30 साल बाद नाग पंचमी पर बन रहा ऐसा शुभ संयोग, जानिये पूजा का शुभ मुहूर्त

Nag panchami muhurat pooja katha : नाग पंचमी के दिन स्त्रियां नाग देवता की पूजा करती हैं और सांपों को दूध पिलाया जाता है. इस साल नाग पंचमी का त्योहार 2 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा. नाग देवताओं की पूजा के लिए श्रावण मास की पंचमी तिथि काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. सनातन धर्म में सर्प को पूजनीय माना गया है. भगवान श्री हरि विष्णु भी शेषनाग पर ही विराजमान हैं.

ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि 30 साल में पहली बार नाग पंचमी बहुत ही शुभ शिव योग में मनाई जाएगी. इस शुभ योग में नागों की पूजा का फल कई गुना ज्यादा मिलता है. इस दौरान भगवान शिव और उनके नागों की पूजा करने से मनचाहे फल की प्राप्ति हो सकती है. नाग पंचमी पर पूजा से कालसृप दोष का निवारण भी किया जा सकता है.

श्रावण मास की पंचमी तिथि मंगलवार, 02 अगस्त को सुबह 05 बजकर 13 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 3 अगस्त को सुबह 5 बजकर 41 मिनट तक रहेगी. इस दिन नाग पंचमी के साथ मंगला गौरी व्रत भी पड़ रहा है. यह सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत होगा. यानी नाग पंचमी पर नागों की पूजा के अलावा भगवान शिव और माता पार्वती की भी पूजा की जाएगी.

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पौराणिक कथाओं के अनुसार पाताल लोक में कहीं एक जगह नागलोक था, जहां मानव आकृति में नाग रहते थे। कहते हैं कि 7 तरह के पाताल में से एक महातल में ही नागलोक बसा था, जहां कश्यप की पत्नी कद्रू और क्रोधवशा से उत्पन्न हुए अनेक सिरों वाले नाग और सर्पों का एक समुदाय रहता था।

उनमें कहुक, तक्षक, कालिया और सुषेण आदि प्रधान नाग थे। नाग देवों की माता का नाम कद्रू है और पिता का नाम कश्यप। नाग देवों की बहन मां मनसा देवी है। शिवजी के गले में वासुकि नामक नाग लिपटा रहता है। भगवान विष्णुजी शेषनाग की शैय्या पर सोते हैं।

नागपंचमी पूजा मुहूर्त

  • नाग पञ्चमी मंगलवार, अगस्त 2, 2022 को
  • नाग पञ्चमी पूजा मूहूर्त – सुबह 06 बजकर 05 से 08 बजकर 41 मिनट तक
  • अवधि – 02 घण्टे 36 मिनट्स
  • पञ्चमी तिथि प्रारम्भ – अगस्त 02, 2022 को सुबह 05 बजकर 13 मिनट से शुरू
  • पञ्चमी तिथि समाप्त – अगस्त 03, 2022 को सुबह 05 बजकर 41 मिनट पर खत्म
Nag panchami muhurat pooja katha
Nag panchami muhurat pooja katha

नाग पंचमी की पूजा विधि

  • इस व्रत के आराध्य नागदेव माने गए हैं।
  • इस दिन अनंत, वासुकि, महापद्म आदि नाग अष्टकों की पूजा की जाती है।
  • चतुर्थी तिथि के दिन एक बार भोजन करें और पंचमी तिथि के दिन उपवास करके शाम को भोजन करना चाहिए।
  • सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ़ वस्त्र पहन लेना चाहिए
  • पूजा करने के लिए नाग देवता का चित्र या मिट्टी की सर्प प्रतिमा को लकड़ी की चौकी या पाटे के उपर स्थापित करें।
  • उसके बाद हल्दी, रोली, चावल और पुष्प अर्पित करके नागदेवता की पूजा की जाती है।
  • इसके पश्चात कच्चा दूध, घी और चीनी मिलाकर सर्प देवता को अर्पित किया जाता है।
  • पूजन करने के बाद सर्प देवता की आरती की जाती है।
  • आप इस दिन किसी सपेरे को दक्षिणा आदि देकर दूध सर्प को पिला सकते हैं।
  • इसके बाद नाग पंचमी की कथा जरुर सुननी चाहिए।

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क्यों मनाते है नागपंचमी

जब अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया गया तो नाग ने माता की आज्ञा नहीं मानी जिसके कारण उसे श्राप मिला कि राजा जनमेजय के यज्ञ में जलकर भस्म हो जाए। श्राप के डर से नाग घबरा गए और ब्रह्माजी की शरण में गए। ब्रह्माजी ने नागों के इस श्राप से बचने के लिए बताया कि जब नागवंश में महात्मा जरत्कारू के पुत्र आस्तिक उत्पन्न होगें। वही आप सभी की रक्षा करेंगे। ब्रह्माजी ने नागो को रक्षा के लिए यह उपाय पंचमी तिथि को बताया था।

आस्तिक मुनि ने सावन की पंचमी वाले दिन ही नागों को यज्ञ में जलने से रक्षा की थी। और इनके जलते हुए शरीर पर दूध की धार डालकर इनको शीतलता प्रदान की थी। उसी समय नागों ने आस्तिक मुनि से कहा कि पंचमी को जो भी मेरी पूजा करेगा उसे कभी भी नागदंश का भय नहीं रहेगा। तभी से पंचमी तिथि के दिन नागों की पूजा की जाने लगी।

नागपंचमी पर ना करें ये काम

पुराणों के अनुसार नागों को पाताल लोक का स्वामी माना गया है। सांपो को क्षेत्रपाल भी कहा जाता है। सांप चूहों आदि से किसान के खेतों की रक्षा करते हैं। साथ ही नाग भूमि में बांबी बना कर रहते हैं इसलिए नागपंचमी के दिन भूलकर भी भूमि की खुदाई नहीं करनी चाहिए। नागपंचमी के दिन नागों की पूजा में पांच तरह की चीजों का उपयोग किया जाता हैं। धान, धान का लावा (जिन्हें खील भी कहा जाता है) दूर्वा, गाय का गोबर और दूध यो पांच चीजें हैं जिनसे नागदेवता की पूजा करते हैं।

Nag panchami muhurat pooja katha
Nag panchami muhurat pooja katha

नागपंचमी की पौराणिक कथा

मान्यता के अनुसार किसी राज्य मे किसान का परिवार रहता था। वह किसान अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ रहता था। जिसमे से दो लड़के थे और एक लड़की थी। एक दिन किसान अपने खेत मे हल चला रहा था तभी नाग के तीन बच्चे हल के नीचे आकर कुचला कर मर गए। नागिन जब अपने बच्चों से मिलने आई तो अपनी संतानों को मृत देखकर बहुत गुस्सा हुई और किसान से बदला लेने के प्रतिशोध का संकल्प की।

रात के समय जब किसान और उसका परिवार सो रहा था तभी नागिन ने किसान और उसकी बीवी और दो बच्चों को डस कर मौत के नींद सुला दिया। जब नागिन किसान के लड़की को काटने गई तो वो दूध से भरा कटोरा नागिन के सामने रख कर नागिन से अपनी परिवार के जिदगी का भीख मांगने लगी। यह सब देखकर नागिन को तरस आ गया। नागिन ने किसान के परिवार को फिर से जिंदा कर दिया। कहा जाता है कि उस दिन श्रावण शुक्ल की पंचमी का दिन था। तभी से नागिन के कोप से बचने के लिए लोग नाग पंचमी के रूप मे नाग और नागिन की पूजा करने लगे। और धूम-धाम से नागपंचमी भारतवर्ष मे मनाए जाने लगा।

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नाग पंचमी का महत्व

धन-समृद्धि पाने के लिए भी नाग देवताओं की पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार ऐसा माना जाता है कि नाग देवता, धन की देवी मां लक्ष्मी की रक्षा करते हैं। इस दिन श्रीया, नाग और ब्रह्म अर्थात शिवलिंग स्वरुप की आराधना से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। जिस व्यक्ति कुंडली में कालसर्प दोष होता है तो उसे इस दोष से बचने के लिए नाग पंचमी का व्रत अवश्य करना चाहिए। यदि आपको अक्सर सपने में सांप दिखाई देता है या फिर आपको सांप से अधिक डर लगता है तो आपको विधि-विधान से सांप की पूजा करनी चाहिए। विशेष रूप से नागपंचमी के दिन जरूर नाग की पूजा करें। इससे सांपों को लेकर आपका भय दूर हो जाएगा।

ऐसा माना जाता है कि इस दिन सर्पों को दूध से स्नान और पूजन कर दूध से पिलाने से अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती है। यह पर्व सपेरों के लिए भी विशेष महत्व का होता है। इस दिन उन्हें सर्पों के निमित्त दूध और पैसे दिए जाते हैं। इस दिन घर के प्रवेश द्वार पर नाग चित्र बनाने की भी परम्परा है। मान्यता है कि इससे वह घर नाग-कृपा से सुरक्षित रहता है। हिन्दू धर्म मे नागों की पूजा की जाती है और नाग को देवता के जैसे माना जाता है। हिन्दू शास्त्र के अनुसार बारह नागों की पूजा करना हिन्दू धर्म मे विशेष महत्व हैं। उनके नाम इस प्रकार है – वासुकि, शेष, पद्म, कंबल, कर्कोटक, धृतराष्ट्र, शंडखपाल, अनन्त, पिंडगल, तक्षक, कालिया, अश्वतर.

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