हेलो फ्रेंड्स , हिंदू धर्म में बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima 2021) का विशेष महत्व बताया गया है. पूर्णिमा वैशाख महीने की पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था. इसलिए इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है. इस साल बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार 26 मई बुधवार को मनाया जाएगा.
बुद्ध पूर्णिमा का पर्व बौद्ध अनुयायियों के साथ-साथ हिंदुओं के लिए भी बहुत खास महत्व रखता है. हिन्दू धर्म के अनुसार गौतम बुद्ध को भगवान श्री विष्णु का 9वां अवतार माना जाता है. बुद्ध पूर्णिमा दुनिया के कई देशों में बुद्ध जयंती मनाई जाती है।
विषयसूची :
बुद्धत्व की प्राप्ति कैसे हुई?
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, बुद्ध 29 वर्ष की आयु में घर छोड़कर सन्यास का जीवन बिताने लगे थे. उन्होंने एक पीपल वृक्ष के नीचे करीब 6 वर्ष तक कठिन तपस्या की. वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवन बुद्ध को पीपल के वृक्ष के नीचे सत्य के ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. भगवान बुद्ध को जहां ज्ञान की प्राप्ति हुई वह जगह बाद में बोधगया कहलाई. इसके पश्चात महात्मा बुद्ध ने अपने ज्ञान का प्रकाश पूरी दुनिया में फैलाया और एक नई रोशनी पैदा की.
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महात्मा बुद्ध का महापरिनिर्वाण वैशाख पूर्णिमा के दिन ही कुशीनगर में 80 वर्ष की आयु में हुआ था. भगवान गौतम बुद्ध का जन्म, सत्य का ज्ञान और महापरिनिर्वाण एक ही दिन यानी वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुआ. इस कारण वैशाख महीने में पूर्णिमा के दिन ही बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है.
शुभ मुहूर्त:
बुद्ध पूर्णिमा 26 मई 2021, बुधवार
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 25 मई 2021 रात 8 बजकर 29 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समापन – 26 मई 2021 शाम 4 बजकर 43 मिनट तक

कहां-कहां मनाई जाती है बुद्ध जयंती:
भारत के अलावा चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, थाइलैंड, जापान, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया आदि विश्व के कई देशों में पूर्णिमा के दिन बुद्ध जयंती मनाई जाती है. बिहार में स्थित बोद्ध गया बुद्ध के अनुयायियों सहित हिंदुओं के लिए भी पवित्र धार्मिक स्थल माना जाता है.
कुशीनगर में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर लगभग एक महीने तक मेला लगता है. हालांकि, कोरोना महामारी के चलते देशभर में लॉकडाउन की स्थिति जारी है. इसलिए हो सकता है इस साल मेले का आयोजन न किया जाए. श्रीलंका जैसे कुछ देशों में इस उस्तव को वैशाख उत्सव के रूप में मनाते हैं. बौद्ध अनुयायी इस दिन अपने घरों में दीपक जलाते हैं और घरों को सजाते हैं. इस दिन बौद्ध धर्म के ग्रंथों का पाठ किया जाता है.
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बुद्ध पूर्णिमा का महत्त्व :
बुध पूर्णिमा हिन्दू यानी सनातन धर्म के अनुयाइयों के लिए भी बहुत मायने रखती है। हिन्दू धर्म के लोग भगवान् बुध को विष्णु जी के अवतार के रूप में पूजते हैं और इस दिन पूरे श्रद्धा भाव से विष्णु भगवान् और बुध भगवान् की पूजा करते हैं। बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों के लिए भी विशेष मायने रखती है और विशेष रूप से बुध भगवान को पूजा जाता है।
मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने वैशाख पूर्णिमा का महत्त्व अपने परम-मित्र सुदामा को उस समय बताया था जब वे द्वारिका नगरी उनसे मिलने पहुंचे थे। श्री कृष्ण जी के बताने के अनुसार, सुदामाजी ने इस दिन व्रत किया था इससे उनकी दरिद्रता और दुःख दूर हो गए थे। इसके बाद से वैशाख महीने की पूर्णिमा तिथि जिसे बुध पूर्णिमा कहा जाता है उसका महत्त्व और बढ़ गया। हिन्दुओं में इस दिन व्रत उपवास करना और विष्णु जी का पूजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण हो जाती हैं।

पवित्र नदियों का स्नान है शुभ :
बुध पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों का स्नान करना शुभ माना जाता है और इस दिन लोग दीये प्रज्ज्वलित करके घर को फूलों से सुसज्जित करते हैं। वैसे इस दिन गन्दा जैसी नदियों में डुबकी लगाना शुभ है लेकिन कोरोना काल में जब आप नदियों के स्नान नहीं कर सकते हैं तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान करना भी नदी स्नान के बराबर ही फल देगा। इस दिन धार्मिक कार्य करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है और दान -पुण्य करना भी शुभ माना जाता है।
मानसिक रोगों से मिलती है मुक्ति:
भगवान बुद्ध को उत्तरी भारत में भगवान श्री विष्णु का 9वां अवतार माना जाता है. हालांकि दक्षिण भारत में बुद्ध को विष्णु का अवतार नहीं माना जाता है. दक्षिण भारतीय बलराम को विष्णु का 8वां अवतार तो श्री कृष्ण को 9वां अवतार मानते हैं. बौद्ध धर्म के अनुयायी भी बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार नहीं मानते हैं. ऐसी मान्यताा है कि बुद्ध पूर्णिमा पर वातावरण में विशेष ऊर्जा आ जाती है. इस दिन चंद्रमा पूर्णिमा पृथ्वी और जल तत्व को पूर्ण रूप से प्रभावित करता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्रमा पूर्णिमा तिथि के स्वामी माने जाते हैं. इसलिए बुद्ध पूर्णिमा के दिन हर तरह की मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है.
साल का पहला चंद्र ग्रहण :
इस बार वैशाख पूर्णिमा का महत्व और ज्यादा बढ़ जाएगा क्योंकि इस बार इस पूर्णिमा पर साल 2021 का पहला चंद्र ग्रहण भी पड़ेगा। चंद्र ग्रहण में दान -पुण्य करने का भी विशेष महत्त्व है और धार्मिक रूप से पूजा -पाठ करने के लिए भी वैशाख महीना अति उत्तम माना गया है।