चौथे दिन माँ कुष्मांडा देती हैं लम्बी उम्र का वरदान, जानें विधि, मंत्र और आरती | Maa Kushmanda Vrat Katha

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नवरात्रि के चौथे दिन मां अंबे का चौथा स्वरूप देवी कुष्मांडा (kushmanda mata) की पूजा की जाती है। माता कुष्मांडा की पूजा करने से रोग दूर होते हैं और आयु यश में वृद्धि होती है। अपने उदर से अंड यानी ब्रह्मांड को उत्पन्न देने के कारण ही इन्हें मां कुष्मांडा कहा जाता है। संस्कृत भाषा में कुष्मांड कुम्हड़े को कहा जाता है इसलिए मां कुष्मांडा को कुम्हड़े की बलि दी जाती है।

जब सृष्टि नहीं थी तब इन्होंने अपनी ईश हँसी से ब्रह्मांड की रचना की थी और सृष्टि को बनाया था। माता कुष्मांडा के तेज और प्रभाव से दसों दिशाओं को प्रकाश मिलता है और ब्रह्मांड के सभी प्राणी और वस्तु मां कुष्मांडा की ही देन है। ऐसा कहा जाता है कि मां कुष्मांडा की आराधना करने से भक्तों के समस्त रोग नष्ट हो जाते हैं और धन वैभव और यश की प्राप्ति होती है।

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माँ कुष्मांडा की तिथि (Maa Kushmanda Tithi)

तारीख25 मार्च 2023
दिन शनिवार
देवीमाँ कुष्मांडा
मंत्रओम देवी कुष्माण्डायै नमः
फूलहरे रंग का फूल
रंगहरा

मां कुष्मांडा का स्वरूप (Maa Kushmanda Swaroop)

मां कुष्मांडा की अष्ट भुजाएं हैं और इनके चेहरे पर मंद मुस्कुराहट है जो देवी का आदि स्वरूप और आदि शक्ति को दर्शाती है। मां कुष्मांडा का निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में माना जाता है। माता की अष्ट भुजाओं में कमंडल, धनुष, बाण, कमल, पुष्प, अमृत, पूर्ण कलश, चक्र, गदा और जपमाला है। इनकी सवारी सिंह है।

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कुष्मांडा देवी की कथा (Maa Kushmanda Vrat Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार जब सृष्टि की उत्पत्ति नहीं हुई थी यानी सृष्टि की उत्पत्ति होने के पूर्व चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था, कोई भी जीव जंतु इस पृथ्वी पर नहीं था। तब मां दुर्गा की शक्ति कुष्मांडा देवी ने ही इस आंड यानी ब्रह्मांड की रचना की। इसी कारण इन्हें कूष्मांडा कहा जाता है।

शास्त्रों में उल्लेख है कि मां कुष्मांडा ने अपने मंद हास्य से सृष्टि की रचना की थी उनके पास इतनी शक्ति है कि वह सूरज के घेरे में भी रह सकती हैं। देवी कुष्मांडा सूरज के ताप को भी सहन कर सकती हैं। इनकी उपासना करने से भक्तों के जीवन में नई ऊर्जा उत्पन्न होती है और साधक को सभी प्रकार की शक्तियां प्राप्त होती हैं।

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मां कुष्मांडा की पूजा विधि (Maa Kushmanda Puja Vidhi)

नवरात्रि के चौथे दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद कुष्मांडा देवी को प्रणाम करें और उनकी साधना में बैठ जाएं।
मां कुष्मांडा को हरा रंग अत्यंत प्रिय है इसलिए इन्हें हरे रंग के पुष्प अर्पित करना चाहिए और भोग में भी हरे रंग का प्रसाद अर्पित करना चाहिए।
बेहतर होगा यदि आप ध्यान में बैठने के लिए हरे रंग के आसन का प्रयोग करें।
देवी को धूप दिखाकर फूल, सफेद कुमड़ा, फल आदि का भोग लगाएं।
मां के समक्ष घी का दीपक जलाएं और अंत में मां कुष्मांडा की आरती करें।
“ओम देवी कुष्माण्डायै नमः” इस मंत्र का 108 बार जाप करें।

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माँ कुष्मांडा मंत्र (Maa Kushmanda Mantra)

वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥
भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।
कमण्डलु, चाप, बाण, पदमसुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥
पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कांत कपोलां तुंग कुचाम्।
कोमलांगी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

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माँ कुष्मांडा कवच (Maa Kushmanda Kavach)

हंसरै में शिर पातु कूष्माण्डे भवनाशिनीम्।
हसलकरीं नेत्रेच, हसरौश्च ललाटकम्॥
कौमारी पातु सर्वगात्रे, वाराही उत्तरे तथा,पूर्वे पातु वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम।
दिगिव्दिक्षु सर्वत्रेव कूं बीजं सर्वदावतु॥

माँ कुष्मांडा आरती (Maa Kushmanda Aarti)

आद्य शक्ति कहते जिन्हें, अष्टभुजी है रूप।
इस शक्ति के तेज से कहीं छांव कहीं धूप॥
कुम्हड़े की बलि करती है तांत्रिक से स्वीकार।
पेठे से भी रीझती सात्विक करें विचार॥
क्रोधित जब हो जाए यह उल्टा करे व्यवहार।
उसको रखती दूर मां, पीड़ा देती अपार॥
सूर्य चंद्र की रोशनी यह जग में फैलाए।
शरणागत की मैं आया तू ही राह दिखाए॥
नवरात्रों की मां कृपा कर दो मां
नवरात्रों की मां कृपा करदो मां॥
जय मां कूष्मांडा मैया।
जय मां कूष्मांडा मैया॥

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