रक्षाबंधन हिन्दुओं का महत्वपूर्ण पर्व है जिसको भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है। इस त्यौहार का आध्यात्मिक महत्व के साथ साथ ऐतिहासिक महत्त्व भी है। राखी सामान्यतः बहन के द्वारा भाई को ही बाँधी जाती है लेकिन यह ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों के द्वारा सम्मानित संबंधियों जैसे कि पुत्री द्वारा पिता को भी बाँधी जाती है। इस बार यह शुभ तिथि 11 अगस्त दिन गुरुवार को है। राखी पर पूजन की थाली का भी विशेष महत्त्व होता है इसलिए पूजन की थाल में यह चीज़ें जरुर होना चाहिए। Rakshabandhan Thali
दरअसल इस बार पूर्णिमा तिथि दो दिन 11 और 12 को पड़ रही है, जिसके कारण लोग समझ नहीं पा रहे हैं राखी आखिर किस दिन बांधी जाएगी। रक्षा बंधन के दिन भद्रा काल का विशेष ध्यान रखा जाता है क्योंकि इस समय में राखी बांधना अशुभ माना जाता है।
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इनसे बंधवा सकते हैं राखी
अपनी बहन ना होने पर या फिर आपके घर में नहीं आने पर चचेरी, ममेरी, फूफेरी एवं मुंह बोली बहन से भी राखी बंधवाई जा सकती है। लेकिन अगर यह भी उपस्थित ना हों तो सावन की पूर्णिमा को शुभ आशीर्वाचन के लिए पुरोहित, पत्नी, गुरु, पिता से भी राखी बंधवाई जा सकती है।
पहले ये बांधते थे रक्षासूत्र
प्राचीन समय से आज तक समाज में पुरोहित हर किसी के कलावा अर्थात रक्षासूत्र बांधते आ रहे हैं। प्राचीन काल में सावन पूर्णिमा के दिन पुरोहित राजा और समाज के वरिष्ठ घरो में रक्षासूत्र बांधा करते थे। इसके पीछे यह उद्देश्य होता था कि ये समाज के सभी वर्गों की रक्षा करेंगे। आज भी घर पर किसी के भी पूजा-पाठ होता है तो पंडित घर में मौजूद सभी सदस्यों के कलावा बांधते हैं। लेकिन आज के दौर में यह राखी का त्योहार बन गया है।

जानिए पौराणिक कथा
अगर आपकी बहन नहीं है या फिर आ नहीं पा रही है तो आप पत्नी से भी राखी बंधवा सकते हैं क्योंकि इस त्योहार की शुरुआत ही इसी से हुई थी। भविष्य पुराण के अनुसार, देवराज इंद्र को उनकी पत्नी शचि ने रक्षासूत्र बांधा था। इस पर एक कथा भी है। कथा के अनुसार, वृत्रासुर नाम का एक राक्षस अपने साहस के दम पर स्वर्ग पर अधिकार करना चाहता था। वह किसी से पराजित नहीं हो सकता था इसलिए देवराज इंद्र कई बार उससे हार गए थे।
तब देवराज को महर्षि दधीचि के शरीर की हड्डियों से बना वज्र मिला और कसम खाई कि इस बार वीरगति प्राप्त करेंगे या फिर विजयी होंगे। इस सुनकर देवराज की पत्नि शची व्याकुल हो गईं और उन्होंने अपने तपोबल से एक रक्षासूत्र बनाया और वह इंद्र की कलाई पर बांध दिया। जिस दिन वह रक्षासूत्र बांधा था, उस दिन सावन पूर्णिमा थी। इसके बाद वह युद्ध में गए और विजयी हुए। इसके बाद देवी लक्ष्मी ने राजा बलि को यह रक्षासूत्र बांधा था।
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थाली में ज़रूर रखें ये चीज़ें
कई लोगों को तो ये पता भी नहीं होता कि रक्षाबंधन पर राखी बांधते वक्त पूजा की थाली में क्या क्या होना चाहिए. हालांकि अब मार्केट्स में त्योहार से जुड़ी हर चीज आपको मिल जाती है. लेकिन इस बार कोरोना की वजह से घरों से बाहर निकलना काफी मुश्किल हो रहा है.
ऐसे में आप अपने घर में ही बड़े प्यार से अपने भाई को राखी बंधने और उसकी पूजा करने के लिए थाली तैयार कर सकती हैं. हम आपको बता रहे हैं कि रक्षाबंधन पर आपकी पूजा की थाली में कौन कौन सी चीजें जरूर होनी चाहिए.

1. राखी-
ये त्योहार ही राखी का है तो थाली में सुंदर सी राखी रख लें. आप अपने भाई की उम्र और पंसद के हिसाब से राखी चुन सकती हैं. अगर भाई छोटा है तो उसके लिए पसंदीदा कार्टून वाली राखी ले सकती हैं अगर भाई बड़ा है तो उसके लिए सिंपल धागे वाली राखी ले सकती हैं. अगर उसे ब्रेसलेट का शॉक है तो आप उसकी पसंद का कोई ब्रेसलेट स्टाइल में राखी खरीद सकती हैं. आप चाहें तो मार्केट से राखी खरीद लें या फिर घर में भी राखी बना सकती हैं.
2. चावल-
माथे पर तिलक लगाने के बाद अक्षत यानि चावल लगाना शुभ माना जाता है. इसलिए अपनी पूजा की थाली में थोड़े चावल के दाने भी रख लें. भाई को तिलक लगाने के बाद उस पर चावल लगा दें.
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3. रोली-
कोई भी शुभ काम करते वक्त माथे पर तिलक जरूर लगाया जाता है. इसके लिए रोली का इस्तेमाल किया जाता है. आप अपनी पूजा की थाली में रोली जरूर रख लें. वैसे तिलक लगाने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है. बीच माथे पर तिलक लगाने से शरीर को शक्ति मिलती है और आत्मविश्वास बढ़ता है. इसलिए राखी बांधने के बाद अपने भाई को तिलक जरूर लगाएं.
4. दीपक-
अब बारी आती है भाई की आरती करने की. जिस भाई से आप अपनी रक्षा का वचन मांगती हैं उसकी लंबी उम्र और खुशहाली के लिए आरती की जाती है. इसके लिए आप थाली में एक दीपक जरूर रख लें. आप चाहें तो इसके लिए मिट्टी का दीया भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

5. मिठाई-
आखिर में भाई का मुंह मीठा कराना भी जरूरी होता है इसके लिए आप थाली में मिठाई रखना न भूलें. आप चाहें तो अपने भाई की पसंद की मिठाई घर पर भी बना सकती हैं. वैसे रक्षाबंधन पर कई जगह घेवर खिलाने का भी चलन है. आप कोई भी मिठाई रख सकती हैं.
राखी का भावनात्मक बंधन
वैसे भी हिंदू धर्मावलंबी अपने हर धार्मिक अनुष्ठान में धागा बांधते हैं। राखी का धागा भावनात्मक एकता का प्रतीक है। स्नेह और विश्वास की डोर है। प्राचीन समय से वृक्षों को रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा है। बरगद को धागा लपेटकर रोली, अक्षत, चंदन, धूप और दीप दिखाकर पूजा कर अपने पति के दीर्घायु होने की कामना करती है। मामूली सा दिखने वाला भाई की कलाई में बहन के द्वारा बांधा धागा भाई को शक्ति देता है कि वो प्यारी बहन की रक्षा करने में समर्थ हो सके।
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