सावन के बाद भाद्रपद मास की अष्टमी तारीख का बड़ा महत्व है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार इसी दिन मथुरा नगरी में श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। इसलिए ये दिन पूरे देश में हर साल कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जब-जब पृथ्वी पर अधर्म का बोलबाला हुआ है, तब-तब भगवान विष्णु ने धरती पर अवतार लेकर धर्म की रक्षा की है. Krishna Janmashtami Upay
इस बार जन्माष्टमी 18 अगस्त के दिन ध्रुव और वृद्धि योग का निर्माण भी हो रहा है. 18 अगस्त की रात में 8 बजकर 42 तक वृद्धि योग रहेगा. इसके बाद ध्रुव योग शुरू होगा, जो 19 अगस्त को रात 8 बजकर 59 मिनट तक रहने वाला है. हिंदू धर्म में ये योग बेहद खास माने गए हैं. इस योग में किए गए कार्यों का परिणाम शुभ होता है.वास्तुशास्त्र अनुसार इस दिन भगवान कृष्ण की प्रिय बांसुरी के कुछ उपाय करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
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जानते हैं क्या हैं ये उपाय
बांसुरी भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय वस्तुओं में से एक मानी जाती है। इसे घर में रखना बेहद ही शुभ माना जाता है।
वास्तु शास्त्र अनुसार अगर घर में वास्तु दोष है और करियर तरक्की नहीं हो पा रही है तो जन्माष्टमी पर एक बांसुरी घर पर लाएं और रात के समय इस बांसुरी को भगवान श्रीकृष्ण को पूजा के समय अर्पित करें। दूसरे दिन इस बांसुरी को घर में पूर्व दिशा की दीवार पर तिरछी लगा दें। मान्यता है ऐसा करने से जीवन में खुशहाली आती है।
वास्तु शास्त्र अनुसार जिस घर में लकड़ी की बांसुरी होती है उस घर के लोगों पर भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है और घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती।

घर के मुख्य द्वार पर बांस की बांसुरी लटकाना भी शुभ माना जाता है। कार्यालय या दुकान के मुख्य द्वार पर दो बांसुरी लगाने से व्यापार में प्रगति होती है।
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन नई बांसुरी को सजाकर भगवान श्रीकृष्ण के समक्ष रखकर पूजन करें। मान्यता है ऐसा करने से सुख-समृद्धि बनी रहती है।
अगर घर में हमेशा कलह का माहौल बना रहता है तो चांदी की या बांस की बांसुरी भगवान श्री कृष्ण को समर्पित करें। भगवान कृष्ण को बांसुरी अर्पित करने के बाद उसे ड्राईंग रूम में लगा दें।
आर्थिक तंगी से छुटकारा पाने के लिए जन्माष्टमी के दिन घर पर बांसुरी के अलावा गाय या बछड़े की मूर्ति भी ला सकते हैं। मान्यता है इससे आर्थिक स्थिति में सुधार आ जाता है।
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कैसे करें श्रीकृष्ण मूर्ति चुनाव
सामान्यतः जन्माष्टमी पर बाल कृष्ण की स्थापना की जाती है. आप अपनी आवश्यकता और मनोकामना के आधार पर जिस स्वरूप को चाहें स्थापित कर सकते हैं. प्रेम और दाम्पत्य जीवन के लिए राधा कृष्ण की, संतान के लिए बाल कृष्ण की और सभी मनोकामनाओं के लिए बंशी वाले कृष्ण की स्थापना करें. इस दिन शंख और शालिग्राम की स्थापना भी कर सकते हैं.
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क्या होगा इनका श्रृंगार
श्री कृष्ण के श्रृंगार में फूलों का खूब प्रयोग करें. पीले रंग के वस्त्र, गोपी चन्दन और चन्दन की सुगंध से इनका श्रृंगार करें. काले रंग का प्रयोग न करें. वैजयंती के फूल अगर कृष्ण जी को अर्पित किए जाएं तो सर्वोत्तम होगा.
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