आठवें दिन होती है मां महागौरी की आराधना, जानिए पूजन विधि, कथा व आरती

नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें रूप महागौरी की पूजा की जाती है। महागौरी (navratri mahagauri mata) को मां दुर्गा की आठवीं शक्ति कहते हैं। महागौरी के तेज से ही संपूर्ण विश्व प्रकाशमान है।

इस दिन मां की आराधना करने से शारीरिक क्षमता का विकास होता है और साथ ही साथ मानसिक शांति भी बढ़ती है। महागौरी को अन्नपूर्णा, ऐश्वर्यप्रदायनी और चैतन्यमयी भी कहा जाता है। महागौरी की आराधना करने से अलौकिक सिद्धियां प्राप्त होती है और इनकी उपासना करना अत्यंत कल्याणकारी होता है।

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महागौरी तिथि (Mahagauri Tithi)

दिनाँक 22 अक्टूबर 2023
दिन रविवार
देवी माँ महागौरी
मंत्र ॐ महागौरी नमः
फूल सफ़ेद गुड़हल
रंग सफ़ेद

महागौरी का स्वरूप (Mahagauri Swaroop)

महागौरी की पूजा अमोघ फलदायिनी है, इनकी आराधना करने से भक्तों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। माता महागौरी की उपमा शंख, चंद्र, और कुंद के फूल से की गई है। महागौरी माता को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है, उनके सभी आभूषण और वस्त्र भी सफेद रंग के ही हैं। इसी वजह से इन्हें श्वेतांबरधरा कहा गया है।

माता की चार भुजाएं हैं और इनका वाहन वृषभ है इसलिए इनको वृषारूढ़ा भी कहते हैं। माता के दायीं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में है और नीचे वाला हाथ त्रिशूल धारण किए हुए है। बाएं तरफ के ऊपर वाले हाथ में मां ने डमरू धारण किया है और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है।

माता महागौरी की कथा (Mahagauri Vrat Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने महादेव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए पूर्व जन्म में बहुत कठिन तपस्या की थी और फिर शिव जी को पति के रूप में प्राप्त किया था। महादेव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए जब मां ने कठोर तपस्या की थी तब महागौरी का शरीर धूल मिट्टी से मलिन यानी काला हो गया था। तब महादेव ने गंगाजल से मां को स्नान कराया था और उनका मैल दूर किया था। गंगाजल से स्नान करने के बाद महागौरी का शरीर गौर व देदीप्यमान हो गया था इसी कारण इनका नाम महागौरी पड़ा।

8 Maa Mahagauri

महागौरी की पूजा विधि (Mahagauri Puja Vidhi)

  • नवरात्रि के आठवें दिन सुबह सूर्य उदय के समय उठ जाएं और स्नान आदि करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
  • फिर मां दुर्गा की प्रतिमा एक चौकी पर स्थापित करें। और गंगाजल से माँ का स्नान कराएं।
  • फिर उनके समक्ष दीप धूप जलाएं और मां को फल फूल और नैवेद्य अर्पित करें।
  • श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और मंत्रों का जाप करें।
  • माता महागौरी को काले चने और पंचमेवा का भोग अवश्य लगाएं।
  • घी के दीपक और कपूर से माता महागौरी की आरती करें। इस दिन कई लोग कन्या पूजन भी करवाते हैं।
  • कन्याओं को घर बुलाकर खाना खिलाए और अपनी सामर्थ्य अनुसार उन्हें भेंट दे।

महागौरी ध्यान मंत्र (Mahagauri Mantra)

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वीनाम्।।
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थिता अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्।
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्।।
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कतं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्या मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्।

महागौरी कवच (Mahagauri Kavach)

ओंकार: पातुशीर्षोमां, हीं बीजंमां ह्रदयो।
क्लींबीजंसदापातुन भोगृहोचपादयो।।
ललाट कर्णो हूं बीजंपात महागौरीमां नेत्र घ्राणों।
कपोल चिबुकोफट् पातुस्वाहा मां सर्ववदनो।

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महागौरी आरती (Mahagauri Aarti)

जय महागौरी जगत की माया।
जय उमा भवानी जगत की महामाया।
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा।
चंद्रकली और ममता अम्बे।
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे।
भीमा देवी विमला माता।
कोशकी देवी जग विख्याता।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।
सती संत हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आने वाले संकट मिटाया।
शनिवार की तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।
भक्त बोलो तो सच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।

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