त नही हुआ है तो आप इस भगवान श्री कृष्ण के संतान गोपाल मंत्र का जाप अवश्य करें।
  • श्रावण पुत्रदा एकादशी के दिन यदि पति और पत्नी दोनो मिलकर भगवान श्री कृष्ण को पीले फूल अर्पित करते हैं तो उन्हें संतान का सुख अवश्य ही प्राप्त होगा।
  • आपको श्रावण पुत्रदा एकादशी के दिन सुख-समृद्धि के लिए पीले चंदन या केसर में गुलाब जल मिलाकर माथे पर टीका अथवा बिंदी लगाएं।
  • श्रावण पुत्रदा एकादशी की शाम को पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और शुद्ध घी का दीपक लगाएं। इससे आपकी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।
  • इस दिन आपको किसी विष्णु मंदिर में अनाज (गेहूं, चावल) अर्पित करें और बाद में इसे गरीबों को दान कर दें। इससे आपके परिवार में सुख शान्ति बनी रहेगी।
  • श्रावण पुत्रदा एकादशी पर दक्षिणावर्ती शंख में कच्चा दूध व केसर डालकर भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक करें। इससे आपको धन लाभ के योग बनेंगे।
  • यदि आपकी संतान जन्म के बाद से ही बीमार रहती है तो श्रावण पुत्रदा एकादशी के दिन 11 गरीबों को भोजन करांए।
  • श्रावण पुत्रदा एकादशी के दिन पीपल के पेड़ में चांदी के लोटे में कच्चे दूध में मिश्री मिलाकर जड़ में चढांए।
  • इस दिन से आपको 27 दिन लगातार नारियल और बादाम भगवान श्री कृष्ण के मंदिर में चढ़ाने से आपकी मनोवांछित इच्छा पूर्ण होगी।

श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत कथा

प्राचीन काल में भद्रावतीपुरी नाम का एक नगर था। यहां पर सुकेतुमान नाम का एक राजा राज करता था। इसके विवाह के बाद काफी समय तक उसकी कोई संताई नहीं हुई। इस बात से राजा व रानी काफी दुखी रहा करते थे। राजा हमेशा इस बात को लेकर चिंतित रहता था कि जब उसकी मृत्यु हो जाएगी तो उसका अंतिम संस्कार कौन करेगा? उसके पितृों का तर्पण कौन करेगा?

वह पूरे दिन इसी सोच में डूबा रहता था। एक दिन परेशान राजा घोड़े पर सवार होकर वन की तरफ चल दिया। कुच समय बाद वहा जंगल के बीच में पहुंच गया। जंगह काफी घना था। इस बीच उन्हें प्यास भी लगने लगी। राजा पानी की तलाश में तालाब के पास पहुंच गए। यहां उनको आश्रम दिखाई दिया जहां कुछ ऋृषि रहते थे। वहां जाकर राजा ने जल ग्रहण किया और ऋषियों से मिलने आश्रम में चले गए। यहां उन्होंने ऋषि-मुनियों को प्रणाम किया जो वेदपाठ कर रहे थे।

राजा ने ऋषियों से वेदपाठ करने का कारण जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि आज पुत्रदा एकादशी है। अगर कोई व्यक्ति इस दिन व्रत करता है और पूजा करता है तो उसे संतान की प्राप्ति होती है। यह सुनकर राजा बेहद खुश हुआ और उसने पुत्रदा एकादशी व्रत रखने का प्रण किया। राजा ने पुत्रदा एकादशी का व्रत किया। साथ ही विष्णु के बाल गोपाल स्वरूप की अराधना भी की। सुकेतुमान ने द्वादशी को पारण किया। इस व्रत का प्रभाव ऐसा हुआ कि उसकी पत्नी ने एक सुंदर संतान को जन्म दिया।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति पुत्रदा एकादशी की व्रत करता है तो उसे पुत्र की प्राप्ति होती है। साथ ही कथा सुनने के बाद मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।

Sawan Putrada Ekadashi
Sawan Putrada Ekadashi

एकादशी पर भूलकर न करें ये काम

  • इस दिन भूलकर भी जुआ नहीं खेलना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से व्यक्ति के वंश का नाश होता है।
  • पुत्रदा एकादशी व्रत में रात को सोना नहीं चाहिए। व्रती को पूरी रात भगवान विष्णु की भाक्ति, मंत्र जप और जागरण करना चाहिए।
  • एकादशी व्रत के दिन भूलकर भी चोरी नहीं करनी चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन चोरी करने से 7 पीढ़ियों को उसका पापा लगता है।
  • इस दिन भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए व्रत के दौरान खान-पान और अपने व्यवहार में संयम के साथ सात्विकता भी बरतनी चाहिए।
  • इस दिन व्रती को भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए किसी भी व्यक्ति से बात करने के लिए कठोर शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए और क्रोध और झूठ बोलने से बचना चाहिए।
  • एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए और शाम के समय सोना नहीं चाहिए।

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पुत्रदा एकादशी का महत्‍व

सभी एकादश‍ियों में पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व है। मान्‍यता है कि इस व्रत के प्रभाव से योग्‍य संतान की प्राप्‍ति होती है। इस दिन सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्‍णु की आराधना की जाती है। कहते हैं कि जो भी भक्‍त पुत्रदा एकादशी का व्रत पूरे तन, मन और जतन से करते हैं उन्‍हें संतान रूपी रत्‍न मिलता है। ऐसा भी कहा जाता है कि जो कोई भी पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा पढ़ता है, सुनता है या सुनाता है उसे स्‍वर्ग की प्राप्‍ति होती है।

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