हेल्लो दोस्तों हिंदू पंचांग के अनुसार, हरियाली अमावस्या सावन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली अमावस्या को कहते हैं। इसे हरियाली अमावस्या, सावन अमावस्या और श्रावणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस साल हरियाली अमावस्या 28 जुलाई, गुरुवार के दिन पड़ रही है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, हरियाली अमावस्या पर भी पितरों की शांति के लिए पिंडदान और दान-धर्म करने का महत्व है। इस दिन पिंडकर्म भी किये जाते हैं। यह पर्व हरियाली तीज से तीन दिन पूर्व मनाया जाता है। Hariyali Amavasya
हरियाली अमावस्या के दिन वृक्षारोपण का कार्य विशेष रूप से किया जाता हैं। इस दिन एक नया पौधा लगाना शुभ माना जाता हैं, पीपल, बरगद, केला, तुलसी, नींबू आदि का पौधा लगाना भक्तों के लिए मंगलमय और शुभकारी माना गया है। कई शहरों में हरियाली अमावस्या के दिन मेलों का भी आयोजन किया जाता हैं। खासकर किसानों के लिए हरियाली अमावस्या विशेष होती है। किसान इस दिन एक-दूसरे को गुड़ और धानी की प्रसाद देकर अच्छे मानसून की शुभकामना देते हैं। साथ ही वे अपने कृषि यंत्रों का पूजन भी करते हैं। आइए जानते हैं हरियाली अमावस्या का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में –
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हरियाली अमावस्या की तिथि
सावन मास की अमावस्या तिथि बुधवार, 27 जुलाई को रात 9 बजकर 11 मिनट से लेकर गुरुवार, 28 जुलाई को रात 11 बजकर 24 मिनट तक रहेगी. उदिया तिथि के कारण हरियाली अमावस्या 28 जुलाई को ही मनाई जाएगी. हरियाली अमावस्या शुभ नक्षत्र में पड़ रही है. साथ ही गुरु पुष्य नक्षत्र का शुभ योग भी बन रहा है. इस योग को नक्षत्रों का राजा माना जाता है, इसलिए इसमें तर्पण, पिंडदान करना सबसे पुण्यकारी होता है.
हरियाली अमावस्या पर शुभ योग
हरियाली अमावस्या पर सुबह 07 बजकर 05 तक पुनर्वसु नक्षत्र होने से सिद्धि और उसके बाद पुष्य नक्षत्र होने से दो शुभ योग बनेंगे. इस दिन सभी सुहागिनें पूर्ण मनोयोग से शिव और पार्वती की कृपा पाने का जतन करती हैं.

हरियाली अमावस्या पूजा विधि
इस दिन गंगा जल से स्नान करें।
सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें।
श्रावणी अमावस्या का उपवास करें एवं किसी गरीब को दान-दक्षिणा दें।
श्रावणी अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा का विधान है, इसके फेरे लिए जाते हैं और मालपुआ का भोग लगाया जाता है।
इस दिन पीपल, बरगद, केला, नींबू अथवा तुलसी का वृक्षारोपण करना भी शुभ माना जाता है।
किसी नदी या तालाब में जाकर मछली को आटे की गोलियां खिलाएं।
अपने घर के पास चींटियों को चीनी या सूखा आटा खिलाएं।
पीपल में जहाँ ब्रह्मा, विष्णु, महेश का वास होता है, वहीँ आंवला में लक्ष्मीनारायण का वास बताया है
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हरियाली अमावस्या का महत्व
हिंदू धर्म में वैसे तो हर अमावस्या तिथि का महत्व होता है. परंतु सावन मास धार्मिक कार्यों के लिए बेहद पूर्ण महत्वपूर्ण होता है. इस लिए सावन मास की अमावस्या का महत्व और अधिक बढ़ जाता है. इस दिन पितरों की शांति के लिए पिंड दान दिया जाता है. पितृ पूजा के साथ-साथ तर्पण और श्राद्ध कर्म के लिए भी सावन मास की अमावस्या तिथि को अति उत्तम माना गया है.
पंचांग के मुताबिक़, सावन मास वर्षा ऋतु में आती है. इस ऋतु में चारों तरफ पेड़ पौधे हरे भरे रहते हैं. इसलिए चारों ओर हरियाली ही हरियाली रहती है. हरियाली हमारी आंखों और मन को शांति प्रदान करती है. पेड़- पौधे पर्यावरण को बेहतर और सुदंर बनाते हैं. पानी बरसाने में सहयोग देते है. इस लिए हरे भरे पेड़-पौधे हमारे जीवन के महत्वपूर्ण अंग हैं. पर्यावरण हमारे पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में भी विशेष भूमिका निभाते हैं.
अमावस्या पितृ दोष उपाय
अमावस्या के दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए पूजा पाठ करते हैं. इस दिन स्नान के बाद आप पितरों के लिए तर्पण करें. इससे वे तृप्त होते हैं. पितरों के प्रसन्न होने से पितृ दोष दूर होता है, सुख, समृद्धि, शांति, वंश वृद्धि आदि का आशीष मिलता है.
- हरियाली अमावस्या के दिन पितरों का स्मरण करें और काले तिल को नदी में प्रवाहित करें. इससे पितर प्रसन्न होते हैं.
- हरियाली अमावस्या के अवसर पर पितरों का ध्यान करके पीपल के पेड़ की जड़ में जल अर्पित करें. जल में काला तिल, चीनी, चावल और फूल मिला लेना चाहिए. जल अर्पित करते समय ओम पितृभ्य: नम: मंत्र का जाप करना चाहिए. इससे पितृ दोष दूर होगा और शुभ फल प्राप्त होगा.
- हरियाली अमावस्या को स्नान दान के बाद आटे की गोलियां बना लें और उसे मछलियों को खिलाएं. ऐसा करने से भी पितृ दोष से शांति मिलती है.
- पितृ दोष से मुक्ति के लिए हरियाली अमावस्या को पिंडदान, श्राद्ध कर्म, ब्राह्मण भोज आदि किए जाते हैं.

राशि अनुसार लगाएं पेड़
श्रावण कृष्ण पक्ष अमावस्या को ही हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन वृक्षारोपण करना अतिशुभ माना गया है। हरियाली अमावस्या के दिन विष्णुप्रिय वृक्ष पीपल, बरगद, तुलसी, केला, नींबू, आदि का वृक्षारोपण करना शुभ माना जाता है। भारतीय संस्कृति में पेड़ों को देवता के रूप में पूजने की परंपरा रही है। सभी लोगों को घरों में पेड़ लगाने के बारे में शुभाशुभ जानना आवश्यक होता है। ऐसी मान्यता है कि प्रत्येक व्यक्ति की राशि का एक प्रतिनिधि वृक्ष होता है। इसके सान्निध्य और रोपण से शुभफल मिलता है। आइए जानें हरियाली अमावस्या के दिन किस राशि वालों को कौन-सा पौधा शुभ रहेगा-
- मेष : लाल चंदन
- वृष : सप्तपर्णी
- मिथुन : कटहल
- कर्क : पलाश
- सिंह : पाडल
- कन्या : आम
- तुला : मौलश्री
- वृश्चिक : खैर
- धनु : पीपल
- मकर : शीशम
- कुंभ : कैगर खैर
- मीन : बरगद।
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प्रत्येक दिशा में एक प्रतिनिधि वृक्ष दिग्पाल के रूप में दिशाओं की रक्षा करता है। आठ दिशाओं के प्रतिनिधि वृक्ष भवन तथा भूमि पर लगाने से मंगलकारी होते हैं।
इसके तहत उत्तर में जामुन, उत्तर पूर्व में हवन, उत्तर पश्चिम में सादड़, पश्चिम में कदम्ब, दक्षिण पश्चिम में चंदन, दक्षिण में आंवला पूर्व में बांस तथा दक्षिण पूर्व में गूलर अष्टदिग्पाल वृक्ष पाए जाते हैं। अत: आप भी हरियाली अमावस्या पर वृक्ष लगाकर इसका लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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