हेल्लो दोस्तों इस साल की पहली अमावस्या 12 जनवरी दिन मंगलवार को है। अमावस्या पर देवजनों के साथ पितृजनों की पूजा का विधान होता है। पूर्णिमा पर जहां चांद एकदम गोल दिखाई देता है, वहीं अमावस्या के दिन चंद्रमा दिखाई नहीं देता है। अमावस्या को पूर्वजों का दिन माना जाता है इस दिन उनके निमित्त तर्पण जरूर करना चाहिए। पितृ तर्पण से पूरे कुल का भला होता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि अमावस्या तिथि होती है इस दिन धार्मिक कार्य, पूजा-पाठ और जाप आदि कर शुभ फलकारी होता है। अमावस्या पर दान-पुण्य करने से मनुष्य के बुरे कर्म कटते हैं और नकारात्मता भी दूर होती है। Paush Amavasya 2021
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अमावस्या के दिन कई तरह के धार्मिक कार्य किए जाते हैं. कुछ लोग इस दिन पूजा-पाठ करवाते हैं. वहीं, कुछ विशेष मंदिरों में महायज्ञ का आयोजन किया जाता है. मान्यता है कि पौष अमावस्या के दिन पितृों का तृपण किया जाए, तो कई गुणा फल की प्राप्ति होती है. इस दिन पितरों की शांति के लिए उपवास रखने से पितृगण के साथ ही ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु, ऋषि, पशु-पक्षी भी तृप्त होते हैं. शास्त्रों के अनुसार जिन लोगों पर कालसर्प दोष का साया होता है उसका निवारण भी पौष अमावस्या के दिन किया जाता है. इस साल कुल 14 अमावस्या पड़ेंगी।
पौष अमावस्या शुभ मुहूर्त :
अमावस्या तिथि प्रारंभ : 12 जनवरी 2021, दोपहर 12:22 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त : 13 जनवरी 2021, 10:29 बजे

वर्ष 2021 की अमावस्या तिथियां :
- दर्श अमावस्या 12 जनवरी 2021 मंगलवार को पड़ेगी. इसकी शुरुआत 12 जनवरी की दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से होगी और 13 जनवरी सुबह 10 बजकर 30 मिनट पर समाप्ति होगी.
- पौष अमावस्या 13 जनवरी 2021 बुधवार के दिन पड़ेगी. इसकी शुरुआत 12 जनवरी की दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से होगी और 13 जनवरी सुबह 10 बजकर 30 मिनट पर समाप्ति होगी.
- दर्श अमावस्या या माघ अमावस्या 11 फरवरी 2021 गुरुवार के दिन पड़ेगी. इसकी शुरुआत 11 फरवरी को रात 01 बजकर 08 मिनट से होगी और 12 फरवरी रात को 12 बजकर 35 मिनट पर समाप्ति होगी.
- फाल्गुनी अमावस्या 13 मार्च 2021 शनिवार के दिन पड़ेगी. इसकी शुरुआत 13 मार्च को दोपहर 03 बजकर 02 मिनट पर होगी और 14 मार्च दोपहर 03 बजकर 50 मिनट पर समाप्ति होगी.
- दर्श अमावस्या 11 अप्रैल 2021 रविवार के दिन पड़ेगी. इसकी शुरुआत 11 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 03 मिनट पर होगी और 12 अप्रैल सुबह 8 बजे से समाप्ति होगी.
- चैत्र अमावस्या 12 अप्रैल 2021 सोमवार के दिन पड़ेगी. इसकी शुरुआत 11 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 03 मिनट पर होगी और 12 अप्रैल सुबह 8 बजे से समाप्ति होगी.
- वैशाख अमावस्या 11 मई 2021 मंगलवार के दिन पड़ेगी. इसकी शुरुआत 10 मई की रात 09 बजकर 55 मिनट पर होगी और इसकी समाप्ति 12 मई को 12 बजकर 29 मिनट पर होगी.
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- ज्येष्ठ अमावस्या 10 जून 2021 गुरुवार के दिन मनाई जाएगी. इसकी शुरुआत 9 जून की दोपहर 01 बजकर 57 मिनट पर होगी और समाप्ति 10 जून को दोपहर 04 बजकर 22 मिनट पर होगी.
- आषाढ़ अमावस्या 9 जुलाई 2021 शुक्रवार के दिन पड़ेगी. इसकी शुरुआत 9 जुलाई को सुबह 05 बजकर 16 मिनट से होगी और समाप्ति 10 जुलाई को सुबह 06 बजकर 46 मिनट पर होगी.
- श्रावण अमावस्या 8 अगस्त 2021 शनिवार के दिन पड़ेगी. इसकी शुरुआत 7 अगस्त को शाम 07 बजकर 11 मिनट से होगी और समाप्ति 8 अगस्त शाम को 08 बजकर 19 मिनट पर होगी.
- भाद्रपद अमावस्या 07 सितंबर 2021 मंगलवार के दिन पड़ेगी. इसकी शुरुआत 6 सितंबर को सुबह 07 बजकर 38 मिनट पर होगी और समाप्ति 7 सितंबर को सुबह 06 बजकर 21 मिनट पर होगी.
- आश्विन अमावस्या 06 अक्टूबर 2021 बुधवार के दिन पड़ेगी. इसका आरंभ 5 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 04 मिनट से होगा और समाप्ति 6 अक्टूबर को शाम में 04 बजकर 34 मिनट पर होगी.
- कार्तिक अमावस्या 04 नवंबर 2021 गुरुवार के दिन पड़ेगी. इसकी शुरुआत 4 नवंबर सुबह 06 बजकर 03 मिनट पर होगी और समाप्ति 5 नवंबर की मध्यरात्रि 5 बजकर 44 मिनट पर होगी.
- मार्गशीर्ष अमावस्या 04 दिसंबर 2021 शनिवार के दिन पड़ेगी. इसकी शुरुआत 3 दिसंबर को दोपहर 04 बजकर 55 मिनट से होगी और समाप्ति 4 दिसंबर को दोपहर 01 बजकर 12 मिनट पर होगी.

पूजा विधि :
अमावस्या पर पितरों को प्रसन्न करने के श्राद्ध कर्म, स्नान, दान-पुण्य और पितृ तर्पण करना शभ फलकारी माना जाता है। अमावस्या पर प्रात:काल स्नान के बाद सूर्य को शुद्ध जल में लाल पुष्प और लाल चंदन डालकर अर्घ्य दें। इसके बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें। इस दिन आप चाहें तो पितरों की शांति के लिए उपवास भी कर सकते हैं। अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ और तुलसी के पौधे को जल का अर्घ्य देकर उनके समक्ष दीपक जलाएं। और परिक्रमा करें। अमावस्या के दिन पितरों के नाम से दान-पुण्य भी जरुर करने चाहिए। इस तरह अमावस्या पर कीर गई पूजा से पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
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अमावस्या पर क्या करें :
- अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर ले और इसके बाद सूर्यदेव को जल देकर देवतागणों की पूजा कर लें।
- दोपहर बाद पितरों के निमित्त दक्षिण दिशा में मुख कर जल अर्पित करें और उनके नाम पर व्रत का पालन करें।
- अमावस्या के दिन किसी गरीब, जरूरतमंद, बेसहारा या बुजुर्ग व्यक्ति को भोजन करा कर उन्हें जरूरत की चीजें दान करें। ऐसा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
- इस दिन मांस-मदिरा और तामसिक भोजन बिलकुल न करें क्योंकि, ऐसा करने से पितृदोष लगता है।
पौष अमावस्या के दिन होने वाले धार्मिक कर्मकांड :
अमावस्या तिथि धार्मिक दृष्टि से लाभकारी होने के साथ ही पितरो की तिथि भी कहलाती है। इसीलिए इस दिन पितरो का आशीर्वाद पाने और जीवन में सुख, समृद्धि व सौभाग्य प्राप्त करने के लिए कुछ उपाय जरुर करने चाहिए।

- पौष अमावस्या पर पितरों को तर्पण करने का विशेष महत्व है।
- इस दिन नदी, जलाशय या कुंड में स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देें। इसके बाद पितरों का तर्पण करें।
- अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ का पूजन कर मीठा जल अर्पित करें। इससे आपको कार्यों में सफलता की प्राप्ति होती है।
- तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाकर परिक्रमा करें। इससे आपकी हर मनोकामना पूरी होती है।
- इस दिन सूर्यास्त के बाद हनुमान जी के मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- अमावस्या तिथि शिवलिंग के पास दीपक जलाएं और ‘ऊँ नम: शिवाय’ मंत्र का 108 बार जप करने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- तांबे के पात्र में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के फूल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
- पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान दें।
- जिनकी कुंडली में पितृ दोष और संतान हीन योग है, उन्हें पौष अमावस्या के दिन उपवास कर पितरों का तर्पण अवश्य करना चाहिए।
- अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ का पूजन करना चाहिए। तुलसी के पौधे की परिक्रमा करनी चाहिए।
- पौष अमावस्या का व्रत करने से पितरों को शांति मिलती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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अमावस्या का महत्व :
हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व होता है और इस दिन यदि दान, पूजा-पाठ के साथ पितरों की पूजा की जाए तो मनुष्य के जीवन में सौभाग्य का वास होता है। यदि किसी को पितृदोष या पितृ ऋण हो तो उसे इस दिन जरूर पितरों का तर्पण करना चाहिए। इस तिथि पर पितरों को खुश करने के लिए श्राद्ध कर्म करना पूरे कुल को लाभ देता है। पौष मास को बहुत ही पुण्य फलदायी बताया गया है। धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन-मनन के लिए यह माह श्रेष्ठ होता है।