जानिए कर्पूरगौरं मंत्र का अर्थ और आरती के बाद क्यों बोलते हैं कर्पूरगौरं मंत्र ?

हेल्लो दोस्तों भगवान शिव का महीना सावन का महीना चल रहा है। किसी भी मंदिर में या हमारे घर में जब भी पूजन कर्म होते हैं तो वहां कुछ मंत्रों का जाप अनिवार्य रूप से किया जाता है। सभी देवी-देवताओं के मंत्र अलग-अलग हैं, लेकिन जब भी आरती पूर्ण होती है तो यह मंत्र विशेष रूप से बोला जाता है। इस मंत्र से शिवजी की स्तुति की जाती है। आईए जानते हैं क्या है इस मंत्र का अर्थ और क्या है इसकी महत्ता. Karpur Gauram Mantra

कर्पूरगौरं मंत्र :

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।

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कर्पूरगौरं मंत्र का अर्थ :

कर्पूरगौरं- कर्पूर के समान गौर वर्ण वाले।

करुणावतारं- करुणा के जो साक्षात् अवतार हैं।

संसारसारं- समस्त सृष्टि के जो सार हैं।

भुजगेंद्रहारम्- इस शब्द का अर्थ है जो सांप को हार के रूप में धारण करते हैं।

सदा वसतं हृदयाविन्दे भवंभावनी सहितं नमामि- इसका अर्थ है कि जो शिव, पार्वती के साथ सदैव मेरे हृदय में निवास करते हैं, उनको मेरा नमन है।

कहने का भाव है कि-“जो कर्पूर जैसे गौर वर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं और भुजंगों का हार धारण करते हैं, वे भगवान शिव माता भवानी सहित मेरे ह्रदय में सदैव निवास करें और उन्हें मेरा नमन है।“

Karpur Gauram Mantra
Karpur Gauram Mantra

कर्पूरगौरं मंत्र ही क्यों…?

दरअसल हमारे धर्म शास्त्रों में कर्पूरगौरम् करुणावतारं….मंत्र बोले जाने के पीछे गूढ़ रहस्य बताये गए हैं। ऐसा कहा जाता है आदिदेव महादेव की ये स्तुति शिव-पार्वती विवाह के समय स्वयं भगवान विष्णु जी के द्वारा गाई गई है। कहते हैं कि भगवान शिव भोलेभंडारी हैं, शमशान वासी हैं, उनका स्वरुप बहुत भयंकर और अघोरी वाला है लेकिन इस स्तुति में भगवान शिव के स्वरुप को भव्य और दिव्य बताया गया है।

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आदिदेव महादेव शिव जी को संपूर्ण सृष्टि का अधिपति कहा गया है, शिव मृत्युलोक के देवता हैं, उन्हें पशुपतिनाथ भी कहा जाता है। पशुपति का अर्थ है कि संसार के जितने भी जीव हैं (मनुष्य सहित), उन सबका अधिपति यानी स्वामी। इस स्तुति को पूजा के अंत में इसीलिए गाया जाता है कि जो इस समस्त संसार के अधिपति है, वो हमारे आपके मन में वास करे। क्योंकि शिव साक्षात श्मशानवासी हैं, मृत्यु के भय को दूर करने वाले हैं। वो सदाशिव हमारे मन में वास करें, और हमारे मन में व्याप्त मृत्यु के भय को दूर करें।

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