दोस्तों हिंदी पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की सप्तमी को ऋषि पंचमी (Rishi Panchami 2023) मनाई जाती है. महिलाओं के लिए अटल सौभाग्यवती व्रत माना जाने वाला यह पर्व इस वर्ष 20 सितम्बर 2023, दिन बुधवार को पड़ रहा है. ऋषि पंचमी के दिन स्त्रियां सप्तऋषियों के सम्मान तथा रजस्वला दोष से शुद्धि के लिए उपवास रखकर पूजा करती हैं. मान्यता है कि शुद्ध मन से ऋषि पंचमी का व्रत (Rishi Panchami Vrat 2023) एवं पूजा करने से सारे दुःख-दोष मिट जाते हैं. भारत में कई जगहों पर ऋषि पंचमी को भाई पंचमी के नाम से भी जाना जाता है।
इस व्रत में किसी देवी-देवता की पूजा नहीं की जाती, बल्कि इस दिन विशेष रूप से सप्त ऋर्षियों का पूजन (kyo manaya jaata hai rishi panchmi vrat) किया जाता है। महिलाओं की माहवारी के दौरान अनजाने में हुई धार्मिक गलतियों और उससे मिलने वाले दोषों से रक्षा करने के लिए यह व्रत महत्वपूर्ण माना जाता है। समस्त पापों का नाश करने वाला यह व्रत पुण्य फलदायी है।
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इस दिन बिना जुती हुई भूमि से उत्पन्न फल आदि का भोजन करना चाहिए। ऋषि पंचमी (kab hai rishi panchmi 2023) को भाई पंचमी नाम से भी जाना जाता है। माहेश्वरी समाज में राखी इसी दिन बांधी जाती है। महिलाएं इस दिन सप्त ऋषि का आशीर्वाद प्राप्त करने और सुख शांति एवं समृद्धि की कामना से यह व्रत रखती हैं।
इस दिन सप्त ऋषियों की पांरपरिक पूजा होती है। सात ऋषियों के नाम हैं – ऋषि कश्यप, ऋषि अत्रि, ऋषि भारद्वाज, ऋषि विश्वमित्र, ऋषि गौतम, ऋषि जमदग्नि और ऋषि वशिष्ठ। केरल के कुछ हिस्सों में इस दिन को विश्वकर्मा पूजा के रूप में भी मनाया जाता है। इस व्रत में लोग उन प्राचीन ऋषियों के महान कार्यों का सम्मान, कृतज्ञता और स्मरण व्यक्त करते हैं, जिन्होंने समाज के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

विषयसूची :
ऋषि पंचमी 2023 शुभ मुहूर्त
Rishi Panchami 2023 Shubh Muhurt
ऋषि पंचमी तिथि प्रारंभ | 19 सितंबर 2023 को 13:40 PM बजे |
ऋषि पंचमी तिथि समाप्त | 20 सितंबर 2023 को 14:20 PM बजे |
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ऋषि पंचमी 2023 पूजन विधि
Rishi Panchami 2023 Poojan Vidhi
- यह व्रत जाने अनजाने हुए पापों के प्रक्षालन के लिए स्त्री-पुरुष दोनों को करना चाहिए।
- व्रत करने वाले को गंगा नदी या किसी अन्य नदी अथवा तालाब में स्नान करना चाहिए। अथवा घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लेना चाहिए।
- इसके बाद गोबर से लीपकर, मिट्टी या तांबे का जल भरा कलश रखकर अष्टदल कमल बनावें।
- इस दिन घर की साफ़-सफाई के बाद सात ऋषियों के साथ देवी अरुंधती की स्थापना करनी चाहिए।
- घर के मंदिर के सामने एक चौक बनाकर उस पर सप्त ऋषि का प्रतीक चिह्न बनाकर कलश की स्थापना करे.
- धूप दीप प्रज्जवलित कर कलश रोली लगायें.
- सुहागन महिलाएं सिंदूर से टीकें तथा मौसमी फल तथा मिष्ठान का भोग लगाएं.
सप्त ऋषियों की पूजा करते हुए हाथ में पुष्प एवं अक्षत लेकर निम्न मंत्रों का जाप करें.
- कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोय गौतम:।
- जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषय: स्मृता:।।
- गृह्णन्त्वर्ध्य मया दत्तं तुष्टा भवत मे सदा।।

ऋषि पंचमी 2023 व्रत कथा
Rishi Panchami 2023 Vrat Katha
सिताश्व नाम के राजा ने एक बार ब्रह्माजी से पूछा – पितामह! सब व्रतों में श्रेष्ठ और तुरन्त फलदायक व्रत कौन सा है? ब्रह्माजी ने बताया कि ऋषि पंचमी का व्रत सब व्रतों में श्रेष्ठ और पापों का विनाश करने वाला है। ब्रह्माजी ने कहा, विदर्भ देश में उत्तंक नामक एक सदाचारी ब्राह्मण अपनी पतिव्रता पत्नी सुशीला के साथ रहता था. उनके एक पुत्र तथा एक पुत्री थी. विवाह योग्य होने पर ब्राह्मण ने एक कुलीन वर से कन्या का विवाह कर दिया.
दैवयोग से कुछ दिनों बाद पुत्री विधवा हो गई. इससे दुखी होकर ब्राह्मण दम्पति घर-बार त्याग कर कन्या सहित गंगा तट पर कुटिया बनाकर रहने लगे. एक दिन ब्राह्मण की कन्या सो रही थी कि तो उसका पूरा शरीर कीड़ों से भर गया. कन्या ने यह बात मां से कही. मां ने पुत्री की व्यथा कथा पति को सुनाते हुए पूछा, हे प्राणनाथ! मेरी साध्वी कन्या की ऐसी गति होने की क्या वजह हो सकती है?
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व्रत से मिली कष्टों से मुक्ति
उत्तंक ने समाधि लगाकर घटना का पता लगाया और पत्नी को बताया कि पूर्व जन्म में भी यह कन्या ब्राह्मणी थी. इसने रजस्वला होने के बावजूद बर्तन इत्यादि छूकर रसोई घर को अपवित्र कर दिया था. उसी का पाप यह इस जन्म में भुगत रही है. इस कष्ट का निवारण केवल ऋषि पंचमी का व्रत एवं पूजन है, लेकिन इसने इस जन्म में भी यह व्रत नहीं किया. इसलिए इसके शरीर में कीड़े पड़ गये हैं.
हिंदू धर्म-शास्त्रों की मान्यता है कि रजस्वला स्त्री पहले दिन चाण्डालिनी, दूसरे दिन ब्रह्मघातिनी तथा तीसरे दिन धोबिन के समान अपवित्र होती है. चौथे दिन स्नान करने के पश्चात ही उसे शुद्धि प्राप्त होती है. यदि हमारी कन्या शुद्ध मन से ऋषि पंचमी का व्रत करें तो इसके सारे दुख दूर हो जाएंगे. पिता की आज्ञा से पुत्री ने विधिपूर्वक ऋषि पंचमी का व्रत एवं पूजन किया. व्रत के प्रभाव से वह सारे कष्टों से मुक्त हो गई. अगले जन्म में उसे अटल सौभाग्य सहित अक्षय सुखों की प्राप्ति हुई.

ऋषि पूजन 2023 की आरती
Rishi Panchami 2023 Aarti
जय जय ऋषिराजा, प्रभु जय जय ऋषिराजा । देव समाजाहृत मुनि, कृत सुरगया काजा॥ टेक॥
जय दध्यगाथर्वण, भरद्व गौतम। जय श्रृंगी, पराशर अगस्त्य मुनि सत्तम॥1॥
वशिष्ठ, विश्वामित्र, गिर, अत्री जय जय कश्यप भृगुप्रभृति जय, जय कृप तप संचय ॥2॥
वेद मन्त्र दृष्टावन, सबका भला किया। सब जनता को तुमने वैदिक ज्ञान दिया ॥3॥
सब ब्राह्मण जनता के मूल पुरुष स्वामी। ऋषि संतति, हमको ज्ञानी हों सत्पथगामी॥4॥
हम में प्रभु आस्तिकता आप शीघ्र भर दो। शिक्षित सारे नर हों, यह हमको वर दो॥5॥
‘धरणीधर’ कृत ऋषिजन की आरती जो गावे। वह नर मुनिजन, कृपया सुख सम्पति पावै॥6॥
ऋषि पंचमी व्रत का महत्व
Rishi Panchami 2023 Mahatv
इस व्रत के बारे में ऐसी मान्यता है कि यह व्रत अगर सच्ची आस्था और निष्ठा के साथ किया जाये तो इंसान के जीवन के सारे दुख अवश्य ही समाप्त हो जाते हैं। इसके अलावा अविवाहित युवतियों के लिए यह व्रत विशेष फलदायी माना जाता है। इस दिन हल से जोते हुए किसी भी अनाज का सेवन वर्जित माना जाता है। साथ ही ऋषि पंचमी के दिन सच्चे मन से पूजा करने और उपवास रखने पर दोष-बाधाएं दूर हो जाती हैं। इस दिन गंगा स्नान का भी महत्व है।
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