संकट चतुर्थी के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, जो हिंदू धर्म में काफी महत्व रखता है। इस साल यह व्रत 31 जनवरी से 1 फरवरी तक पड़ रहा है। मान्यता है कि भगवान गणेश जी यह व्रत करने से शिक्षा, धन, अच्छी सेहत का वरदान मिलता है। साथ ही इससे संतान निरोगी, दीर्घायु और सभी कष्ट से मुक्त हो जाता है। Sakat Chauth 2021
संकट चौथ का व्रत महिलाओं द्वारा संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है। संकट चौथ का व्रत रखने से सभी तरह के संकट दूर हो जाते हैं और संतान को दीर्घायु प्राप्त होती है। वैसे तो हर माह संकष्टी चतुर्थी आती है लेकिन माघ माह में आने वाली संकट चौथ का विशेष महत्व होता है। इसलिए इसे तिलकुट चौथ, संकटा चौथ, माघ चतुर्थी, संकष्टि चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।
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विषयसूची :
संकट चौथ शुभ मुहूर्त :
संकट चौथ रविवार, जनवरी 31, 2021 को
संकट चौथ के दिन चन्द्रोदय समय – 20:40
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – जनवरी 31, 2021 को 20:24 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त – फरवरी 01, 2021 को 18:24 बजे
संकट चौथ का महत्व :
महिलाओं द्वारा संतान की लंबी आयु की कामना से रखे जाने वाले इस व्रत को इस बार रखने से परिवार के कल्याण की हर कामना पूरी होगी। इस दिन महिलाएं अपनी संतान व परिवार की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। शाम के समय गणेश पूजन किया जाता है। फिर चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूरा होता है। जिससे महिलाओं के संतान की आयु लम्बी होती है।
संकट चौथ व्रत कथा :
पौराणिक कथा के मुताबिक, सतयुग में महाराज हरिश्चंद्र के नगर में एक कुम्हार रहा करता था। एक बार उसने बर्तन बनाकर आंवा लगाया पर आंवा पका नहीं। बर्तन कच्चे रह गए। बार-बार नुकसान होते देख उसने एक तांत्रिक से पूछा तो उसने कहा कि बच्चे की बलि से ही तुम्हारा काम बनेगा। तब उसने तपस्वी ऋषि शर्मा की मृत्यु से बेसहारा हुए उनके पुत्र को पकड़ कर संकट चौथ के दिन आंवा में डाल दिया, लेकिन बालक की माता ने उस दिन गणेश जी की पूजा की थी। बहुत तलाशने पर जब पुत्र नहीं मिला तो गणेश जी से प्रार्थना की। सुबह कुम्हार ने देखा कि आंवा पक गया, लेकिन बालक जीवित और सुरक्षित था। डरकर उसने राजा के सामने अपना पाप स्वीकार किया। राजा ने बालक की माता से इस चमत्कार का रहस्य पूछा तो उसने गणेश पूजा के विषय में बताया। तब राजा ने संकट चौथ की महिमा स्वीकार की तथा पूरे नगर में गणेश पूजा करने का आदेश दिया। तबसे हर साल कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकट हरिणी माना जाता है।
इन बातों का ख्याल रखें –
व्रत में तुलसी का प्रयोग वर्जित :
भगवान गणेश जी की पूजा में तुलसी का प्रयोग वर्जित है। ऐसे में इस दौरान पूजा, भोजन या प्रसाद, किसी भी तरह तुलसी का इस्तेमाल ना करें। भगवान श्री गणेश को दूर्वा, शमी का पत्ता, बेलपत्र, गुड़ और तिल से बने लड्डू भी चढ़ा सकते हैं।
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बुजुर्गों का सम्मान :
किसी भी बुजुर्ग व्यक्ति या ब्राह्मण का अपमान ना करें क्योंकि इससे गणपति बप्पा क्रोधित हो जाते हैं। साथ ही रोजाना अपने बुजुर्गों का आशीर्वाद लें, खासकर इस दिन पर।
ना करें इन चीजों का सेवन :
शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भूमि के अंदर उगने वाले कंद मूल जैसे प्याज, लहसुन, मूली, गाजर, चुकंदर का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा मांस-मदिरा और तामसिक भोजन से भी परहेज रखें।
शारीरिक संबंध बनाने से बचें :
महिलाएं चाहे व्रत रखें या ना रखें लेकिन इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें। इस दिन शारीरिक संबंध बनाना वर्जित माना जाता है।
पशु-पक्षी को ना करें परेशान :
किसी भी पशु या पक्षी को सिर्फ इस दिन ही नहीं बल्कि कभी भी परेशान नहीं करना चाहिए। इससे बप्पा नाराज हो जाते हैं। इस दिन किसी भी प्यासे पशु या पक्षी को जल पिलाना अच्छा होता है।
दान करें ये चीजें :
व्रत में अन्न, नमक, गुड़, तिल, कपड़े, गौघृत, चांदी और शक्कर का दान करना शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन गौ और हाथी को गुड़ खिलाने से अकालमृत्यु का भय नहीं रहता।
अपशब्द ना बोलें :
झूठ बोलने से बचें क्योंकि इससे भी बप्पा रुष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा किसी को अपशब्द भी ना बोलें।
मुख्यद्वार पर लगाएं बप्पा की मूर्ति :
वास्तु के अनुसार, घर के मुख्य दरवाजे पर दोनों तरफ गणेश की मूर्ति लगानी चाहिए। इससे बुरी व नाकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं कर पाती और हमेशा खुशियों का वास होता है।
बैठे हुए गणेश जी की प्रतिमा :
भगवान गणेश जी की बैठी हुई प्रतिमा घर के लिए शुभ मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इससे घर में धन की कभी कमी नहीं पड़ती और बरकत बनी रहती है।ेहत का खास ख्याल रखेंगे. इस लड्डू में गजब की एनर्जी होती है. सबसे खास बात कि इसे बनाने में ज्यादा समय भी नहीं लगता है.