क्यों भगवान विष्णु को लेना पड़ा मोहिनी अवतार ? जानिए मोहिनी एकादशी पूजन विधि, व्रत कथा और महत्व | Mohini Ekadashi Vrat

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हेल्लो दोस्तों वैशाख महीने के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी आती है। मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi Vrat) इस बार 1 मई 2023, सोमवार को मनाई जा रही है। द्वादशी के दिन एकादशी व्रत का पारण किया जाता है। कहते हैं कि विष्णु भगवान ने समुद्र मंथन के समय देवताओं को अमृत का पान कराने के लिए मोहिनी रूप धरा था। इसी वजह से इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है।

पौराण‍िक मान्यता है कि यह एकादशी सभी पापों को को दूर कर अंत में मोक्ष प्रदान करती है। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य सभी दुखों से दूर होकर अंत में बैकुंठ धाम को जाता है। इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की अराधना करनी चाहिए। रात्रि के समय श्री हरि का स्मरण करते हुए, भजन कीर्तन करते करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि इस व्रत को दशमी तिथि से व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए।

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हिंदू धर्म में एकादशी के उपवास की बहुत मान्यता है. इस व्रत में भगवान विष्णु के अलग-अलग अवतारों की उपासना की जाती है. मोह किसी भी चीज का हो, मनुष्य को कमजोर ही करता है इसलिए मोह से छुटकारा पाने की कामना रखने वाले इंसान के लिए ये व्रत बहुत उत्तम है.

इस एकादशी से और भी बहुत सारे फल और वरदान पाए जा सकते हैं, इस व्रत को करने से पाप का प्रभाव कम होता है और मन शुद्ध होता है. ऐसा माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति इस शुभ दिन पर उपवास रखता है, तो उसका जीवन सुखमय हो जाती है। उपवास करने वाला व्यक्ति मोह माया के जंगल से निकलकर मोक्ष प्राप्ति की ओर बढ़ता है।

मोहिनी एकादशी शुभ मुहूर्त (Mohni ekadashi muhurat)

  • मोहिनी एकादशी तिथि का आरंभ: 30 अप्रैल 2023 रात 8:00 बज कर 30 मिनट से
  • मोहिनी एकादशी तिथि का समापन: 1 मई 2023, रात 10:55 मिनट पर समाप्त होगी। 
  • मोहिनी एकादशी व्रत पारण समय: 2 मई सुबह 5:00 बजकर 40 मिनट से सुबह 8:19 तक 

ज्योतिष गणना के अनुसार, मोहिनी एकादशी के दिन चंद्रमा कन्या राशि में प्रवेश करेगा. जबकि शनि कुंभ और गुरु मीन राशि में विराजमान रहेंगे. दो बड़े ग्रह भी स्वराशि में रहेंगे. ग्रहों की विशेष स्थिति से राजयोग के समान योग का निर्माण हो रहा है.

मोहिनी एकादशी पूजा विधि (Mohini ekadashi Puja vidhi)

  • इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद पहले सूर्य को अर्घ्य दें और इसके बाद भगवान राम की आराधना करें।
  • इसके बाद कलश की स्थापना करें और भगवान विष्णु की आराधना करें।
  • इसके बाद भगवान राम का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जाप करें और प्रभु श्री राम को पीले फूल, फल, पंचामृत और तुलसी चढ़ाएं।
  • मोहिनी एकादशी व्रत के दिन मोहिनी एकादशी का पाठ पड़े या सुने।
  • इस दिन व्रत कथा का पाठ करने से 1000 गायों के दान करने के बराबर पुण्य मिलता है।
  • रात्रि के समय श्री हरि का मनन करें और भजन कीर्तन करते हुए जागरण करें।
  • द्वादशी के दिन एकादशी व्रत का पालन करें।
  • सबसे पहले भगवान की पूजा करें और ब्राह्मण या जरूरतमंदों को भोजन अर्पित करें और उन्हें दक्षिणा दें। इसके बाद ही खुद भोजन ग्रहण करें।
  • मोहिनी एकादशी के दिन मन को ईश्वर में लगाएं, गुस्सा करने और झूठ बोलने से बचें।

मोहिनी एकादशी व्रत कथा (Monihi ekadashi katha)

पुराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय देवता और दानव दोनों में घमासान युद्ध चल रहा था. इस बीच विवाद की स्थिति पैदा होने लगी. तब भगवान विष्णु ने एक सुंदर स्त्री का रूप बनाया. उस सुंदर स्त्री के रूप पर सभी असुर मोहित हो गए. इसी बीच सुंदर स्त्री ने अमृत का कलश लेकर सभी देवताओं को पिला दिया, जिसके परिणाम स्वरूप सभी देवता अमर हो गए. सुंदर स्त्री का नाम मोहिनी था. कहते हैं कि जिस दिन भगवान विष्णु ने यह रूप धारण किया था उस दिन वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी थी. यही कारण है कि इसको मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. वहीं इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की आराधना की जाती है.

मोहिनी एकादशी अन्य कथा

धनपाल नाम का एक धनी व्यक्ति भद्रावती नाम के सुंदर नगर में रहता था। वह स्वभाव से बहुत गुणी और दान पुण्य करने वाला व्यक्ति था। उनके पाँच पुत्रों थे जिसमें सबसे छोटे का नाम धृष्ट बुद्धि था, जो अपने पिता के धन को बुरे कामों में लुटता था। एक दिन धनपाल ने उसकी बुरी आदतों से परेशान हो कर उसे घर से बाहर निकाल दिया। सदमे में आकर इधर-उधर घूमने लगा। एक दिन किसी पुण्य के प्रभाव से महर्षि कौण्डिल्य के आश्रम पर जा पहुंचा। महर्षि गंगा में स्नान करके आए थे।

धृष्ट बुद्धि सदमे के भार से पीड़ित होकर, कौण्डिल्य ऋषि के पास गया और हाथ जोड़कर कहा, “ऋषि! मुझे पर दया करो और मुझे कोई उपाय बताओ जिससे मैं अपने दुखों से छुटकारा पा सकूं।” फिर कौण्डिल्य ने कहा, मोहिनी नामक प्रसिद्ध एकादशी का व्रत करो। ” इस व्रत के पुण्य से कई जन्मों के पाप भी खत्म हो जाते हैं। धृष्ट बुद्धि ऋषि द्वारा बताई गई विधि के अनुसार उपवास किया। जिसके कारण वह पाप रहित हो गया और दिव्य शरीर धारण कर श्री विष्णुधाम चला गया।

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मोहिनी एकादशी का महत्व (Mohni ekadashi mahatva)

पौराणिक कथा के अनुसार, जब समुद्र मंथन किया गया था, अमृत की प्राप्ति के बाद, देवताओं और राक्षसों में धक्का मुक्की होने लगी। खुद के बल पर देवता असुरों को पराजित नहीं कर सकते थे, इसलिए भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया और असुरों को अपने प्रेम के जाल में फंसा लिया, और सारा अमृत देवताओं को पिला दिया जिससे देवताओं ने अमरत्व प्राप्त किया। इसी कारण से इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा गया। इस दिन विधिवत व्रत और उपासना से गौदान का पुण्य फल मिलता है.

एकादशी माता की आरती (Ekadashi mata aarti)

ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥
ॐ जय एकादशी…॥

तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥

मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥
ॐ जय एकादशी…॥

पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है।
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै॥
ॐ जय एकादशी…॥

नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥
ॐ जय एकादशी…॥

विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी।
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की॥
ॐ जय एकादशी…॥

चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली।
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली॥
ॐ जय एकादशी…॥

शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी।
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी॥
ॐ जय एकादशी…॥

योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥

कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए॥
ॐ जय एकादशी…॥

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला॥
ॐ जय एकादशी…॥

पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी॥
ॐ जय एकादशी…॥

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया॥
ॐ जय एकादशी…॥

परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥

जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै॥
ॐ जय एकादशी…॥

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