भाद्रपद महीने (Bhadrapad) के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को बहुला चतुर्थी (Bahula Chaturthi 2022) व बहुला चौथ (Bahula chauth) कहते हैं. इसी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत (Sankashti Chaturthi Vrat) भी रखा जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल बहुला चतुर्थी व्रत 15 अगस्त दिन सोमवार को रखा जाएगा. बहुला चतुर्थी व्रत (Bahula Chaturthi Vrat) भगवान श्री कृष्ण को समर्पित होता है. इसलिए इस व्रत में भगवान श्री कृष्ण और गाय की पूजा की जाती है.
धार्मिक मान्यता है कि बहुला चतुर्थी का व्रत रखते हुए इस दिन भगवान श्री कृष्ण की विधि पूर्वक पूजा करने पर हर मनोकामना पूरी होती है. निः संतान दम्पत्ति को संतान की प्राप्ति होती है. जो महिलाएं संतान वाली हैं, वे अपनी संतान की मंगल कामना के लिए भी यह व्रत रखती हैं. बहुला चतुर्थी के दिन ही संकष्टी चतुर्थी भी है. संकष्टी चतुर्थी व्रत में भगवान श्री गणेश जी की पूजा की जाती हैं. ऐसे में इस दिन भगवान श्री कृष्ण के साथ-साथ भगवान गणेश जी की पूजा करने से पुण्य लाभ कई गुना बढ़ जाएगा.
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बहुला चतुर्थी शुभ मुहूर्त
Bahula Chaturthi Shubh Muhurt
बहुला चतुर्थी तिथि का आरंभ : 14 अगस्त, रविवार, रात्रि 10: 35 मिनट से
बहुला चतुर्थी तिथि समाप्त : 15 अगस्त, सोमवार, रात्रि 09: 01 मिनट पर
उदयातिथि के आधार पर बहुला चतुर्थी व्रत 15 अगस्त को रखा जाएगा।
बहुला चतुर्थी पूजा मंत्र
या: पालयन्त्यनाथांश्च परपुत्रान् स्वपुत्रवत्।
ता धन्यास्ता: कृतार्थाश्च तास्त्रियो लोकमातर:।।

बहुला चतुर्थी पर बनेंगे ये शुभ योग
Bahula Chaturthi 2022 Shubh Yog
पंचांग के अनुसार, 15 अगस्त, सोमवार को दिन भर उत्तरा भाद्रपद नाम का नक्षत्र रहेगा। सोमवार को उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र होने से गद नाम का शुभ योग इस दिन बन रहा है। इसके अलावा इस दिन धृति नाम का एक अन्य शुभ योग भी रहेगा। इस समय बुध ग्रह सिंह राशि में रहेगा। इस राशि में ये ग्रह शुभ फल प्रदान करता है। इस ग्रह का संबंध भगवान श्रीगणेश से माना जाता है। बहुला चतुर्थी पर बुध ग्रह का सिंह राशि में होना शुभ रहेगा।
बहुला चतुर्थी की पूजन विधि
Bahula Chaturthi Pooja Vidhi
सबसे पहले लकड़ी के गणेश जी लाएं और उनको लाल सिंदूर का तिलक लगाएं. पीले कपड़े पहन कर गणेश जी को घर के अंदर स्थापित करें. लाल सिंदूर से दोनों तरफ स्वस्तिक बनाएं और दो खड़ी रेखाओं से दोनों तरफ घेरा लगाएं. इसके बाद दोनों तरफ रिद्धि-सिद्धि और शुभ-लाभ लिखें. लाल फूल चढ़ाएं और गणपति को पीले फूलों की माला पहनाएं. 21 लड्डू का भोग लगाएं, चार केले चढ़ाएं, जल छिड़ेकें, पान, सुपारी लौंग और इलायची चढ़ाएं.
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बहुला चतुर्थी व्रत से लाभ
- संकट चतुर्थी व्रत करने व्यक्ति को इच्छित सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
- इस व्रत को करने से शारीरिक तथा मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- यह व्रत निःसंतान को संतान का सुख देता है।
- इस व्रत को करने से धन-धन्य की वृद्धि होती है।
- व्रत करने से व्यावहारिक तथा मानसिक जीवन से सम्बन्धित सभी संकट दूर हो जाते हैं।
- व्रती स्त्री को पुत्र, धन, सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- संतान के ऊपर आने वाले कष्ट दूर हो जाते है।

बहुला चतुर्थी व्रत कथा
बहुला चतुर्थी व्रत से संबंधित एक बड़ी ही रोचक कथा प्रचलित है। जब भगवान विष्णु का कृष्ण रूप में अवतार हुआ तब इनकी लीला में शामिल होने के लिए देवी-देवताओं ने भी गोप-गोपियों का रूप लेकर अवतार लिया। कामधेनु नाम की गाय के मन में भी कृष्ण की सेवा का विचार आया और अपने अंश से बहुला नाम की गाय बनकर नंद बाबा की गौशाला में आ गई।
भगवान श्रीकृष्ण का बहुला गाय से बड़ा स्नेह था। एक बार श्रीकृष्ण के मन में बहुला की परीक्षा लेने का विचार आया। जब बहुला वन में चर रही थी तब भगवान सिंह रूप में प्रकट हो गए। मौत बनकर सामने खड़े सिंह को देखकर बहुला भयभीत हो गई। लेकिन हिम्मत करके सिंह से बोली, ‘हे वनराज मेरा बछड़ा भूखा है। बछड़े को दूध पिलाकर मैं आपका आहार बनने वापस आ जाऊंगी।’
सिंह ने कहा कि सामने आए आहार को कैसे जाने दूं, तुम वापस नहीं आई तो मैं भूखा ही रह जाऊंगा। बहुला ने सत्य और धर्म की शपथ लेकर कहा कि मैं अवश्य वापस आऊंगी। बहुला की शपथ से प्रभावित होकर सिंह बने श्रीकृष्ण ने बहुला को जाने दिया। बहुला अपने बछड़े को दूध पिलाकर वापस वन में आ गई।
बहुला की सत्यनिष्ठा देखकर श्रीकृष्ण अत्यंत प्रसन्न हुए और अपने वास्तविक स्वरूप में आकर कहा कि ‘हे बहुला, तुम परीक्षा में सफल हुई। अब से भाद्रपद चतुर्थी के दिन गौ-माता के रूप में तुम्हारी पूजा होगी। तुम्हारी पूजा करने वाले को धन और संतान का सुख मिलेगा।’
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बहुला चतुर्थी का महत्व
Bahula Chaturthi Mahatv
बहुला चतुर्थी के दिन विशेष पूजन से गणपति की कृपा होती है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान के ऊपर आने वाला कष्ट जल्द समाप्त हो जाते हैं. ये व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. विघ्नहर्ता गणेश जीवन के सभी दुख और संकट दूर करते हैं. चन्द्रमा के उदय होने तक बहुला चतुर्थी का व्रत करने का से विशेष लाभ मिलता है. इस व्रत को गौ पूजा व्रत भी कहा जाता है. इस व्रत को करने से धन धन्य में वृद्धि होती है. यह व्रत निःसंतान को संतान तथा संतान को मान-सम्मान एवं ऐश्वर्य प्रदान करने वाला माना जाता है.
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