नवरात्रि के सातवें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा, जानिए पूजन विधि, कथा व आरती | Navratri kalratri mata

नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि की पूजा की जाती है। नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा का विधान है। देवी कालरात्रि (navratri kalratri mata) को काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, रुद्रणी, चामुंडा, चंडी, और दुर्गा जैसे कई नामों से जाना जाता है। इस दिन साधक का मन सहस्त्रसार चक्र में स्थित रहता है.

मां कालरात्रि की उपासना करने से नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है। ऐसा कहा जाता है कि देवी कालरात्रि का नाम लेने से ही राक्षस, भूत, प्रेत और पिशाच पलायन कर जाते हैं। मां कालरात्रि की उपासना करने से ग्रह बाधाओं से भी छुटकारा मिलता है। माँ की आराधना करना भक्तों को शुभ फल देता है इसलिए इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है।

माँ कालरात्रि तिथि (Maa Kalratri Tithi)

दिनाँक 21 अक्टूबर 2023
दिन शनिवार
देवी माँ कालरात्रि
मंत्र ॐ कालरात्र्यै नमः
फूल रातरानी का फूल
रंग वायलेट (बैंगनी)

मां कालरात्रि का स्वरूप (Maa Kalratri Swaroop)

देवी कालरात्रि मां दुर्गा के नौ रूपों में से सातवीं शक्ति हैं। इनका रंग कृष्ण वर्ण है और उन्हें काला रंग अत्यंत प्रिय है इसी कारण उनको कालरात्रि कहा जाता है। मां कालरात्रि (navratri kalratri mata) की चार भुजाएं हैं जिसमें बाएं हाथ की दोनों भुजाओं में कटार और लोहे का कांटा धारण करती हैं और दाएं हाथ अभय और वर मुद्रा में हैं।

मां कालरात्रि ने रक्तबीज नामक राक्षस का संघार किया था। असुरों का राजा रक्तबीज का वध करने के लिए ही मां दुर्गा ने अपने तेज से मां कालरात्रि को उत्पन्न किया था। मां कालरात्रि के तीन नेत्र हैं और इनका वाहन गधा है। देवी कालरात्रि का स्वरूप आक्रामक और भयभीत करने वाला है।

देवी कालरात्रि की कथा (Maa Kalratri Vrat Katha)

पौराणिक मान्यता के अनुसार रक्तबीज नाम का एक बहुत बड़ा राक्षस था जो असुरों का राजा था। इसके पास बहुत सी शक्तियां थी जिस वजह से वह सभी देवताओं को परेशान करता था। रक्तबीज ने यह वरदान प्राप्त किया था कि जब उसके खून की बूंद धरती पर गिरे तो बिल्कुल उसके जैसा शक्तिशाली दानव बन जाए। रक्तबीज से त्रस्त होकर सभी देवता यह शिकायत लेकर भगवान शिव के पास पहुंचे। महादेव यह जानते थे कि राक्षस रक्तबीज का संहार मां दुर्गा ही कर सकती हैं।

जब सभी देवताओं और महादेव ने मां दुर्गा से अनुरोध किया तो मां पार्वती ने स्वयं शक्ति संधान किया। देवी कालरात्रि की उत्पत्ति मां दुर्गा के तेज से ही हुई है। इसके बाद देवी कालरात्रि ने रक्तबीज का संहार किया और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को देवी अपने खप्पर में भर लिया करती थी। इस तरह माँ ने दैत्य रक्तबीज के खून की एक भी बूंद को जमीन पर नहीं गिरने दिया और रक्तबीज का अंत किया।

Navratri kalratri mata
Navratri kalratri mata

मां कालरात्रि की पूजा विधि (Maa Kalratri Puja Vidhi)

  • नवरात्रि के सातवें दिन सुबह सूर्योदय के समय उठकर अपने सभी नित्य कर्मों से निवृत्त हो जाएं।
  • इसके बाद मां कालरात्रि का ध्यान करें और व्रत करने का संकल्प करें।
  • फिर मां कालरात्रि की मूर्ति की स्थापना चौक पर करें। चौक पर लाल वस्त्र बिछाएं फिर मां की मूर्ति स्थापित करें।
  • इसके बाद गंगाजल से मां को स्नान कराएं और उन्हें अक्षत, धूप, रातरानी के फूल, रोली, चंदन, कुमकुम आदि अर्पित करें।
  • साथ ही मां कालरात्रि का ध्यान मंत्र और कवच का जाप करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
  • माँ को भोग में पान और सुपारी चढ़ाएं।
  • इसके बाद घी के दीपक और कपूर से मां की आरती करें। फिर प्रसाद सभी लोगों में वितरण करें।

देवी कालरात्रि का ध्यान मंत्र (Maa Kalratri Mantra)

करालवंदना धोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।
कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युतमाला विभूषिताम॥
दिव्यं लौहवज्र खड्ग वामोघो‌र्ध्व कराम्बुजाम्।
अभयं वरदां चैव दक्षिणोध्वाघ: पार्णिकाम् मम॥
महामेघ प्रभां श्यामां तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।
घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥
सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।
एवं सचियन्तयेत् कालरात्रिं सर्वकाम् समृद्धिदाम्॥

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माँ कालरात्रि कवच (Maa Kalratri Kavach)

ऊँ क्लीं मे हृदयं पातु पादौ श्रीकालरात्रि।
ललाटे सततं पातु तुष्टग्रह निवारिणी॥
रसनां पातु कौमारी, भैरवी चक्षुषोर्भम।
कटौ पृष्ठे महेशानी, कर्णोशंकरभामिनी॥
वर्जितानी तु स्थानाभि यानि च कवचेन हि।
तानि सर्वाणि मे देवीसततंपातु स्तम्भिनी॥

देवी कालरात्रि आरती (Maa Kalratri Aarti)

कालरात्रि जय जय महाकाली
काल के मुंह से बचाने वाली
दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा
महा चंडी तेरा अवतारा
पृथ्वी और आकाश पर सारा
महाकाली है तेरा पसारा
खंडा खप्पर रखने वाली
दुष्टों का लहू चखने वाली
कलकत्ता स्थान तुम्हारा
सब जगह देखूं तेरा नजारा
सभी देवता सब नर नारी
गावे स्तुति सभी तुम्हारी
रक्तदंता और अन्नपूर्णा
कृपा करे तो कोई भी दु:ख ना
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी
ना कोई गम ना संकट भारी
उस पर कभी कष्ट ना आवे
महाकाली मां जिसे बचावे
तू भी ‘भक्त’ प्रेम से कह
कालरात्रि मां तेरी जय

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