कब है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, कथा और महत्त्व

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भाद्रपद में कई प्रमुख त्योहार आएंगे जिनमें से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भी एक प्रमुख त्योहार है. हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष महत्व रखती है. शास्त्रों में उल्लेख है कि भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, इसलिए हर साल भादो (भाद्रपद) के कृष्ण पक्ष (krishna paksh) की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है.

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हर साल की तरह इस बार भी देश में कृष्ण जन्माष्टमी बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाई जाएगी. इस दिन लोग उपवास भी रखते हैं और गली मोहल्लों में मटकी फोड़ने की प्रतियोगिता भी कराई जाती है, जीतने वाले को इनाम दिया जाता है. कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा विधिवत तरीके से पूजा की जाती है। तो चलिए जान लेते हैं इसका शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.

Krishna Murti Shringar
Krishna Murti Shringar

जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त

Krishna Janmashtami Shubh Muhurat 2023

6 सितंबर, दिन बुधवार को 3 बजकर 39 मिनट पर अष्टमी तिथि लग रही है, जो कि 7 सितंबर को 4 बजकर 16 मिनट तक रहेगी. यानी 6 सितंबर की रात अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग बनेगा. इसलिए शैव परंपरा के लोग बुधवार, 6 सितंबर को कृष्ण जन्मोत्सव मनाएंगे. चूंकि वैष्णव संप्रदाय में उदिया तिथि का अधिक महत्व होता है, इसलिए ये लोग 7 सितंबर को जन्माष्टमी मनाएंगे.

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जन्माष्टमी पूजन सामग्री 

Krishna Janmashtami Poojan Samagri

पूजन सामग्री | Poojan Samagri मात्रा | Qty.
श्री कृष्ण मूर्ति / चित्र1
जन्माष्टमी किताब1
पोशाक /वस्त्र1
बांसुरी1
जेवरात /आभूषण1
पूजा थाली1
दिया /दीपक5 नग
गुलाबजल100 मिली.
अक्षत / चावल100 ग्राम
इलाइचीछोटा पैकेट
लौंग10 नग
सुपारी5 नग
पान पत्ता5
मौली धागा1
गंगाजल200 मिली.
सिन्दूर25 ग्राम
अगरबत्ती1 पैकेट
माखनआधा पैकेट
मिश्री100 ग्राम
शहद100 ग्राम
घी100 ग्राम
जनेऊ1
पंचमेवा100 ग्राम
बाती5 नग
कुमकुम25 ग्राम
चन्दन पाउडर25 ग्राम
आसन1
अष्टगंध पाउडर25 ग्राम
जन्माष्टमी मिठाई1 किलो
Krishna Janmashtami
Krishna Janmashtami

जन्माष्टमी की पूजन विधि

Krishna Janmashtami Poojan Vidhi

  • इस दिन सुबह जल्दी उठकर दैनिक कार्यों से निवृत होकर स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
  • इस दिन भगवान कृष्ण को दूध-गंगाजल से स्नान कराने के साथ उन्हें खूबसूरत वस्त्र पहनाएं।
  • इसके बाद उन्हें मोरपंख के साथ मुकुट, बांसुरी, चंदन, वैजयंती माला, तुलसी दल आदि से सुसज्जित करें।
  • श्रीकृष्ण का श्रृंगार करने के बाद उन्हें अष्टगंध चन्दन, अक्षत और रोली का तिलक लगाना चाहिए।
  • इसके बाद फूल, माला, फल, माखन, मिश्री, मिठाई, मेवे आदि का भोग लगाएं।
  • इसके बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें और धूप- दीप जलाएं।
  • इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है, उनको झूले में बैठाएं और झूला झूलाएं।
  • इस दिन भगवान श्री कृष्ण जी को वैजयंती के फूल अर्पित करना सर्वोत्तम होता है।
  • इस दिन भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना रात्रि में होती है क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात में हुआ था।
  • पूजन में लड्डू गोपाल को मक्खन, मिश्री, मेवा, धनिया, केले, मिष्ठान आदि का भोग लगाएं।
  • अंत में बाल श्रीकृष्ण की आरती कर लें और प्रसाद सभी को बांट दें। इसके साथ ही भूल चूक के लिए माफी मांग लें।
  • अगले दिन नवमी पर नन्दोत्सव मनाएं। भगवान कृष्ण की आराधना के लिए आप यह मंत्र पढ़ सकते हैं।

ज्योत्स्नापते नमस्तुभ्यं नमस्ते ज्योतिशां पते!
नमस्ते रोहिणी कान्त अर्घ्य मे प्रतिगृह्यताम्!!

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कृष्ण जन्म की कथा

Krishna Janmashtami Katha

जैसा कि हमारे शास्त्रों में दर्शाया गया है कि जब जब धरती पर अधर्म बढ़ा है, भगवान विष्णु ने मानव रूप में अवतार लिया है। द्वापर युग में भी जब पृथ्वी पर अधर्म बढ़ता ही जा रहा था, तब भगवान विष्णु ने तत्कालिक मथुरा नरेश के कारागार में माता देवकी की कोख से आठवें पुत्र के रूप में जन्म लिया था। इसके बाद योगमाया से प्रेरित और उनके आदेशानुसार श्रीकृष्ण के पिता वसुदेव नवजात कृष्ण को रात के अंधेरे में घनघोर बारिश के बीच उफनती हुई यमुना नदी को पार कर गोकुल लेकर गए। वहां अपने मित्र तथा गांव के प्रमुख नंद बाबा के घर पर छोड़ आए तथा उनकी नवजात कन्या को अपने साथ ले आए।

सुबह जब कंस को कन्या के जन्म की खबर लगी, तो वह उसका वध करने कारागार में जा पहुंचा। उसने कन्या को हाथ में लेकर दीवार की ओर पटका ही था कि वह उसके हाथ से छूट कर आकाश में चली गई तथा दिव्य स्वरूप धारण कर कंस को चेतावनी दी कि तुझे मारने वाला पैदा हो चुका है। जिसके बाद कंस ने अपने गुप्तचरों की मदद से ज्ञात कर लिया कि देवकी का आठवां पुत्र कृष्ण वृंदावन में नंद बाबा के घर में पल रहा है। उसने कृष्ण को मारने के कई प्रयास किए, लेकिन असफल रहा। इसके बाद किशोरावस्था में भगवान कृष्ण ने कंस का वध कर अपने माता-पिता को कारागार से मुक्त किया।

Krishna Janmashtami
Krishna Janmashtami

श्रीकृष्ण लीला

उसके बाद वह गुरू संदीपनि के पास उज्जैन जाकर विद्या ग्रहण की, और पृथ्वी पर धर्म की स्थापना के लिए निकल पड़े। उन्होंने अधर्म के विरुद्ध धर्म के युद्ध में उन्होंने पांडवों का साथ दिया। जब युद्ध आरंभ होने के पहले अर्जुन ने मोहमाया में उलझकर अपना धनुष रख दिया था, तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भागवत गीता का उपदेश देकर उसे युद्ध के लिए प्रेरित किया। इनके अलावा भी उन्होंने अपने जीवन काल में शिशुपाल तथा जरासंध जैसे अनेकों शक्तिशाली दुष्ट राजाओं और राक्षसों का नाश किया, और लोगों को शांति व धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।

कैसे मनाई जाती है जन्माष्टमी

Krishna Janmashtami Kaise Manai Jati Hai

देश सहित विदेशों में भी कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन उपासक व्रत रखते हैं, सुबह स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान कृष्ण के मंदिरों में जाते हैं। जहां भक्तिभाव से कृष्ण की पूजा की करते हैं। इस दिन विभिन्न प्रकार के धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। वहीं सूर्यास्त के समय मन्दिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं। शास्त्रों में श्रीकृष्ण का जन्म अर्धरात्रि को उल्लेखित किया गया है, इसके चलते रात 12 बजे कृष्ण जन्म का प्रसंग दोहराकर मन्दिरों के पट खोले जाते हैं। इस दौरान कृष्ण प्रतिमा की पंचोपचार से पूजा की जाती है। उन्हें धनिए की पंजीरी, केले, सेब, दही आदि का भोग चढ़ाया जाता है। इसके बाद भगवान कृष्ण की आरती कर प्रसाद वितरण किया जाता है।

इस दिन देश के सभी मन्दिरों में रात को प्रसाद लेने के लिए लंबी कतारें लगती हैं। भक्त अपने बच्चों को श्रीकृष्ण और राधा रानी के रूप में सजाते हैं। साथ ही कृष्ण के जीवन से जुड़े प्रसंगों को दर्शाया जाता है। उनकी लीलाओं का स्मरण कर हरि नाम कीर्तन किया जाता है। मंदिरों को सजाया जाता है, लगभग सभी मंदिरों में वैष्णव भजन, संकीर्तन तथा अन्य धार्मिक कार्य किए जाते हैं। घरों में गीता पाठ किया जाता है, श्रीमद्भागवत तथा भागवत पुराण का पाठ किया जाता है। इनके अलावा बहुत से लोग “हरे राम, हरे कृष्णा” तथा “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:” जैसे बहुत से मंत्रों का जप भी करते हैं।

राशि अनुसार करें श्रीकृष्ण श्रृंगार

यदि जन्माष्टमी पर अपनी राशि के अनुसार भगवान का श्रृंगार किया जाये तो भगवान श्री कृष्ण के साथ साथ गृह नक्षत्र एवं राशि के स्वामी की प्रसन्नता भी सफलता प्रदान करती है।

  • मेष राशि वाले भगवान श्री कृष्ण का लाल वस्त्रों से श्रृंगार करें और झांकी में लाल रंग का प्रयोग करें।
  • वृष राशि वाले भगवान श्री कृष्ण का सफेद वस्त्रों से श्रृंगार करें और झांकी में सफेद रंग का प्रयोग करें।
  • मिथुन राशि वाले भगवान श्री कृष्ण का हरे वस्त्रों से श्रृंगार करें और झांकी में हरे रंग एवं हरियाली का प्रयोग करें।
  • कर्क राशि वाले भगवान् श्री कृष्ण का सफेद वस्त्रों से श्रृंगार करें और झांकी में सफेद रंग का प्रयोग करें।
  • सिंह राशि वाले भगवान श्री कृष्ण का लाल-गुलाबी वस्त्रों से श्रृंगार करें और झांकी में लाल-गुलाबी रंग का प्रयोग करें।
  • कन्या राशि वाले भगवान् श्री कृष्ण का हरे वस्त्रों से श्रृंगार करें और झांकी में हरे रंग का प्रयोग करें।
  • तुला राशि वाले भगवान् श्री कृष्ण का सफेद वस्त्रों से श्रृंगार करें और झांकी में सफेद रंग का प्रयोग करें।
  • वृश्चिक राशि वाले भगवान् श्री कृष्ण का लाल वस्त्रों से श्रृंगार करें और झांकी में लाल रंग का प्रयोग करें।
  • धनु राशि वाले भगवान् श्री कृष्ण का पीले वस्त्रों से श्रृंगार करें और झांकी में लाल रंग का प्रयोग करें।
  • मकर राशि वाले भगवान् श्री कृष्ण का श्याम वर्ण वस्त्रों से श्रृंगार करें और झांकी में श्याम रंग का प्रयोग करें।
  • कुम्भ राशि वाले भगवान् श्री कृष्ण का श्याम वर्ण वस्त्रों से श्रृंगार करें और झांकी में श्याम रंग का प्रयोग करें।
  • मीन राशि वाले भगवान् श्री कृष्ण का पीले वस्त्रों से श्रृंगार करें और झांकी में पीले रंग का प्रयोग करें।

दही हांडी का आयोजन

Krishna Janmashtami Daandi Program

श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के दौरान दहीं हांडी का भी विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण बचपन में काफी शरारती थे। वह अपने साथियों के साथ गोपियों के घर जाकर घरों में रखी दही, मट्ठा की हांडी तोड़कर मक्खन चुराकर खाते थे। तब सारी गोपियां माता यशोदा के घर जाकर उनकी शिकायतें भी करती थीं और उन्हें माता यशोदा से दंड भी मिलता था, इसके बाद भी वह अपनी शरारतें नहीं छोड़ते थे। भगवान कृष्ण की इसी लीला को याद करते हुए देश में कई स्थानों पर दही हांडी का पर्व मनाया जाता है।

जन्माष्टमी के कार्यक्रमों में सबसे प्रमुख दही हांडी है। इस आयोजन में छोटे-छोटे समूहों में बच्चे, युवा तथा वयस्कों को ऊंचाई पर बंधी हुई एक हांडी (जिसमें मक्खन भरा होता है) को तोड़ना होता है। सभी समूह एक पिरामिड बनाते हुए ऊपर चढ़ने का प्रयास करते हैं, जो हांडी तोड़ने में सफल हो जाते हैं, उन्हें पुरस्कृत किया जाता है। इस प्रतियोगिता में शामिल होने वाले लोगों को भगवान कृष्ण के अन्य नाम गोविंदा से संबोधित किया जाता है।

दही हांडी प्रतियोगिता की सबसे ज्यादा धूम महाराष्ट्र, वृंदावन और मथुरा में देखी जाती है। यहां पर स्थानीय प्रशासन इस प्रतियोगिता का आयोजन करता है, और पुरस्कार राशि की घोषणा करता है। महाराष्ट्र के मुंबई में भी गोकुलाष्टमी का त्यौहार बड़े ही जोर-शोर से मनाया जाता है। आपको बताते चले कि महाराष्ट्र में भी कृष्ण जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी के नाम से जाना जाता है।

Krishna Janmashtami
Krishna Janmashtami

श्री कृष्ण जी की आरती

Shree Krishna Aarti

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली
लतन में ठाढ़े बनमाली, भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक
ललित छवि श्यामा प्यारी की।।
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
आरती कुंजबिहारी की।।
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग
अतुल रति गोप कुमारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच
चरन छवि श्रीबनवारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।।
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।।
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद
टेर सुन दीन भिखारी की।
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।।
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।।

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