कजरी तीज रक्षा बंधन के तीन दिन बाद और कृष्ण जन्माष्टमी के पांच दिन पहले मनाई जाती है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. कजरी तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और पूरे दिन निर्जल व्रत रखती हैं. हालांकि कजरी तीज का व्रत कुंवारी लड़कियां भी रख सकती हैं. तो आइए जानते हैं किस शुभ मुहूर्त पर करें कजरी तीज की पूजा और इस दिन बनने वाले शुभ योग के बारे में- Kajari Teej Poojan Vidhi
महिलाएं इस दिन देवी पार्वती के स्वरुप कजरी माता की पूजा करती है और पति के लंबी उम्र की कामना करती हैं। अच्छे वर की कामना लिए अविवाहित लड़कियां भी इस व्रत को करती हैं। कजरी तीज के मौके पर महिलाएं दिन भर उपवास करती हैं और फिर शाम को चंद्रमा के उदय के बाद उन्हें अधर्य देती हैं। कई क्षेत्रों में इसे कजली तीज भी कहा जाता है।
ये भी पढ़िए : सौभाग्यवती स्त्रियों का हरतालिका तीज व्रत कब है, जानें मुहूर्त, मंत्र और महत्व
भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज मनाई जाती है. राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में तीज का त्योहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है. सावन और भाद्रपद में तीन तरह की तीज आती हैं-
हरियाली तीज
कजरी तीज
हरतालिका तीज
विषयसूची :
कजली/ कजरी तीज शुभ मुहूर्त :
Kajari Teej 2022 Shubh Muhurat
- कजरी तीज रविवार, अगस्त 14, 2022 को
- तृतीया तिथि प्रारम्भ – अगस्त 14, 2022 को सुबह 12 बजकर 53 मिनट से शुरू
- तृतीया तिथि समाप्त – अगस्त 14, 2022 को रात 10 बजकर 35 मिनट पर खत्म
- अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 08 मिनट से 12 बजकर 59 मिनट तक
- सर्वार्थ सिद्धि योग- रात 09 बजकर 56 मिनट से अगस्त 15 सुबह 06 बजकर 09 मिनट तक
- विजय मुहूर्त- शाम 02 बजकर 41 मिनट से शाम 03 बजकर 33 मिनट तक
कजरी तीज पूजन सामग्री :
Kajari Teej pujan Samagri
कजरी तीज की पूजन सामग्री में पीला वस्त्र, कच्चा सूता, नए वस्त्र, केला के पत्ते, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, जनेऊ, जटा नारियल, सुपारी, कलश, अक्षत या चावल, दूर्वा घास, घी, कपूर, अबीर-गुलाल, श्रीफल, चंदन, गाय का दूध, गंगाजल,पंचामृत, दही, मिश्री, शहद रखें.
कजली/ कजरी तीज पूजन विधि :
Kajari Teej Puja Vidhi
- कजरी तीज के दिन पूजन के स्थान पर मिट्टी और गोबर या रेत की सहायता से एक छोटी सी तालाब जैसे आकृति का निर्माण करना चाहिए.
- अब नीम की एक डगाल को उसमे लगा दे. फिर उस पर पूजा के लाल कपडे की ओढ़नी लगा दें.
- अब जो तालाब/ तलाई के जैसी आकृति बनाई गई है उस तालाब/ तलाई में कच्चा दूध और ताजा जल डालें.
- कलश में आम के पत्ते लगाकर उसे चावल के धान पर स्थापित करे.
- इसके बाद गणेश जी और माताजी की मूर्ती विराजमान करे.
- सर्वप्रथम भगवान की प्रतिमाओं का दूध और गंगा जल से अभिषेक करे और नई पोशाक पहनाएं.
- कलश पर मेहँदी, रोली, कुमकुम, अबीर, गुलाल, चावल और नाड़ा चढ़ाकर पूजन प्रारंभ करे.
- उसके बाद गणेश जी और नीमड़ी माताजी को भी मेहँदी, रोली, कुमकुम, अबीर, गुलाल, चावल और नाड़ा चढ़ाएं.
- मंदिर की दीवार या पूजा स्थल की दीवार पर कुमकुम, हल्दी और काजल की 13-13 बिंदिया लगाएं. काजल की बिंदियां तर्जनी उंगली से लगाएं।
- पूजा के स्थान पर बनाए गए तालाब के पास में दीपक जलाएं. विधिवत पूजन करने के बाद व्रत की कथा का वाचन करना चाहिए.
- कथा के बाद चंद्रमा को अर्ध्य देने की परंपरा हैं. चन्द्रमा को जल के छीटे देकर कुमकुम और चावल चढ़ाएं.
- चांदी की अंगूठी और धान के दाने लेकर जल चन्द्रमा की ओर समर्पित करे और अपने नियत स्थान पर खड़े होकर चार बार परिक्रमा करे.
ये भी पढ़िए : हरतालिका तीज पर डायबिटीज के मरीज व्रत रखने से पहले ये 7 बातें जान…
कजली तीज नाम क्यों पड़ा? :
पुराणों के अनुसार मध्य भारत में कजली नाम का एक वन था. इस जगह का राजा दादुरै था. इस जगह में रहने वाले लोग अपने स्थान कजली के नाम पर गीत गाते थे जिससे उनकी इस जगह का नाम चारों और फैले और सब इसे जाने. कुछ समय बाद राजा की म्रत्यु हो गई और उनकी रानी नागमती सती हो गई. जिससे वहां के लोग बहुत दुखी हुए और इसके बाद से कजली के गाने पति–पत्नी के जनम–जनम के साथ के लिए गाये जाने लगे.
इसके अलावा एक और कथा इस तीज से जुडी है. माता पार्वती शिव से शादी करना चाहती थी लेकिन शिव ने उनके सामने शर्त रख दी व बोला की अपनी भक्ति और प्यार को सिद्ध कर के दिखाओ. तब पार्वती ने 108 साल तक कठिन तपस्या की और शिव को प्रसन्न किया. शिव ने पार्वती से खुश होकर इसी तीज को उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकारा था. इसलिए इसे कजरी तीज कहते है. कहते है बड़ी तीज को सभी देवी देवता शिव पार्वती की पूजा करते है.
कजली तीज व्रत कथा/ कहानी :
Kajari Teej vrat katha
एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। भाद्रपद महीने की कजली तीज आई। ब्राह्मण की पत्नी ब्राह्मणी ने तीज माता का व्रत रखा। पत्नी ने ब्राह्मण से कहा आज मेरा कजली तीज माता का व्रत है। कही से चने का सातु (सत्तू) लेकर आओ। ब्राह्मण बोला, सातु कहां से लाऊं। तो ब्राह्मण की पत्नी ब्राह्मणी ने कहा कि चाहे चोरी करो चाहे डाका डालो। मेरे लिए सातु लेकर आओ। रात का समय था। ब्राह्मण घर से निकला और साहूकार की दुकान में घुस गया। उसने वहां पर चने की दाल, घी, शक्कर लेकर सवा किलो तोलकर सातु बना लिया और जाने लगा। आवाज सुनकर दुकान के नौकर जाग गए और चोर -चोर चिल्लाने लगे।
नौकरों ने साहूकार को सूचित किया। साहूकार आया और ब्राह्मण को पकड़ लिया। ब्राह्मण बोला मैं चोर नहीं हूं। मैं एक गरीब ब्राह्मण हूं। मेरी पत्नी का आज कजली तीज माता का व्रत है इसलिए मैं सिर्फ यह सवा किलो का सातु बनाकर ले जा रहा था। साहूकार ने उसकी तलाशी ली। साहूकार को उसके पास सातु के अलावा कुछ नहीं मिला।
चांद निकल आया था ब्राह्मण की पत्नी ब्राह्मणी इंतजार ही कर रही थी। साहूकार ने कहा कि आज से तुम्हारी पत्नी को मैं अपनी धर्म बहन मानूंगा। साहूकार ने प्रसन्न होकर ब्राह्मण को सातु के साथ साथ सोने-चांदी के गहने, रूपये, मेहंदी, लच्छा और बहुत सारा धन देकर पूरे सम्मान व ठाठ से विदा किया। सबने मिलकर कजली तीज माता की पूजा की। जिस तरह ब्राह्मण के दिन फिरे वैसे सबके दिन फिरे। कजली तीज माता की कृपा सब पर हो।
ये भी पढ़िए : अगर आप पहली बार हरतालिका तीज कर रही हैं तो इन बातों का ख्याल…
कजरी तीज की परंपरा और नियम :
Kajari Teej vrat niyam
- तीज के त्यौहार के दिन घरो में झुला लगाया जाता हैं. इस दिन झूला झूलने की भी परंपरा हैं.
- इस दिन सुहागन महिलाएं और कुवारी लड़कियां निर्जला उपवास रखती हैं. परन्तु गर्भवती महिलाएं फलाहार कर सकती है.
- इस दिन महिलाएं रात भर जागरण और भजन करती है
- तीज का यह व्रत कजली गानों के बिना अधूरा है. गाँव में लोग इन गानों को ढोलक मंजीरे के साथ गाते है..
- इस दिन गेहूँ, चना और जौ के सत्तू के लड्डू बनाने की परंपरा हैं.
- जब महिलाएं रात्रि में चंद्रमा को अर्ध्य देकर अपना उपवास खोलती हैं. तो सत्तू के लड्डू खाकर ही व्रत खोला जाता हैं.
- आटे की 7 रोटियां बनाकर उस पर गुड़ चना रखकर गाय को खिलाया जाता है. इसके बाद ही व्रत तोड़ते है.
- यदि चंद्रमा उदय होता हुआ नहीं दिख रहा हो तो रात्रि में लगभग 11:30 बजे आसमान की ओर अर्ध्य देकर उपवास को खोला जा सकता हैं.
कजरी तीज व्रत उद्यापन विधि :
Kajari Teej Udyapan Vidhi
- कजरी तीज के दिन चार सातु के पिंडे बनांए। इनमें से एक पिंड सास का, दुसरा मंदिर का, तीसरा पति का चौथा पिंड खुद का बनाएं।
- इसके अलावा सवा पाव -सवा पाव सातु के सत्रह पिंडे बनाएं। इनमें से 16 पिंडे सुहागनों के लिए और एक सांख्या के लिए रखें।
- इसके बाद इन सभी सत्रह पिंडों को प्लेटों में रखें और इन पर कुमकुम से टीका करें और लच्छा, सुपारी, एक सिक्का, गिट लगाएं।
- इसके बाद ये सभी प्लेटें 16 सुहागनो को दे दें। सुहागनों को पिंडों की प्लेटें देने के बाद एक प्लेट में बड़ा सा पिंड रखकर उसमें श्रृंगार की सभी वस्तुएं रखें और अपनी श्रद्धा के अनुसार दक्षिणा रखकर अपनी सास के पैर छुकर उन्हें दे दें।
- अगर आपके घर में आपकी सास नहीं हैं तो आप अपनी नंद या किसी बुजुर्ग स्त्री को भी ये प्लेट दे सकती हैं। इसके बाद सभी 16 सुहागनों को सातु दे दें।
- इसमें जो आपने एक पिंडा मंदिर के लिए बनाया था उसे मंदिर में दान कर दें।
- दूसरा पिंडा पति को दे दें और एक पिंडा खुद रख लें।
- इसके बाद अपने घर के किसी लड़के जैसे देवर, भांजे, भतीजे आदि को एक तौलिया, वस्त्र और सातु वाली प्लेट कुछ दक्षिणा के साथ दे दें।
- लेकिन ये सातु वाली प्लेट अपने सगे भाई को बिल्कुल भी न दें।
- इसके बाद तीज माता का आर्शीवाद लें और जानें- अनजानें हुई भूल की क्षमा मांगे।
यह भी पढ़ें – जानिए कर्पूरगौरं मंत्र का अर्थ और आरती के बाद क्यों बोलते हैं कर्पूरगौरं मंत्र ?
कजरी/ कजली तीज का महत्व :
Kajari Teej vrat mahatva
दूसरे तीज त्यौहार की तरह इस तीज का भी अलग महत्त्व है. तीज एक ऐसा त्यौहार है जो शादीशुदा लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. हमारे देश में शादी का बंधन सबसे अटूट माना जाता है. पति पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए तीज का व्रत रखा जाता है. दूसरी तीज की तरह यह भी हर सुहागन के लिए महत्वपूर्ण है. इस दिन भी पत्नी अपने पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत रखती है, व कुआरी लड़की अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत रखती है.
कजरी तीज की स्टेटस :
व्रत तीज का है बहुत ही मधुर प्यार का
दिल की श्रद्धा और सच्चे विश्वास का
बिछियां पैरों में हो माथे पर बिंदिया
हर जन्म में मिलन हो हमारा पिया
तीज की हार्दिक शुभकामनाएं
कच्ची-पक्की नीम की निम्बोली, सावन जल्दी आयो रे
म्हारो दिल धड़क जाए, सावन जल्दी आयो रे
कजरी तीज की हार्दिक बधाई
चंदन की खुशबू, बादलों की फुहार
आप सभी को मुबारक हो तीज का त्यौहार
बारिश की बूंदें इस सावन में
फैलाय चारों ओर हरियाली
ये कजरी का त्यौहार ले जाए
हर के आपकी सब परेशानी
कजरी तीज की बधाई
कजरी तीज का त्यौहार है
गुंजियों की बहार है
पेड़ों पर पड़े है झूले
दिलो में सबके प्यार है
कजरी तीज की हार्दिक बधाई
ऐसी ही अन्य जानकारी के लिए कृप्या आप हमारे फेसबुक, ट्विटर, इन्स्टाग्राम और यूट्यूब चैनल से जुड़िये ! इसके साथ ही गूगल न्यूज़ पर भी फॉलो करें !