क्यों और कैसे मनाई जाती है फुलेरा दूज ? जानें शुभ मुहूर्त और इस दिन का महत्व

फाल्गुन के महीने में होली के अलावा और भी कई व्रत और त्योहार आते हैं इन्हीं में से एक है फुलेरा दूज. होली से पहले फुलेरा दूज की शुरुआत होती है. हर साल फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज का त्योहार मनाया जाता है. फुलेरा दूज से मथुरा में होली की शुरुआत हो जाती है और इस दिन ब्रज में श्री कृष्ण के साथ फूलों की होली खेली जाती है. Phulera Dooj Shubh Muhurat Katha Mahatva

धार्मिक मान्यता के अनुसार, फुलेरा दूज के दिन से ही भगवान श्री कृष्ण ने फूलों की होली खेलना शुरू किया था. फुलेरा दूज को मथुरा और ब्रज के क्षेत्रों में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि फुलेरा दूज के दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है.

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फुलेरा दूज शुभ मुहूर्त

(Phulera Dooj 2023 Shubh Muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार, फुलेरा दूज फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस साल फुलेरा दूज की तिथि की शुरुआत 21 फरवरी 2023, मंगलवार को सुबह 09 बजकर 04 मिनट पर हो रही है और इसका समापन 22 फरवरी 2023 को सुबह 05 बजकर 57 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, इस साल फुलेरा दूज 21 फरवरी 2023, मंगलवार को ही मनाई जाएगी. इस दिन भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा गोधूली मुहूर्त में ही की जाएगी. इस दिन गोधूली मुहूर्त की शुरुआत शाम 06 बजकर 13 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 38 मिनट तक रहेगी.

Phulera Dooj Ki Date
Phulera Dooj 2023 Shubh Muhurat Katha Mahatva

कैसे मनाते हैं फुलेरा दूज

(Phulera Dooj 2023 Kaise Manate Hain)

फुलेरा दूज के दिन घर में भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है और अपने ईष्ट देव के साथ राधा-कृष्ण को अबीर-गुलाल अर्पित किया जाता है। साथ ही फुलेरा दूज के दिन रंगीन कपड़े का छोटा सा टुकड़ा श्रीकृष्ण की कमर पर बांध दिया जाता है, जो इस बात का संकेत है कि कृष्ण अब होली खेलने के लिए तैयार हैं। इसी दिन से होली के रंगों की शुरुआत भी होती है।

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फुलेरा दूज की पौराणिक कथा

(Phulera Dooj 2023 Katha)

राधा रानी को प्रकृति और प्रेम की देवी माना जाता है। कहा जाता है कि एक बार श्रीकृष्ण काम में व्यस्त होने की वजह से लंबे समय तक राधारानी से मिलने नहीं जा सके। राधा रानी के साथ ही गोपियां भी इस बात से काफी दुखी हो गईं और उनकी नाराजगी का असर प्रकृति पर दिखने लगा। पुष्प और वन सूखने लगे।

प्रकृति का नजारा देखकर श्रीकृष्ण को राधा की हालत का अंदाजा लग गया। इसके बाद वे बरसाना पहुंचकर राधारानी से मिले। इससे राधारानी प्रसन्न हो गईं और चारों ओर फिर से हरियाली छा गई। श्रीकृष्ण ने एक फूल तोड़ा और राधारानी पर फेंक दिया। इसके बाद राधा ने भी कृष्ण पर फूल तोड़कर फेंक दिया।

फिर गोपियों ने भी एक दूसरे पर फूल फेंकने शुरू कर दिए। हर तरफ फूलों की होली शुरू हो गई। वो दिन था फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि। तब से इस दिन को फुलेरा दूज के नाम से जाना जाने लगा।

Phulera Dooj 2023 Shubh Muhurat Katha Mahatva
Phulera Dooj 2023 Shubh Muhurat Katha Mahatva

फुलेरा दूज का महत्व

(Phulera Dooj 2023 Significance)

फुलेरा दूज के दिन श्री कृष्ण और राधा रानी की पूजा का विधान है. मान्यता है कि इस दिन श्री कृष्ण और राधा रानी को फूलों से सजाया जाता है और उनपर जमकर फूल बरसाए जाते हैं. फुलेरा दूज ब्रज में मुख्य रूप से मनाया जाता है और इस दिन श्री कृष्ण और राधा रानी को अबीर और गुलाल अर्पित किए जाते हैं. इस दिन श्री कृष्ण और राधा रानी को माखन मिश्री का भव्य भोग भी लगाया जाता है. विवाह के लिए इस दिन को सर्वोत्तम माना जाता है. इस दिन हुआ विवाह संपन्नता से पूर्ण होता है.

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